Haryana flood: बारिश में बह गया करोड़ों का सामान, फतेहाबाद में व्यापारी परेशान
हरियाणा में बाढ़ व बारिश का पानी अब थोड़ा उतरने जरूर लगा है, लेकिन उसके जख्मों के निशान गहरे हैं। फतेहाबाद के भूना में व्यापारियों ने जब दुकानें खोली तो वे दंग रह गए। करोड़ों रुपये के माल पर पानी फिर चुका था।
फतेहाबाद के भूना में बारिश की वजह से दुकान में हुआ नुकसान।
Haryana flood : फतेहाबाद के भूना शहर की सड़कों पर बहता पानी इस बार सिर्फ जलभराव नहीं था, बल्कि व्यापारियों के लिए एक और गहरा जख्म बन गया। अभी व्यापारी 2022 की बाढ़ से भी नहीं उबरे थी कि एक और जलजले ने उनके सारे अरमान डुबो दिए। 31 अगस्त से 4 सितंबर तक लगातार हुई बारिश ने भूना शहर के 9 वार्डों में ऐसा कहर बरपाया कि हजारों परिवार प्रभावित हुए, मगर सबसे अधिक मार दुकानदारों और व्यापारियों पर पड़ी। लाखों का माल पानी में डूब गया व सपनों की इमारतें तिनकों की तरह ढह गईं।
मसाला फैक्टरी में करोड़ों रुपये का नुकसान
शहर की प्रतिष्ठित कंपनी चक्षु फूड प्राइवेट लिमिटेड के संचालक मनीष सिंगला व विवेक बंसल ने बताया कि भारी बारिश से उनके उद्योग में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मसाले, जो देश के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई होने थे, वह सभी पैकिंग और स्टॉक पानी में पूरी तरह बर्बाद हो गया। उनका कहना है कि प्रशासन के पास जल निकासी की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में व्यापारी हर साल अपने हाथों से खड़ा किया कारोबार यूं ही पानी में डूबते देखने को मजबूर हैं।
शोरूम से गोदाम तक, हर जगह पानी
शहर के वस्त्र संग्रहालय के मालिक सतपाल सिंगला बताते हैं कि उनका शोरूम पूरी तरह जलमग्न हो गया और करीब 60 लाख रुपये का कीमती कपड़ा बर्बाद हो गया। उन्होंने कहा कि 2022 की बाढ़ के बाद सरकार ने आश्वासन तो दिए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह गौरव साड़ी शोरूम के संचालक प्रवीण बंसल ने बताया कि उनके बेसमेंट में रखा 30 लाख का कपड़ा व साड़ियां पूरी तरह खराब हो गईं। वहीं, रामकुमार श्यामलाल के गोदाम में 20 लाख, कैलाश बंसल के गेहूं गोदाम में 5 लाख, सतीश बूट हाउस में 4 लाख और कंसल किरयाना थोक विक्रेता के बेसमेंट व शोरूम में 15 लाख से ज्यादा का सामान पानी में बर्बाद हो गया।
व्यापार छोड़ने की सोच रहे कई कारोबारी
कैलाश कंसल ने बताया कि शहर में हर साल जलभराव की वजह से अब व्यापार करना ही मुश्किल होता जा रहा है। प्रशासन टैक्स तो पूरा वसूलता है, लेकिन बदले में सुरक्षा या सुविधा के नाम पर कुछ नहीं देता। अब व्यापार करने में डर लगने लगा है, कई व्यापारी भूना छोड़ने की योजना बना रहे हैं।
मुआवजा भी बना मजाक
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा घोषित मुआवजा राशि में भी भारी गड़बड़ी होती है। जिनका नुकसान नहीं हुआ, उन्हें लाभ मिल जाता है और जिनका व्यापार पूरी तरह डूब गया, वे सिर्फ कागजों में ही राहत पाते हैं। सतीश कुमार ने कहा कि मुख्य बाजार की हालत हर बार एक जैसी होती है और हर बार प्रशासन आंखें मूंद लेता है।
प्रशासन की नाकामी पर उठे सवाल
व्यापारियों का कहना है कि 2022 की जल त्रासदी के बाद सरकार ने कोई स्थाई कदम नहीं उठाया। अगर शहर में जल निकासी की सही व्यवस्था होती तो करोड़ों का नुकसान टल सकता था। चक्षु फूड प्रा. लि. के संचालकों ने कहा कि हमने अपनी मेहनत और गुणवत्ता से जो ब्रांड बनाया था, वह एक झटके में तबाह हो गया। व्यापारियों का कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए। वरना भूना जैसे कस्बों से व्यापारी वर्ग का पलायन तय है। उनका कहना है कि अगर सरकार अब भी नहीं जागी तो भविष्य में भूना का बाजार सिर्फ सुनसान दुकानों की गवाही देगा।