मनीषा मर्डर केस: भिवानी पुलिस 10 दिन में पूरी तरह CBI को ट्रांसफर कर देगी मामला, लिखा पत्र
इस मामले में पुलिस ने कई सबूत जुटाए हैं, जिनमें कॉल डिटेल, सीसीटीवी फुटेज और घटनास्थल से मिला सुसाइड नोट शामिल है। दो ऐसे गवाहों का भी पता लगाया है जिन्होंने सबसे पहले शव देखा था। ये सब सबूत सीबीआई को सौंपे जाएंगे।
हरियाणा के भिवानी में टीचर मनीषा केस की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) करेगी। इस संबंध में भिवानी पुलिस ने सीबीआई को औपचारिक चिट्ठी (प्रपोजल) भेज दी है, जिसके बाद अगले 10 दिनों के भीतर केस की पूरी फिजिकल फाइल सीबीआई को ट्रांसफर कर दी जाएगी। सूत्रों की मानें तो हरियाणा में स्थित सीबीआई की इकाई इस केस को अपने हाथ में ले सकती है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब केस की जांच को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे। भिवानी पुलिस ने इस मामले को लेकर जो जांच की थी, उसकी विस्तृत रिपोर्ट अब सीबीआई को सौंपी जाएगी। इसमें केस की शुरुआत से लेकर अब तक की पूरी जानकारी शामिल होगी। इसके साथ ही, दिल्ली के AIIMS में मनीषा का जो पोस्टमॉर्टम हुआ था, उसकी रिपोर्ट भी CBI को दी जाएगी, ताकि वे इसकी बारीकी से जांच कर सकें।
DGP ने दी जानकारी
हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर ने भिवानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस फैसले की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि हरियाणा पुलिस ने अब तक दो मुख्य पहलुओं पर जांच की है- मनीषा का पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट। चूंकि यह मामला बेहद संवेदनशील और जटिल है, इसलिए सीबीआई की जांच से मामले के अन्य पहलुओं को भी उजागर करने में मदद मिलेगी।
DGP ने स्पष्ट किया कि केस ट्रांसफर होने के बाद सीबीआई अपनी एक अलग FIR दर्ज करेगी। यह कदम इस बात का संकेत है कि अब जांच का तरीका और दायरा दोनों ही बदलने वाले हैं। सीबीआई को इस तरह के मामलों की जांच में विशेषज्ञता हासिल है और उम्मीद है कि उनकी जांच से सच्चाई सामने आ पाएगी।
कुत्तों के झुंड और गवाहों के बयान
केस के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक मनीषा की लाश पर कुत्तों के नोंचने की बात थी। DGP शत्रुजीत कपूर ने इस पर भी अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि घटना के दो चश्मदीद गवाह हैं, जो गांव सिंघानी के रहने वाले हैं। इन गवाहों ने 13 अगस्त को ही हरियाणा सरकार की ई-साक्ष्य ऐप पर अपने बयान दर्ज कराए थे, जिसकी वीडियोग्राफी भी उपलब्ध है। ये दोनों ही गवाह खेत मालिक के यहां काम करते थे और उन्होंने ही सबसे पहले मनीषा की लाश को कुत्तों के झुंड के पास देखा था। इन गवाहों के बयान से इस मामले में एक नई दिशा मिल सकती है।
5 प्रमुख सबूत जो CBI को सौंपे जाएंगे
भिवानी पुलिस ने इस मामले में कई सबूत जुटाए हैं, जो अब सीबीआई को सौंपे जाएंगे। इन सबूतों में शामिल हैं।
1. कॉल डिटेल: पुलिस ने मनीषा के मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली है, जिससे यह साफ हो गया है कि उन्होंने 11 अगस्त को अपने पिता को फोन किया था। यह कॉल डिटेल उनके पिता के बयानों से मेल खाती है। सीबीआई इस कॉल डिटेल से मनीषा की आखिरी कॉल और उस दिन की सभी बातचीत का पता लगाएगी, जिससे कई महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं।
2. CCTV फुटेज: पुलिस ने मनीषा के घर से लेकर घटनास्थल तक के लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में लगे कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली है। इनमें से एक फुटेज में मनीषा को कीटनाशक खरीदते हुए देखा जा सकता है, जो आत्महत्या के एंगल को और मजबूत करता है।
3. सुसाइड नोट: घटनास्थल से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला था। इसकी लिखावट का मिलान मनीषा की हैंडराइटिंग से किया गया, जो पूरी तरह से मैच कर गया। सीबीआई इस सुसाइड नोट की दोबारा जांच कर सकती है ताकि किसी भी तरह के संदेह को दूर किया जा सके।
4. घटनास्थल के वीडियो: हरियाणा सरकार की ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग करके पुलिस ने घटनास्थल के वीडियो बनाए थे। इन वीडियो में दो चश्मदीद गवाहों के बयान भी दर्ज हैं, जिन्होंने मनीषा की लाश के पास कुत्तों का झुंड देखा था। ये वीडियो सीबीआई के लिए महत्वपूर्ण सबूत होंगे।
5. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट: भिवानी अस्पताल, रोहतक PGI और दिल्ली AIIMS में हुए तीन अलग-अलग पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट CBI को सौंपी जाएगी। इसके साथ ही फोरेंसिक रिपोर्ट की पूरी जानकारी भी साझा की जाएगी। यह सभी रिपोर्टें सीबीआई को केस की गहराई से जांच करने में मदद करेंगी।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी लगातार मामले पर नजर बनाए रखे थे
यह मामला इतना संवेदनशील था कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से लेकर DGP शत्रुजीत कपूर तक, सभी लगातार इस पर नजर बनाए हुए थे। DGP खुद रोहतक के सुनारिया में डेरा डाले हुए थे और भिवानी पुलिस अधिकारियों के संपर्क में थे। रोहतक रेंज के आईजी वाई पूरण कुमार भी भिवानी में रहकर टीम को निर्देशित कर रहे थे।
पूरे मामले ने न केवल पुलिस और प्रशासन को हलकान कर दिया, बल्कि हरियाणा में एक बड़ा जन-आक्रोश भी पैदा कर दिया। अब जब जांच सीबीआई को सौंप दी गई है, तो उम्मीद है कि इस मामले में सच्चाई सामने आएगी और मनीषा को न्याय मिलेगा। यह कदम सरकार और पुलिस के लिए भी एक बड़ी राहत है, क्योंकि इससे जनता के बीच उनकी विश्वसनीयता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
अब देखना यह है कि सीबीआई की जांच किस दिशा में जाती है और क्या वह उन सभी सवालों का जवाब दे पाती है जो अब तक अनसुलझे हैं।