भिवानी के 'जगत' का चुनावी जुनून: उपराष्ट्रपति चुनाव में भरा नामांकन, 3 बार राष्ट्रपति पद का पर्चा हो चुका रद्द
उनके चुनाव लड़ने का मुख्य मकसद सरकारी कर्मचारियों के मुद्दों को उठाना और सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर में पानी लाना है। उनका यह प्रयास दिखाता है कि एक आम नागरिक भी अपने मुद्दों को देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंचाने का हौसला रखता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन करने वाले जगत सिंह।
हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले जगत सिंह ने एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरकर सभी को चौंका दिया है। इस बार उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है, 71 वर्षीय जगत सिंह बिजली निगम से क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका यह चुनावी जुनून नया नहीं है। इससे पहले भी वह तीन बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन कर चुके हैं और दो बार लोकसभा तथा एक बार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। उनका हर चुनाव लड़ने का मकसद सिर्फ एक ही है कि सरकारी कर्मचारियों के मुद्दों को उठाना और SYL नहर में पानी लाना।
2012 में रिटायर होने के बाद शुरू किया था चुनावी सफर
जगत सिंह ने अपने चुनावी सफर की शुरुआत 2012 में क्लर्क के पद से रिटायर होने के बाद की थी। उन्होंने रिटायर होते ही सीधे राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। उस समय प्रणब मुखर्जी और पीए संगमा उम्मीदवार थे। हालांकि, उनका नामांकन रद्द हो गया। इसके बाद भी उनका हौसला नहीं टूटा। उन्होंने 2017 में रामनाथ कोविद और मीरा कुमार के खिलाफ, और फिर 2022 में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के खिलाफ भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भरा, लेकिन तीनों बार उनका पर्चा खारिज हो गया।
नामांकन रद्द होने की वजह
राष्ट्रपति चुनाव में नामांकन के लिए कुछ बेहद कड़े नियम हैं। उम्मीदवार के पास 50 सांसदों का प्रस्ताव और 50 सांसदों का अनुमोदन (समर्थन) होना जरूरी है। चूंकि जगत सिंह के पास किसी भी सांसद का समर्थन नहीं था, इसलिए तीनों बार उनका नामांकन रद्द हो गया। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए यह संख्या थोड़ी कम है, जिसमें 20 सांसदों का प्रस्ताव और 20 का अनुमोदन आवश्यक है। इस बार भी उनके पास सांसदों का समर्थन नहीं है, इसलिए उनका नामांकन रद्द होना तय है लेकिन जगत सिंह का कहना है कि उनके लिए चुनाव लड़ना ही सबसे बड़ी जीत है, ताकि वे अपने मुद्दों को देश के सामने ला सकें।
जगत सिंह के चुनावी मुद्दे
जगत सिंह का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की मांगों को पूरा करवाना है। बिजली निगम में नौकरी के दौरान उन्होंने कर्मचारियों के बढ़ते वर्कलोड को करीब से देखा था। वह मानते हैं कि सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को नियमित भर्ती से भरना चाहिए। उनके अन्य प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं।
1. एक्सग्रेसिया पॉलिसी: वह सरकारी कर्मचारियों के लिए एक्सग्रेसिया पॉलिसी शुरू करने की मांग करते हैं।
2. बोनस और पेंशन: वह कर्मचारियों को बोनस और बेहतर पेंशन देने की वकालत करते हैं।
3. SYL नहर का पानी: यह उनका सबसे बड़ा मुद्दा है। वह कहते हैं कि सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर का पानी, जो बेकार पाकिस्तान में जा रहा है, उसे रोका जाना चाहिए और हरियाणा तथा राजस्थान में पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि किसानों को लाभ मिल सके।
जगत सिंह का यह चुनावी सफर आम नागरिक के जज्बे को दर्शाता है
जगत सिंह का यह चुनावी सफर एक आम नागरिक के जज्बे को दर्शाता है, जो भले ही चुनाव न जीत पाए, लेकिन अपने मुद्दों को देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। उनका यह संघर्ष बताता है कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति के पास अपनी आवाज उठाने का अधिकार है।