Cyber Fraud Racket: डिजिटल अरेस्ट कर ठगते थे लाखों, RMP डॉक्टर की क्लिनिक नहीं चली तो ठगों को बेचने लगा बैंक अकाउंट, 7 पकड़े
हरियाणा की गुरुग्राम साइबर पुलिस ने एक बड़े साइबर ठगी रैकेट का खुलासा किया है। यह गिरोह डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपये ठगता था। पुलिस ने एक RMP डॉक्टर को भी पकड़ा है, जो ठगों को बैंक अकाउंट बेचता था।
गुरुग्राम साइबर पुलिस की गिरफ्त में ठगी के आरोपी।
बड़े साइबर ठग गिरोह का खुलासा : गुरुग्राम साइबर क्राइम पुलिस ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी की धमकी देकर आम लोगों से लाखों रुपये ऐंठ रहा था। इस ठगी नेटवर्क का अहम हिस्सा दिल्ली का एक RMP डॉक्टर निकला, जो इलाज छोड़ अब ठगों को बैंक अकाउंट मुहैया कराने का काम कर रहा था।
डॉक्टर बना अकाउंट सप्लायर
गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी की पहचान रामचरण (33 वर्ष) के रूप में हुई है, जो मूल रूप से नांगलोई, दिल्ली का रहने वाला है। वह कापसहेड़ा में एक क्लिनिक चलाता था, लेकिन जब उसका डॉक्टरी का धंधा नहीं चला तो उसने ठगों के लिए सेविंग अकाउंट का “सप्लाई बिजनेस” शुरू कर दिया। हर एक अकाउंट के बदले वह 20 हजार रुपये चार्ज करता था। पुलिस का कहना है कि रामचरण ने कई फर्जी खातों की डीलिंग में अहम भूमिका निभाई।
झूठे केस और फर्जी जज की वीडियो से डराते थे
इस मामले में 14 मई 2024 को एक पीड़ित ने शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में बताया था कि ठग ने कॉल कर खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए कहा कि उसका मोबाइल अवैध काम में प्रयोग हुआ है। फिर एक फर्जी पुलिस वाले ने भी उसका आधार मनी लॉन्ड्रिग में प्रयोग होने की बात कहकर धमकाया। इसके बाद उसे डिजिटल वीडियो कॉल पर ‘फर्जी जज’ के सामने पेश किया गया। उसे जमानत या कानूनी कार्यवाही से बचने के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने को मजबूर किया गया।
गिरोह की परतें खुलीं, पूरे नेटवर्क का हुआ पर्दाफाश
पुलिस की विशेष जांच टीम ने इस मामले में कई महीनों की निगरानी और तकनीकी जांच के बाद रामचरण को दिल्ली से दबोचा। उसके बाद जांच को आगे बढ़ाते हुए लखनऊ से उसके भतीजे अभिषेक (23), गोरखपुर से शिप्रा जायसवाल (35) को भी गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस ठगी चेन में कुल सात लोग शामिल थे, जो फर्जी बैंक खाते बेचते थे। इन खातों का उपयोग साइबर ठगी की रकम ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था।
कई हाथों से बिकता हुआ मुख्य सरगना तक जाता था खाता
इस केस में पुलिस को एक दिलचस्प लेनदेन चेन मिली, जिसमें हर शख्स ने खाता आगे बेचकर अपनी हिस्सेदारी का पैसा लिया। बैंक ग्राहक राजीव झा ने खाता गणेश को 50 हजार में बेचा। गणेश ने मनीष को, मनीष ने डॉ. रामचरण को, उसने अभिषेक को, अभिषेक ने शिप्रा जायसवाल को और शिप्रा ने मुख्य साइबर ठग को बेच दिया।