हिसार में होगा अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन: 'लुवास' करेगा मेजबानी, जैव प्रौद्योगिकी और पशु चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ होंगे शामिल
विश्वविद्यालय के कुलपति के नेतृत्व में इस आयोजन में देश-विदेश के वैज्ञानिक, शिक्षाविद और छात्र भाग लेंगे। पशु चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम तकनीकों और अनुसंधानों पर आठ वैज्ञानिक सत्रों में विस्तृत चर्चा की जाएगी। विशेष रूप से, किसानों, वैज्ञानिकों और पशु चिकित्सकों के बीच सीधा संवाद स्थापित करने के लिए एक विशेष सत्र भी आयोजित होगा, ताकि जमीनी स्तर की समस्याओं का समाधान खोजा जा सके।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का ब्रॉशर लांच करते कुलपति व अन्य अधिकारी।
हरियाणा के हिसार में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) 3 से 5 दिसंबर तक एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इस सम्मेलन का मुख्य विषय 'विज्ञान और समाज को जोड़ते हुए सतत समग्र स्वास्थ्य के लिए जैव प्रौद्योगिकी' रखा गया है। इसका उद्देश्य विज्ञान, समाज और कृषि पशुपालन के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करना है, ताकि सतत विकास और 'समग्र स्वास्थ्य' के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस आयोजन में देश-विदेश से जैव प्रौद्योगिकी और पशु चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ, शिक्षाविद और छात्र-छात्राएं शामिल होंगे।
सम्मेलन की तैयारियों के संबंध में कुलपति सचिवालय में आयोजित औपचारिक बैठक के दौरान प्रोफेसर जिंदल ने सम्मेलन की प्रथम सूचना विवरणिका का औपचारिक विमोचन किया। कुलपति ने कहा कि यह सम्मेलन भारत में पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन क्षेत्र के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने आयोजन समिति की कार्य योजना का अवलोकन करते हुए सभी तैयारियों को समयबद्ध और व्यवस्थित ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए।
3 से 5 दिसंबर तक होगा आयोजन
हिसार स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) एक बड़े अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए तैयार है। यह प्रतिष्ठित आयोजन 3 से 5 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें वैश्विक स्तर पर पशु चिकित्सा विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम शोध और विकास पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन का विषय 'विज्ञान और समाज को जोड़ते हुए सतत समग्र स्वास्थ्य के लिए जैव प्रौद्योगिकी' निर्धारित किया गया है। यह विषय इस बात पर जोर देता है कि कैसे वैज्ञानिक नवाचारों को समाज की जरूरतों, विशेषकर कृषि और पशुपालन क्षेत्र में, एकीकृत किया जा सकता है ताकि एक टिकाऊ और व्यापक स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण हो सके। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विज्ञान, समाज और कृषि पशुपालन के बीच एक मजबूत सेतु बनाना है, जो समग्र स्वास्थ्य (One Health) और सतत विकास (Sustainable Development) के वैश्विक लक्ष्यों को बढ़ावा देगा।
कुलपति के नेतृत्व में तैयारियां जोरों पर
इस महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की रूपरेखा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) नरेश जिंदल के कुशल नेतृत्व में तैयार की गई है। प्रोफेसर जिंदल इस सम्मेलन के मुख्य संरक्षक भी हैं। सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए कुलपति सचिवालय में एक औपचारिक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक के दौरान, प्रोफेसर जिंदल ने सम्मेलन की प्रथम सूचना विवरणिका (First Information Brochure) का औपचारिक विमोचन किया, जो आयोजन की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है। विमोचन समारोह के अवसर पर, कुलपति प्रोफेसर जिंदल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मेलन भारत में पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन क्षेत्र के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने आयोजन समिति की कार्य योजना का गहन अवलोकन किया और सभी आवश्यक तैयारियों को समयबद्ध और व्यवस्थित ढंग से पूरा करने के सख्त निर्देश दिए, ताकि यह आयोजन सफल हो सके।
पशु चिकित्सा के नवीनतम अनुसंधानों पर होगी चर्चा
सम्मेलन के संरक्षक तथा पशु चिकित्सा महाविद्यालय, लुवास के अधिष्ठाता डॉ. गुलशन नारंग ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पशु चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में हुई नवीनतम तकनीकों और अनुसंधानों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। यह चर्चाएं छात्रों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत लाभकारी होंगी, क्योंकि उन्हें वैश्विक मंच पर अपने शोध प्रस्तुत करने और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होगा। डॉ. नारंग ने जोर दिया कि ऐसे मंच शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को एक साथ लाते हैं, जिससे ज्ञान का प्रसार होता है और नए सहयोग की संभावनाएं बनती हैं।
देश-विदेश के विशेषज्ञ होंगे शामिल
सम्मेलन की आयोजन सचिव तथा पशु जैव प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष डॉ. सुशीला मान ने बताया कि इस बहुप्रतीक्षित सम्मेलन में भारत के साथ-साथ विदेशों के भी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, शिक्षाविद और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में भाग लेंगे। यह भागीदारी विभिन्न संस्कृतियों और विचारों के बीच एक समृद्ध संवाद को बढ़ावा देगी। सम्मेलन के दौरान कुल आठ वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें विविध विषयों पर नवीनतम अनुसंधान प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इन सत्रों में पशु स्वास्थ्य, रोग नियंत्रण, पशुधन उत्पादन, आनुवंशिकी और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
जमीनी स्तर पर किसानों की समस्याओं को समझा जाएगा
एक विशेष पहल के तहत, सम्मेलन में किसानों, वैज्ञानिकों और पशु चिकित्सकों के बीच सीधा संवाद स्थापित करने के लिए एक विशेष सत्र भी निर्धारित किया गया है। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर किसानों की समस्याओं को समझना और उनके समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्यावहारिक उपाय खोजना है। यह सत्र विज्ञान को सीधे समाज और कृषि से जोड़ने की सम्मेलन की मुख्य भावना को दर्शाता है। इस अवसर पर आयोजन समिति के सभी सदस्य भी उपस्थित रहे, जिन्होंने सम्मेलन की तैयारियों को अंतिम रूप देने पर चर्चा की और इसे एक सफल आयोजन बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई। यह आयोजन हिसार और हरियाणा के लिए एक गौरव का क्षण होगा।