दिल्ली ब्लास्ट कनेक्शन: इमाम की पत्नी का कबूलनामा, मुजम्मिल ने 1500 रुपये में लिया था 'विस्फोटक वाला कमरा'
इस मामले में इमाम इश्तियाक सहित डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद और जमील को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिसके बाद यूनिवर्सिटी की भूमिका सवालों के घेरे में है।
दिल्ली में हुए धमाके की फाइल फोटो।
दिल्ली ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी लगातार जांच एजेंसियों के निशाने पर है। यूनिवर्सिटी की मस्जिद के इमाम मोहम्मद इश्तियाक को हिरासत में लिए जाने के बाद, उनकी पत्नी हसीना ने पहली बार कैमरे के सामने आकर कई अहम खुलासे किए हैं, जिनसे यूनिवर्सिटी में आतंकी नेटवर्क की गतिविधियों की पुष्टि होती है।
पति से मस्जिद में जान-पहचान बढ़ाई
इमाम इश्तियाक की पत्नी हसीना ने बताया कि डॉ. मुजम्मिल ने पहले उनके पति से मस्जिद में जान-पहचान बढ़ाई और फिर उनसे दूध खरीदना शुरू कर दिया। लगभग तीन महीने पहले, डॉ. मुजम्मिल ने इश्तियाक से उनके फतेहपुरा तगा स्थित घर में एक कमरा किराए पर लेने की बात की। मुजम्मिल ने यह कमरा 'अपने दोस्त का सामान रखने' की बात कहकर किराए पर लिया था। इस कमरे का किराया ₹1,500 प्रति महीना तय किया गया था। पुलिस ने बाद में इसी कमरे से 2540 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की।
हसीना ने यह भी बताया कि डॉ. मुजम्मिल ने यह कमरा इश्तियाक के गांव में बने घर को दिखाकर उसकी चाबी ले ली थी। इसके अलावा, 360 किलो विस्फोटक धौज गांव के एक और कमरे से मिला था, जिसका किराया भी मुजम्मिल ही चुका रहा था।
डॉ. उमर रोज आता था मस्जिद
हसीना ने एक और महत्वपूर्ण जानकारी दी कि दिल्ली ब्लास्ट में खुद को कार में उड़ाने वाला असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद उमर नबी भी रोजाना मस्जिद में नमाज अदा करने आता था। डॉ. नबी ने 7 मई 2024 को ही यूनिवर्सिटी जॉइन किया था और 30 अक्टूबर से वह यूनिवर्सिटी से गायब था। इमाम के घर से यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों को दूध भी सप्लाई होता था और डॉ. मुजम्मिल भी दूध लेते थे, लेकिन पिछले 20 दिनों से मुजम्मिल दूध लेने नहीं आ रहा था, बताया गया कि वह छुट्टी पर पुलवामा गया था।
इमाम की पृष्ठभूमि और गिरफ्तारी
इमाम इश्तियाक की पत्नी ने उनके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इश्तियाक मूलरूप से नूंह के सिंगार गांव के रहने वाले हैं और 2005 से यूनिवर्सिटी की मस्जिद में इमाम थे। उन्हें 'हाफिज' (पूरी कुरान मुंह जुबानी याद) का दर्जा मिला हुआ है। वर्तमान में उन्हें यूनिवर्सिटी से करीब ₹10,000 मासिक वेतन मिल रहा था। इमाम की पत्नी ने बताया कि 10 नवंबर को जब उनके पति खेतों में काम कर रहे थे, तभी पुलिस की 10-12 गाड़ियां आईं और उन्हें अपने साथ ले गईं। इमाम और उनके दो बेटे तथा दो बेटियां हैं।
यूनिवर्सिटी पर प्रशासनिक शिकंजा
आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर प्रशासनिक शिकंजा कसना शुरू हो गया है। जिला प्रशासन ने यूनिवर्सिटी की 73 एकड़ जमीन की जांच के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को राजस्व और डीटीपी विभाग की टीमों ने मशीनें लगाकर जमीन की पैमाइश (नाप-जोख) का काम शुरू कर दिया है, ताकि ट्रस्ट को जमीन कैसे मिली, इसकी जांच हो सके। लगातार जांच एजेंसियों की आवाजाही के चलते यूनिवर्सिटी कैंपस से कई छात्र अपने घर लौट चुके हैं। वीकेंड होने के बावजूद, घर लौटने वाले छात्रों की संख्या असामान्य रूप से ज्यादा रही। अस्पताल में भी डॉक्टरों की संख्या कम हो गई है। जांच एजेंसियां, जिसमें डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद, इमाम इश्तियाक और एचआर विभाग के जमील शामिल हैं, इस पूरे आतंकी नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही हैं।
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