रूसी दलदल में फंसे भारतीय: हरियाणा के युवाओं को भी पैसे का लालच देकर यूक्रेन युद्ध में धकेला जा रहा, जानिए खौफनाक सच

फतेहाबाद के अंकित और विजय जैसे कई भारतीय युवाओं को रूस में नौकरी का लालच देकर यूक्रेन युद्ध के मैदान में धकेला जा रहा है। एक संगठित गिरोह इन युवाओं को मोटी सैलरी और बेहतर जीवन का झांसा देता है।

Updated On 2025-09-12 14:17:00 IST

यूक्रेन में फंसे भारतीय युवक। 

यह कहानी है उन भारतीय युवाओं की है जो बेहतर भविष्य का सपना लेकर रूस गए, लेकिन अब यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र में मौत से जूझ रहे हैं। यह सिर्फ दो-चार युवाओं की कहानी नहीं, बल्कि एक बड़े और खतरनाक नेटवर्क का काला सच है जो भारत समेत कई एशियाई देशों के युवाओं को निशाना बना रहा है। आज हम आपको इस पूरे मामले की तह तक ले जाएंगे और बताएंगे कि कैसे भोले-भाले युवाओं को पैसे का लालच देकर मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।

युद्ध के मुहाने पर खड़े हरियाणा के दो युवक

हरियाणा के फतेहाबाद जिले के रहने वाले अंकित जांगड़ा और विजय पुनिया आज यूक्रेन-रूस युद्ध के मोर्चे पर, यानी 'जीरो लाइन' से सिर्फ 15-20 किलोमीटर दूर हैं। उनके परिवारों के लिए हर पल एक सदमा है। उनके परिजन उन्हें वापस लाने के लिए दिल्ली में विदेश मंत्रालय और चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उन्होंने रूस में सभी हेल्प डेस्क और रूसी विदेश मंत्रालय को भी उनके दस्तावेज भेज दिए हैं। अंकित और विजय अकेले नहीं हैं। उनके साथ पंजाब, जम्मू, राजस्थान, उत्तराखंड और यूपी के कई और युवा भी इसी मुसीबत में फंसे हुए हैं।

रूस में सक्रिय है युवाओं को फंसाने वाला गिरोह

यह कोई संयोग नहीं है। रूस में एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा है जो भारतीय युवाओं को पैसे और एक बेहतर जीवन का लालच देकर रूसी सेना में भर्ती करवा रहा है। फतेहाबाद के रमेश कुमार, जो अंकित और विजय के ही गांव के हैं, हाल ही में रूस से लौटकर आए हैं। उन्होंने इस पूरे नेटवर्क का चौंकाने वाला खुलासा किया।

• 10 दिन की ट्रेनिंग, फिर मौत के मुंह में: यह गिरोह युवाओं को मोटी सैलरी और लग्जरी लाइफ का झांसा देता है। लेकिन ट्रेनिंग के नाम पर उन्हें सिर्फ 10 दिन गन चलाना सिखाते हैं और फिर उन्हें यूक्रेन के युद्ध में मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। यहां इन युवाओं के पास सिर्फ दो ही विकल्प बचते हैं – या तो मार दो, या खुद सामने वाले को मार दो।

• फंसाने का तरीका : अंकित और विजय को एक रूसी महिला ने रेलवे स्टेशन पर नौकरी का झांसा दिया था। उन्हें बताया गया कि तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद उन्हें ड्राइवर या सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिलेगी, जिसमें 15 से 20 लाख रुपये का बोनस और हर महीने डेढ़ से दो लाख रुपये की सैलरी मिलेगी। इस लालच में फंसकर उन्होंने एक एग्रीमेंट पर दस्तखत कर दिए, जिसके बाद उन्हें जबरदस्ती रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया। उन्हें बंद कंटेनरों में भरकर जंगलों में ले जाया गया।

मां की गुहार- बेटा, होशियार रहना, हम तुम्हें बचा लेंगे

अंकित और विजय की हालत बेहद खराब है। उन्हें रूस और यूक्रेन के पुराने बॉर्डर से 300 किलोमीटर आगे डोनेक्सो के जंगलों में ले जाया गया है, जहां से जीरो लाइन बहुत करीब है। उनके साथ गए कई साथी जीरो लाइन से कभी वापस नहीं लौटे। अंकित ने जब अपनी मां सुशीला देवी को वीडियो कॉल किया, तो मां ने रोते हुए भी बेटे को दिलासा दिया बेटा, होशियार रहना, हम तुम्हें बचा लेंगे। परिवार के सदस्य लगातार नेताओं और अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। अंकित के पिता रामप्रसाद ने बताया कि बेटे ने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए रूस जाने का फैसला किया था। वह हर महीने 70-80 हजार रुपये भेज रहा था। अब पूरे परिवार का खाना-पीना छूट गया है।

विदेश मंत्रालय की चेतावनी

इस मामले के सामने आने के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने भी तुरंत एडवाइजरी जारी की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहें, क्योंकि यह जान जोखिम में डालने जैसा है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने दिल्ली और मॉस्को दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों से इस मामले को उठाया है और अपने नागरिकों को जल्द से जल्द वापस भेजने की मांग की है।

यह घटना उन सभी युवाओं के लिए एक चेतावनी है जो विदेश में नौकरी या बेहतर जीवन की तलाश में हैं। किसी भी अनजान व्यक्ति के झांसे में न आएं और हमेशा आधिकारिक माध्यमों और विश्वसनीय एजेंटों का ही सहारा लें। जान से बढ़कर कुछ भी नहीं है।

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