दिल्ली ब्लास्ट: 200 लोग रडार पर, 60 हिरासत में, डॉक्टर मुजम्मिल ने 'मदद' के नाम पर बिछाया जाल

यूनिवर्सिटी परिसर और फतेहपुर तगा गांव से भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट सहित अन्य विस्फोटक सामग्री मिली है। हॉस्टल के कमरे गुप्त बैठकों का केंद्र थे। कश्मीरी डॉक्टरों को यूनिवर्सिटी में लंबी छुट्टियां और नियुक्ति में ढील दी जाती थी।

Updated On 2025-11-16 12:13:00 IST

फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी। 

दिल्ली ब्लास्ट मामले की गहन जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों की जांच में अब फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल और लेडी डॉ. शाहीन की मोबाइल कॉल डिटेल्स और डिजिटल पेमेंट रिकॉर्ड्स से महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। यह पता चला है कि आतंकियों ने अपने नापाक मंसूबों में कामयाब होने के लिए 'मदद' को एक हथियार बनाया और कई लोगों को रुपये बांटकर अपने जाल में फंसाया। उनकी इस पूरी साजिश का मुख्य केंद्र फरीदाबाद का धौज और फतेहपुर तगा गांव रहा, साथ ही नूंह जिला भी उनके रडार पर था।


40 से अधिक मोबाइल फोन जब्त

इस 'व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल' ने सुनियोजित तरीके से लगभग 200 लोगों को किसी न किसी तरह से अपने संपर्क में रखा। इस नेटवर्क से जुड़े लगभग 60 लोग फिलहाल नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) और पुलिस की हिरासत में हैं, जबकि 40 से अधिक मोबाइल फोन जब्त किए जा चुके हैं। इनमें से कई फोन एन्क्रिप्टेड ऐप्स के संदिग्ध समूहों से जुड़े पाए गए हैं, जिनकी गहनता से चेन आधारित जांच की जा रही है।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी को आतंकी साजिश का मुख्य केंद्र बनाया

फरीदाबाद के धौज गांव में 76 एकड़ में फैली अल-फलाह यूनिवर्सिटी को इस आतंकी साजिश का मुख्य केंद्र बनाया गया था। इस यूनिवर्सिटी के पास धौज में 360 किलोग्राम और फतेहपुर तगा में 2553 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, NPK फर्टिलाइजर, राइफल्स, पिस्टल और IED कंपोनेंट्स स्टॉक किए गए थे। विस्फोटक की यह भारी मात्रा इस मॉड्यूल के खतरनाक इरादों को दर्शाती है। यूनिवर्सिटी हॉस्टल के बिल्डिंग नंबर 17 के रूम नंबर 13 और 32 को गुप्त बैठकों का ठिकाना बनाया गया था। यहां से बरामद एक डायरी में 25-30 संदिग्ध नाम, कोडेड एंट्रीज और 8 से 12 नवंबर तक की गई प्लानिंग के नोट्स भी मिले हैं।

डॉ. मुजम्मिल का आर्थिक जाल

जांच में पाया गया है कि डॉ. मुजम्मिल ने लोगों को आर्थिक मदद देकर फंसाया, जिनमें से 20 से ज्यादा लोग अभी हिरासत में हैं। मौलवी की जमीन पर बनाए गए मदरसे में सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए उन्होंने 35 हजार रुपये दिए। इतना ही नहीं, एक गरीब कश्मीरी छात्र के बीमार पिता के इलाज के लिए 50 हजार रुपये भेजे, जिसके बदले में बाद में उस छात्र से IED असेंबल करने में मदद ली गई। एक MBBS छात्र के भाई की शादी के लिए 1 लाख रुपये देकर उसे एक संदिग्ध टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया। जब्त मोबाइल से मिली रिकॉर्डिंग में मुजम्मिल को यह कहते हुए सुना गया, भाई, अल्लाह की राह में मदद करो, सब ठीक हो जाएगा। इसके अलावा धौज के एक मजदूर को भी 5 हजार रुपये ट्रांसफर किए गए थे, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। कार से विस्फोटक लाने के बाद मुजम्मिल धौज के एक सर्विस सेंटर पर धुलाई करवाने जाता था, जिसके संचालक को भी पेमेंट की गई थी और उसे भी अब हिरासत में ले लिया गया है।

