सनातन एकता पदयात्रा: 'ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है हमें...,' 360 किलो विस्फोटक मिलने पर बोले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
Dhirendra Krishna Shastri Padyatra: हरियाणा में धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा का तीसरा दिन है। यात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने 360 किलो विस्फोटक मामले में बयान दिया है।
हरियाणा में धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा का तीसरा दिन।
Dhirendra Krishna Shastri Padyatra: हरियाणा में चल रही बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन एकता पदयात्रा का सोमवार, 10 नवंबर को तीसरा दिन है। सोमवार सुबह 8 बजे पदयात्रा फरीदबाद के सीकर गांव से शुरू हुई थी। यहां मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बागेश्वर बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात की।
पदयात्रा में मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह भी शामिल हुए। फिलहाल यह यात्रा पलवल के पृथला गांव में प्रवेश कर चुकी है।
'आतंकी डॉक्टर' मामले पर दिया जवाब
फरीदाबाद में डॉक्टर के घर से 360 किलो विस्फोटक मिलने के मामले पर धीरेंद्र शास्त्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'ये शासन-प्रशासन का काम है। अगर इसका मकसद यात्रा को नुकसान पहुंचाना था, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमें इस देश की आर्मी और कानून पर पूरा भरोसा है।'
पदयात्रा में बीते दिन धीरेंद्र शास्त्री ने अपील की थी, 'हिंदुओ, भारतीय सेना को पैसे दान करो, जिससे ज्यादा से ज्यादा गोला-बारूद आ सके, और पाकिस्तान को उड़ाया जा सके।' उन्होंने कहा था कि देश में क्रांति होने वाली है, धर्म-विरोधी ताकतें देश को बर्बाद कर रही हैं।
पदयात्रा को लेकर मौलाना साजिद रशीदी ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर निशाना साधते हुए कहा था, 'ये लोग हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, कल को अगर साजिद रशीदी मुस्लिम राष्ट्र के लिए यात्रा निकाले, तो मेरे खिलाफ केस हो जाएंगे। सिमी को भी इसलिए बैन किया गया, क्योंकि वह मुस्लिम राष्ट्र चाहते थे। जो कथावाचक 15-20 लाख रुपए लेकर कथा सुनाता हो, वह धार्मिक कैसे हो सकता है?'
मौलाना साजिद रशीदी के बयान पर दी प्रतिक्रिया
मौलाना साजिद रशीदी के बयान का जवाब देते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, 'इस देश में हर किसी को यात्रा निकालने का हक है, वो भी यात्रा निकालें। लेकिन बीते दिन हमने अपनी यात्रा देश की सेना को समर्पित की थी। इस मौके पर सेना के लिए हमने दान देने की अपील की थी। आज हमारी यात्रा संत-गुरुओं और सिख गुरु तेज बहादुर को समर्पित है। अगर वे इन दोनों यात्राओं का अंतर समझते हैं, तो वे भी अपनी यात्रा निकालें।'
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