हरियाणा में IIT पर रस्साकशी: 300 एकड़ जमीन के लिए जोरदार लॉबिंग, हिसार का दावा सबसे मजबूत
हिसार में पहले से ही तीन विश्वविद्यालय प्रस्तावित है और यहां एयरपोर्ट भी है, जिससे कनेक्टिविटी बेहतर है। करनाल, गुरुग्राम और कुरुक्षेत्र जैसे अन्य जिले भी लॉबिंग में है, लेकिन हिसार की सरकारी भूमि की उपलब्धता इसे प्रमुख दावेदार बनाती है।
हरियाणा के शिक्षा और तकनीकी परिदृश्य के लिए एक बड़ी खबर है। केंद्र सरकार ने प्रदेश के पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है, जिसके लिए 300 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अपने संसदीय क्षेत्र में लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पांच सांसदों के बीच जोरदार राजनीतिक होड़ और लॉबिंग शुरू हो गई है। इसी बीच नायब सैनी सरकार के कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा ने मुख्यमंत्री को एक विस्तृत विजन डॉक्यूमेंट सौंपकर IIT के लिए हिसार का दावा सबसे मजबूत बताया है।
IIT प्रोजेक्ट और 300 एकड़ जमीन का पेंच
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) के निर्देश के बाद, तकनीकी शिक्षा विभाग हरियाणा ने लगभग आठ महीने पहले IIT स्थापित करने की दिशा में प्रयास शुरू किए थे। विभाग ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों (DC) को पत्र लिखकर IIT के लिए जमीन की उपलब्धता की मांग की थी। इस प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी चुनौती 300 एकड़ भूमि अधिग्रहण की है। सरकार ने स्पष्ट शर्त रखी है कि संस्थान के लिए इतनी बड़ी जमीन उपलब्ध करानी होगी। जमीन अधिग्रहण की समस्या और उससे जुड़े बड़े खर्च को देखते हुए, मंत्री रणबीर गंगवा ने मुख्यमंत्री नायब सैनी और केंद्र सरकार से बातचीत करते हुए हिसार में सरकारी जमीन देने का प्रस्ताव दिया है।
हिसार में 10,000 एकड़ सरकारी भूमि खाली पड़ी
मंत्री रणबीर गंगवा ने मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत विजन डॉक्यूमेंट में हिसार के पक्ष में कई मजबूत तर्क दिए हैं। सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण तर्क है सरकारी भूमि की उपलब्धता। उन्होंने बताया कि हिसार में राजकीय पशुधन फार्म (GLF) की लगभग 10,000 एकड़ से अधिक खाली जमीन मौजूद है, जिसका फिलहाल कोई उपयोग नहीं हो रहा है। इस विशाल सरकारी लैंड का इस्तेमाल IIT के लिए करने से सरकार को जमीन अधिग्रहण पर होने वाले करोड़ों रुपये के खर्च से मुक्ति मिलेगी और प्रक्रिया भी तेज होगी।
इसके अलावा, हिसार की उत्कृष्ट कनेक्टिविटी भी एक बड़ा फायदा है। यहां महाराज अग्रसेन एयरपोर्ट का निर्माण हो रहा है, जो शहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर की कनेक्टिविटी देगा। साथ ही, हिसार पहले से ही एक बड़ा शैक्षणिक केंद्र है। यहां हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय (GJU) और लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (LUVAS) जैसे तीन बड़े विश्वविद्यालय और कई केंद्रीय रिसर्च सेंटर मौजूद हैं। IIT की स्थापना से यह क्षेत्र शिक्षा का एक विशाल 'हब' बन जाएगा। गंगवा ने अपील की है कि हिसार आईआईटी स्थापना के सभी मापदंडों को पूरा करता है और यहां IIT की स्थापना होने पर सीमावर्ती राजस्थान और पंजाब के युवाओं को भी उच्च तकनीकी शिक्षा का लाभ मिलेगा।
BJP सांसदों में लॉबिंग की होड़
IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को अपने संसदीय क्षेत्र में लाने के लिए हरियाणा के भाजपा सांसदों में राजनीतिक होड़ मची हुई है। सबका प्रयास है कि यह संस्थान उनके क्षेत्र में ही खुले। इस लॉबिंग में कई बड़े नाम शामिल हैं। हरियाणा से तीन केंद्रीय मंत्री हैं— मनोहर लाल खट्टर (करनाल), राव इंद्रजीत (गुरुग्राम) और कृष्ण पाल गुर्जर (फरीदाबाद)। ऐसे में इन तीनों के संसदीय क्षेत्रों में से किसी एक को यह सौगात मिलने की उम्मीद है। हिसार को लेकर भी भाजपा की पकड़ मजबूत मानी जाती है और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री धमेंद्र प्रधान हरियाणा BJP के प्रभारी भी रह चुके हैं, जिससे हिसार को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा।
IIT की स्थापना से युवाओं को एक्सपोजर मिलेगा
केवल नेता ही नहीं, बल्कि हरियाणा की विभिन्न ग्राम पंचायतों ने भी अपने क्षेत्र में IIT को स्थापित करवाने के लिए जमीन देने के प्रस्ताव पारित किए हैं। चरखी दादरी की चांदवास, महेंद्रगढ़ की गांव पाली और खुड़ाना तथा रोहतक की मदीना गांव की पंचायतों ने पंचायती जमीन देने का लिखित प्रस्ताव भेजा है। हिसार के बड़े गांवों में से एक बालसमंद की पंचायत भी प्रस्ताव पास करके संबंधित अधिकारियों को लिखित सहमति दे चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों के प्राचार्य भी इस पहल का समर्थन कर रहे हैं। राजकीय बहुतकनीकी संस्थान हिसार के प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार गाबा ने कहा है कि IIT की स्थापना से हरियाणा के युवाओं को बेहतरीन एक्सपोजर मिलेगा और उच्च तकनीकी शिक्षा के अवसर प्रदेश में ही उपलब्ध होंगे, जिसके लिए अभी छात्रों को रुड़की या दक्षिण भारत जाना पड़ता है।
अन्य जिलों की दावेदारी भी मजबूत
हिसार के अलावा अन्य जिलों की दावेदारी भी उनके मजबूत राजनीतिक और भौगोलिक कारकों पर टिकी है। करनाल की दावेदारी मजबूत है क्योंकि यह पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का संसदीय क्षेत्र है। जीटी रोड पर स्थित होने से दिल्ली और चंडीगढ़ से इसकी कनेक्टिविटी अच्छी है। वहीं, गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत भी प्रयास कर सकते हैं, लेकिन दिल्ली में IIT नजदीक होने से यहां संभावनाएं थोड़ी कम हो जाती हैं। कुरुक्षेत्र को मुख्यमंत्री नायब सैनी का गृह जिला होने का फायदा मिल सकता है, जहां कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी भी मौजूद है। सांसद नवीन जिंदल भी इसके लिए प्रयासरत हैं। भिवानी में सांसद धर्मबीर और राज्यसभा सांसद किरण चौधरी जैसे मजबूत नेताओं की लॉबिंग काम कर रही है, और यहां की पंचायतें भी जमीन देने को तैयार हैं।
निष्कर्ष यह है कि भले ही राजनीतिक लॉबिंग जोरों पर हो, लेकिन हिसार के पास 10,000 एकड़ सरकारी भूमि की उपलब्धता और जमीन अधिग्रहण की समस्या को खत्म करने की क्षमता, इस प्रोजेक्ट के लिए उसके दावे को सबसे आगे रखती है। अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री नायब सैनी और केंद्र सरकार को लेना है।
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