Tughlaqabad Fort: श्राप से जुड़ी है दिल्ली के तुगलकाबाद किले की कहानी, वीकेंड पर बनाएं घूमने का प्लान

Tughlaqabad Fort: दिल्ली में तुगलकाबाद किला कुतुब मीनार से सिर्फ 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। मान्यता है कि ये किला श्राप के कारण आज तक बन नहीं पाया है। आइए इसके इतिहास के बारे में विस्तार से जानते हैं।

By :  sapnalata
Updated On 2025-05-11 07:01:00 IST

तुगलकाबाद किला।

Tughlaqabad Fort: राजधानी दिल्ली एक ऐतिहासिक नगरी रही है। यहां बने ऐतिहासिक स्थल, इमारतें, किले, मंदिर बहुत ज्यादा लुभावने हैं। जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। दिल्ली में ऐसा ही एक किला जिसे तुगलकाबाद के नाम से जानते हैं। कहा जाता कि इस किले का निर्माण आज भी अधूरा पड़ा है। इसके पीछे बहुत ही दिलचस्प इतिहास छुपा हुआ है। तो चलिए जानते हैं इस आधे-अधूरे किले की पूरी कहानी...

1325 ई. में हुआ इस किले का निर्माण

दिल्ली में स्थित तुगलकाबाद किले का निर्माण सन् 1325 ई. में गयासुद्दीन तुगलक ने करवाया था। इसके निर्माण में लाल बलुआ पत्थर इस्तेमाल किया गया है। यह किला कुतुब मीनार से केवल 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले के तुगलक वंश की निशानी माना जाता है।

यह किला इस्लामिक वास्तुकला का अद्भुत नमूना था, लेकिन अब यह खंडहर हो चुका है और चारों तरफ पेड़ झाड़ जैसी हरियाली देखने को मिलती है। इस किले के खंडहर भी सुंदर लगते हैं। वहीं इस किले के पीछे एक रोचक कहानी भी है।

श्राप के कारण नहीं हुआ पूरा

अगर आप राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली या इसके आसपास के इलाकों में रहते हैं, तो आप इस किले को आसानी से देख सकते हैं। साथ ही दिल्ली में आप दूसरे किलों की भी सैर कर सकते हैं। लेकिन तुगलकाबाद का इतिहास बेहद खास है। दरअसल, ये किला एक श्राप के कारण पूरा नहीं बन पाया है, इसके बावजूद किले को देखने के लिए और इसका रहस्य जानने के लिए लोग दूर-दूर से घूमने आते हैं। यह किला अब एक खंडहर बन चुका है। बता दें कि सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के श्राप के कारण यह किला कभी पूरा नहीं बन पाया। इस अधूरा किले का निर्माण भी 4 साल में किया गया था।

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