मनीषा डेथ मिस्ट्री पर सीएम सैनी ने कहा: हमारी जिम्मेदारी है लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन कर लोगों को राहत देना
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी मनीषा की मौत पर सरकार की गंभीरता को दोहराया। उन्होंने कहा कि दोषी चाहे कोई भी हो, उसे कड़ी सजा मिलेगी।
मुख्यमंत्री नायब सैनी।
युवा शिक्षक मनीषा की मौत ने पूरे हरियाणा को झकझोर कर रख दिया। यह सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई है। भिवानी के ढाणी लक्ष्मण गांव की रहने वाली मनीषा की 11 अगस्त को लापता होने के बाद 13 अगस्त को शव मिला। इस घटना ने लोगों में गहरा रोष पैदा किया। उनको सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मनीषा के पिता संजय का आरोप है कि उनकी बेटी की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक साजिश है। उनका कहना है कि शुरुआत में पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। जब उन्होंने डायल 112 पर कॉल किया तो पुलिसकर्मियों का व्यवहार निराशाजनक था और बाद में थाने में भी उनकी शिकायत को ठीक से नहीं सुना गया।
सीएम की त्वरित कार्रवाई में एसपी और पुलिसकर्मी सस्पेंड
इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने मनीषा के पिता संजय से मुलाकात की और उनकी शिकायतें सुनीं। संजय ने पुलिस द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के बारे में बताया, जिसके बाद सीएम ने सख्त कार्रवाई का आदेश दिया। 15 अगस्त को भिवानी के एसपी का तबादला किया गया और एसएचओ सहित 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
सीएम सैनी ने कहा हमारी जिम्मेदारी है लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन करना और लोगों की बात सुनकर उनको राहत देना। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक जांच भी खोली गई है, ताकि यह पता चल सके कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। यह कदम दर्शाता है कि सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है।
परिवार की दोनों मांगें स्वीकार
परिवार ने न्याय के लिए दो प्रमुख मांगें रखीं। पहली मांग मामले की सीबीआई जांच हो और दूसरी मांग दिल्ली के एम्स में दोबारा पोस्टमॉर्टम कराया जाए। हरियाणा सरकार ने इन मांगों को तुरंत स्वीकार कर लिया। मनीषा के पिता संजय ने वीडियो जारी कर सरकार का आभार व्यक्त किया और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे इस घटना पर राजनीति न करें।
यह निर्णय न सिर्फ परिवार को संतुष्टि देने वाला था, बल्कि इसने सरकार की प्रतिबद्धता को भी उजागर किया कि वह निष्पक्ष जांच चाहती है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस मामले को लेकर बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि दोषी कोई भी हो, उसे सख्त से सख्त सजा मिले।
सवालों के घेरे में पुलिस की भूमिका
पुलिस ने शुरुआत में इस मामले को आत्महत्या बताया और एक सुसाइड नोट भी जारी किया, लेकिन परिवार और ग्रामीणों ने इसे मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि यह हत्या का मामला है और पुलिस सही तरीके से जांच नहीं कर रही है। इस विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई। यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
मनीषा का शव मिलने के बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया और न्याय के लिए धरना-प्रदर्शन शुरू हो गए। यह विरोध तब तक जारी रहा जब तक सरकार ने सीबीआई जांच और एम्स में पोस्टमॉर्टम की मांग स्वीकार नहीं कर ली, 21 अगस्त को मनीषा का अंतिम संस्कार किया गया और 22 अगस्त को अस्थियां गंगा में विसर्जित की गईं। यह एक लंबी और दर्दनाक लड़ाई का अंत था, लेकिन न्याय की तलाश अभी भी जारी है।
सीबीआई जांच पर टिकी उम्मीद
अब जब मामला सीबीआई को सौंपा गया है तो उम्मीद है कि सच सामने आएगा। सीबीआई की निष्पक्ष जांच से ही यह पता चल पाएगा कि मनीषा की मौत का असली कारण क्या था और इसके पीछे कौन लोग जिम्मेदार हैं। इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब जनता एकजुट होकर न्याय की मांग करती है, तो सरकार को भी झुकना पड़ता है।
यह कहानी सिर्फ मनीषा की नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की है जो न्याय के लिए लड़ रहे हैं। यह हमें याद दिलाती है कि न्याय की लड़ाई में हर कदम महत्वपूर्ण होता है और हमें हार नहीं माननी चाहिए। सरकार का यह कदम सही दिशा में एक कदम है, लेकिन असली न्याय तभी मिलेगा जब दोषी पकड़े जाएंगे और उन्हें सजा मिलेगी।