फील्ड में डीजीपी: रात को कलानौर बार्ड पर पहुंचे डीजीपी, आधा घंटा जवानों के साथ रहे
डीजीपी ओपी सिंह रात को अचानक कलानौर बार्डर पर पहुंचे। 50 किलोमीटर के सफर में कई खामियां मिली तो एक्स पर पोस्ट कर अधिकारियों को दिया अपना संदेश। खामियों पर जताई नाराजगी।
कलानौर बार्डर व यमुनानगर पंचकूला हाइवे पर टोल का निरीक्षण करते डीजीपी ओपी सिंह।
हरियाणा के कार्यवाहक डीजीपी ओपी सिंह बुधवार- वीरवार की रात 11 बजे यमुनानगर के कलानौर बार्ड पर औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे। रात को डीजीपी के बार्डर पर पहुंचने से अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। डीजीपी के पहुंचने की सूचना मिलते ही एसपी कमलदीप गोयल व डीएसपी मौके पर पहुंचे। डीजीपी बार्डर पर आधा घंटा जवानों के साथ डटे रहे। बार्डर पर ट्रैफिक व्यवस्था और सुरक्षा का जायजा लेने के बाद डीजीपी ने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। रात को औचक निरीक्षण पर निकले डीजीपी को अपने 50 किलोमीटर के सफर में कई खामियां मिली। जिनका उल्लेख करते हुए एक्स पर पोस्ट किया। आईपीएस पूरन कुमार सुसाइड विवाद में शत्रुजीत कूपर के छुट्टी पर जाने के बाद कार्यवाहक डीजीपी का पद संभालने के बाद अब तक ओपी सिंह पुलिस अधिकारियों को लिखे अपने पत्रों को लेकर सुर्खियों में रहे थे। अब फील्ड में उतरकर पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान सतर्क रहने का संदेश दे दिया है।
टोल प्लाजा का भी किया निरीक्षण
डीजीपी ओपी सिंह ने यमुनानगर-पंचकूला हाइवे के टोल प्लाजा का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान टोल पर न तो काई पुलिस कर्मी ड्यूटी पर नजर आया और न ही कोई वाहन। ट्रैफिक डायवर्जन प्वाइंट पर एक तरफ से ट्रैफिक को डायवर्ट किया जा रहा था दूसरी तरफ डायवर्जन के लिए न तो कोई साइनबोर्ड दिखा और न ही पुलिस की कोई व्यवस्था। जिसे सुरक्षा व ट्रैफिक के लिए बड़ी खामी मानते हुए डीजीपी ने व्यवस्था को दुरूस्त करने के निर्देश दिए। डीजीपी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखे पोस्ट में लिखा इससे वाहन चालकों को भ्रम की स्थिति हो सकती है और दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।
सुर्खियों में रहे दो पत्र
डीजीपी का कार्यभार ग्रहण करने के बाद ओपी सिंह अधिकारियों को अब तक चार पत्र लिख चुके हैं। जिनमें से दो पत्र सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे। जिनमें तीसरी चिट्ठी में पुलिस कर्मचारियों व अधिकारियों को 'क्राउड' (भीड़) और 'मॉब' (उपद्रवी भीड़) का अंतर बताने के साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए समझाने की सलाह दी। शांतिपूर्ण धरने, प्रदर्शन, जुलूस, रोष मार्च इत्यादि प्रजातंत्र की व्यवस्था बताते हुए बल प्रयोग करने से बचने की नसीहत दी थी। प्रजातंत्र में लाठी डंडे का प्रयोग करने से बचने की सलाह देते हुए कहा था कि लाठी डंडा अंग्रेजों के जमाने की बात है। अपने चौथे पत्र में कहा कि मैं चाहता हूं कि आप यह समझें कि सरकारी दफ्तर लोगों के पैसे से बने हैं। ये उनकी सहायता और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हैं। सबसे पहले अपने ऑफिस की टेबल का साइज छोटा करें। अपनी और विजिटर्स की कुर्सी एक जैसी करें। अपनी कुर्सी पर तौलिया न लगाए और समस्या सुनते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। जिन्हें पब्लिक डीलिंग की समझ नहीं, उन्हें चौकी-थानों से हटाएं। ऑफिस में विजिटर्स के लिए विजिटर्स रूम की व्यवस्था करें, चाय पानी पूछे ताकि विजिटर्स सहज महसूस कर सके।
पीसीआर मिली, पुलिस नहीं
अपने 50 किलोमीटर के सफर में डीजीपी को यमुनानगर-पंचकूला हाइवे पर एक पीसीआर तो खड़ी थी। जिसमें लालबत्ती से ड्यूटी पर होने का संदेश भी दे रही थी, परंतु पीसीआर के आसपास कोई पुलिस कर्मी ड्यूटी पर नजर नहीं आया। डीजीपी ने इसे ड्यूटी में लापरवाही मानते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।
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