दिल्ली ब्लास्ट: 'मौत की चौथी गाड़ी' की तलाश तेज, इसलिए शक के घेरे में है डॉ. शाहीन की स्विफ्ट डिजायर
इस बीच फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में सुरक्षा एजेंसियों का डेरा बना हुआ है। यूनिवर्सिटी को तुर्किये और जर्मनी से मिले 11 करोड़ के फंड की जांच के लिए आज ईडी भी परिसर पहुंच सकती है।
फरीदाबाद में अल-फलहा यूनिवर्सिटी से मिली कार।
दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच अब एक नए और महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गई है। शुरुआती जांच में आई-20 कार के धमाके में नष्ट होने के बाद, सुरक्षा एजेंसियों ने लाल रंग की इको स्पोर्ट्स और एक ब्रेजा कार बरामद की है, लेकिन अब पुलिस को इस आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी चौथी गाड़ी स्विफ्ट डिजायर की तलाश है। यह कार आतंकी नेटवर्क के संचालन और विस्फोटक की ढुलाई में एक अहम कड़ी साबित हो सकती है।
डॉ. शाहीन और मुजम्मिल का कनेक्शन
पुलिस और जांच एजेंसियों को संदेह है कि लापता स्विफ्ट डिजायर कार इस आतंकी मॉड्यूल की सदस्य डॉ. शाहीन शाहिद की थी, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से गिरफ्तार आतंकी डॉ. मुजम्मिल शकील करता था। हालांकि डॉ. शाहीन ने पुलिस पूछताछ में अपनी ब्रेजा कार की लोकेशन ( फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस) का खुलासा कर दिया था, लेकिन स्विफ्ट डिजायर के बारे में अभी कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है।
दिल्ली और जम्मू पुलिस की संयुक्त जांच में यह सामने आया है कि इस स्विफ्ट डिजायर कार का उपयोग विस्फोट की तैयारी और अन्य साजिशों में किया गया। इस मॉड्यूल से जुड़ी अब तक बरामद हुई सभी गाड़ियों का कनेक्शन फरीदाबाद से ही निकला है। इसलिए, फरीदाबाद पुलिस ने हर थाना क्षेत्र से विशेष टीमें गठित कर इस चौथी गाड़ी की गहन तलाश शुरू कर दी है।
बरामद गाड़ियों से जुड़े अहम संकेत
जांच में अब तक दो अन्य गाड़ियां मिल चुकी हैं, जो इस मॉड्यूल की गतिविधियों की पुष्टि करती हैं।
1. इको स्पोर्ट्स (विस्फोटक ढुलाई के संकेत) : धमाके के बाद, पुलिस को आशंका थी कि आतंकियों के पास दो कारें थीं। तलाशी अभियान के बाद, गुरुग्राम नंबर की यह लाल इको स्पोर्ट्स कार फरीदाबाद के खंदावली गांव में दो दिनों से खड़ी मिली। यह कार आतंकी डॉ. उमर नबी के नाम पर पंजीकृत थी, जिसने खुद को आई-20 कार समेत उड़ा लिया था। जिस घर के बाहर यह कार खड़ी मिली, वह अल-फलाह यूनिवर्सिटी के एक कंप्यूटर ऑपरेटर (डॉ. उमर के असिस्टेंट) का है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। जांच एजेंसियों को संकेत मिले हैं कि इस इको स्पोर्ट्स कार का उपयोग विस्फोटक सामग्री की ढुलाई के लिए किया गया था।
2. ब्रेजा (सिर्फ दो महीने में 30 हजार किमी) : अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से बरामद ब्रेजा कार लेडी आतंकी डॉ. शाहीन के नाम पर थी और इसे सितंबर में ही खरीदा गया था। हैरानी की बात यह है कि केवल दो महीने में ही यह कार लगभग 30 हजार किलोमीटर चल चुकी है। यूनिवर्सिटी कैंपस में रहने वाली डॉ. शाहीन के लिए इतना अधिक चलना संदेह पैदा करता है। जम्मू-कश्मीर पुलिस को पूछताछ के दौरान डॉ. शाहीन ने ही इसकी लोकेशन बताई थी।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में सुरक्षा एजेंसियों का डेरा
इस आतंकी साजिश का केंद्रबिंदु बनी अल-फलाह यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज में अभी भी सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस का डेरा बना हुआ है। कर्मचारियों और स्टाफ को कड़ी जांच के बाद ही परिसर में प्रवेश दिया जा रहा है। जांच में यूनिवर्सिटी की फंडिंग पर भी सवाल उठे हैं। यह पता चला है कि यूनिवर्सिटी को तुर्किये और जर्मनी से 11 करोड़ रुपये का फंड मिला था। केंद्र सरकार के निर्देश पर, आज ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम यूनिवर्सिटी के बैंक खातों का फॉरेंसिक ऑडिट करने के लिए पहुंच सकती है, ताकि टेरर फंडिंग की गुत्थी सुलझाई जा सके।
फरीदाबाद का धौज गांव पूरे देश में बदनामी झेल रहा
यूनिवर्सिटी से चार आतंकी डॉक्टर निकलने के बाद फरीदाबाद का धौज गांव पूरे देश में बदनामी झेल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बाहरी डॉक्टरों ने उनके इलाके का नाम खराब किया है। गांव के लोग अब किसी को भी बिना उचित सत्यापन (वेरीफिकेशन) के मकान किराए पर न देने का फैसला कर रहे हैं। गौरतलब है कि अल-फलाह में लगभग 40% डॉक्टर कश्मीरी हैं, जिसका कारण कम वेतन पर आसानी से उपलब्ध होना बताया गया है।
जांच से पता चला है कि इस मॉड्यूल के सदस्य तुर्की में बैठे विदेशी हैंडलर 'उकासा' से थ्रीमा एप के जरिए संवाद कर रहे थे, जो साज़िश के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़े होने का संकेत देता है। चौथी कार, स्विफ्ट डिजायर की बरामदगी, इस पूरी साजिश के रहस्यों को खोलने में निर्णायक साबित हो सकती है।
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