यूनिवर्सिटी में 35 कश्मीरी डॉक्टर कार्यरत

यूनिवर्सिटी प्रबंधन का कश्मीरी डॉक्टरों और छात्रों के प्रति व्यवहार भी जांच के घेरे में है। यूनिवर्सिटी से जुड़े एक डॉक्टर और छात्र ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कश्मीरी मुस्लिम डॉक्टर अक्सर तीन-तीन महीने की लंबी छुट्टियां लेकर यूनिवर्सिटी से गायब रहते थे और फिर वापस आकर आसानी से नौकरी ज्वाइन कर लेते थे। दूसरी ओर एक सामान्य डॉक्टर को 10 दिन की छुट्टी लेने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। दिल्ली में खुद को कार समेत उड़ाने वाला डॉ. उमर नबी भी तीन-तीन महीने की छुट्टी काटकर आता था। यूनिवर्सिटी में लगभग 35 कश्मीरी डॉक्टर कार्यरत हैं। प्रबंधन कश्मीर से आने वाले डॉक्टरों की नियुक्ति में ज़्यादा वेरिफिकेशन नहीं करता था, जिस कारण विवादित बैकग्राउंड वाले डॉ. उमर नबी को भी आसानी से नौकरी मिल गई थी। छात्रों के अनुसार कश्मीरी पृष्ठभूमि वालों को कम समय में ही प्रमोशन दे दिया जाता था। डॉ. उमर, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन तीनों ही कई बार एक साथ तीन-चार महीने के लिए गायब होते थे और प्रबंधन को कोई ठोस वजह भी नहीं बताते थे।

बहुत कट्टर विचारधारा

डॉ. उमर नबी की विचारधारा बहुत कट्टर थी। वह छात्रों को उनकी सहपाठी छात्राओं के साथ अधिक बातचीत करने या बैठने पर टोक देता था। वहीं, कश्मीरी छात्रों के प्रति उसका विशेष लगाव था। अगर किसी कश्मीरी छात्र को हॉस्टल में कमरा नहीं मिलता था, तो वह अपना कमरा दे देता था और खुद डॉ. मुजम्मिल के कमरे में जाकर सोता था। ये दोनों देर रात एक लाल इको स्पोर्ट्स कार में घूमने भी जाते थे। हॉस्टल में रह रहे एक छात्र ने बताया कि उसके रूममेट को पुलिस पूछताछ के लिए ले गई थी, जो दो दिन बाद वापस लौटा तो गुमसुम था और उसने आते ही कहा कि वह साथ नहीं रहेगा।

एक और इमाम हिरासत में

शनिवार को भी यूपी एसटीएफ की टीम फतेहपुर तगा स्थित इमाम के मकान पर पहुंची, जहां मुजम्मिल ने किराए पर कमरा लेकर अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था। पूछताछ के बाद एक इमाम को हिरासत में लिया गया। यह इमाम मूल रूप से मेवात के उटावड़ गांव का रहने वाला है और सिरोही गांव में रहता था। डॉक्टर इससे पिंड खजूर लेकर जाता था और इन्हीं लेन-देन के चलते इमाम को हिरासत में लिया गया।

यह पूरी जांच स्पष्ट करती है कि आतंकी संगठनों ने अब शैक्षिक और ग्रामीण क्षेत्रों में घुसपैठ कर एक नया और गोपनीय मॉड्यूल तैयार किया है और सुरक्षा एजेंसियां इस पूरे 200 लोगों के नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ने में जुटी हुई हैं।

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