फतेहाबाद की शांति भंग करने की कोशिश: धार्मिक स्थल और रिहायशी मकानों पर रात में पथराव, दहशत में लोग
देर रात सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर जामा मस्जिद और उससे सटे तीन घरों पर भारी पथराव किया और मकानों के दरवाजे उखाड़ने का प्रयास किया।
पथराव के बाद मस्जिद के बाहर पड़ी ईंटे दिखाते लोग।
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के भूना कस्बे में सोमवार की देर रात सांप्रदायिक शांति भंग करने की कोशिश का मामला सामने आया है। यहां के वार्ड नंबर तीन स्थित जामा मस्जिद और उससे सटे तीन घरों को निशाना बनाकर अज्ञात युवकों ने भारी पथराव किया। हमलावरों ने न केवल पत्थरबाजी की बल्कि घरों के मुख्य द्वारों को भी क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया। इस घटना के बाद से पूरे इलाके में तनाव और भय का माहौल व्याप्त है।
नकाबपोशों ने मचाया तांडव
घटना 22 दिसंबर की रात करीब 1:30 बजे की है। पीड़िता जेबुन्निशा ने पुलिस प्रशासन को दी अपनी शिकायत में बताया कि जब उनका पूरा परिवार गहरी नींद में सो रहा था, तभी अचानक बाहर से शोर सुनाई दिया। बाहर करीब चार से पांच अज्ञात युवक जमा थे, जिन्होंने मस्जिद और उनके रिहायशी मकानों पर ईंटें और पत्थर बरसाने शुरू कर दिए।
हमलावरों के हौसले इतने बुलंद थे कि वे जेबुन्निशा के भाई ताहिर के घर की छत पर चढ़ गए और वहां लगे दरवाजों को तोड़ने की कोशिश करने लगे। जब वे दरवाजा तोड़ने में नाकाम रहे, तो उन्होंने नीचे गली में खड़े होकर दोबारा पथराव किया। इस हमले में मस्जिद के बाहर लगी लाइटें फूट गईं और मकानों की खिड़की-दरवाजों को नुकसान पहुंचा है। शोर सुनकर जब आसपास के पड़ोसी अपने घरों से बाहर निकले, तो हमलावर मौके से फरार हो गए।
फोन करने पर भी पुलिस के नहीं पहुंचने का आरोप
पीड़ित परिवार ने स्थानीय पुलिस की सक्रियता पर भी सवाल खड़े किए हैं। ताहिर का आरोप है कि घटना के तुरंत बाद उन्होंने डायल 112 पर कॉल करके पुलिस सहायता मांगी थी, लेकिन रात के समय कोई भी टीम मौके पर नहीं पहुंची। इसके बाद अगली सुबह करीब 7 बजे दोबारा सूचना दी गई, तब जाकर पुलिस की गाड़ी घटनास्थल पर पहुंची। पुलिसकर्मियों ने प्रारंभिक जांच के बाद परिवार को थाने में औपचारिक रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया।
दूसरी ओर, भूना थाना प्रभारी (SHO) ओमप्रकाश ने पुलिस पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि रात में भी सूचना मिलने पर टीम वहां गई थी और सुबह वे स्वयं भी मुआयना करने पहुंचे थे। फिलहाल पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और हमलावरों की पहचान करने के लिए सबूत जुटाए जा रहे हैं।
आजादी के पूर्व की है मस्जिद
मस्जिद की देखरेख करने वाले रहीश अहमद ने बताया कि उनका परिवार 1978 से यहां रह रहा है। यह मस्जिद आजादी के पूर्व की है, लेकिन 1978 में उनके प्रयासों से ही इसे दोबारा सुचारू रूप से शुरू किया गया था। रहीश अहमद ने भावुक होते हुए कहा कि रात को घर में उनकी पत्नी, बच्चे और मासूम पोते-पोतियां मौजूद थे, जो इस हमले के बाद से बुरी तरह डरे हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी कभी किसी से कोई निजी दुश्मनी या विवाद नहीं रहा है।
इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि रहीश अहमद का छोटा बेटा राजनीतिक रूप से सक्रिय है। वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कार्यकर्ता है और क्षेत्र के पूर्व विधायक दुड़ाराम का कट्टर समर्थक माना जाता है। ऐसे में एक सत्ताधारी दल से जुड़े परिवार पर इस तरह का हमला कई सवाल खड़े करता है।
अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज
फिलहाल भूना पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। थाना प्रभारी ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा और हमले के पीछे के वास्तविक कारणों का पता लगाया जाएगा। गांव के लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इलाके में गश्त बढ़ाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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