New Year 2026: नए साल पर दिल्ली के इन 5 मंदिरों के करें दर्शन, वापस कोई नहीं जाता खाली हाथ
नए साल पर यदि आप भी अपनी साल की शुरुआत भगवान के आशीर्वाद के साथ करना चाहते हो,तो दिल्ली के इन 5 मंदिरों जरूर जाएं। यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
नए साल की शुरुआत में दिल्ली के इन 5 मंदिरों में जरूर जाएं
New Year 2026: नए साल की शुरुआत हमेशा से ही आशीर्वाद और मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ करने की परंपरा रही है। दिल्ली जो ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहरों से भरी हुई है। यहां ऐसे कई मंदिर हैं जहां श्रद्धालु नए साल पर दर्शन के लिए जाते हैं। इनमें से कुछ मंदिरों को 'मनोकामना सिद्ध पीठ' के रूप में जाना जाता है। जहां माना जाता है कि सच्चे मन से आने वाला कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। अगर आप भी 2026 की शुरुआत को शुभ और सफल बनाने की सोच रहे हैं, तो दिल्ली के इन 5 प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन अवश्य करें।
प्राचीन हनुमान मंदिर कनॉट प्लेस
दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित यह प्राचीन हनुमान मंदिर महाभारत काल से माना जाता है। यहां बाल हनुमान की स्वयंभू मूर्ति है। 1964 से लगातार राम धुन चल रही है। जो गिनीज बुक में दर्ज है। मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की विशेष भीड़ लगती है।
गौरी शंकर मंदिर चांदनी चौक
चांदनी चौक में जैन मंदिर के पास स्थित यह 800 साल पुराना मंदिर भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है। यहां प्राचीन शिवलिंग है, जिसके चारों ओर चांदी की सर्प बने हैं। गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां भी हैं। महाशिवरात्रि पर यहां विशेष उत्सव होता है और भक्तों भीड़ लगती है।
झंडेवालान मंदिर करोल बाग
करोल बाग के पास झंडेवालान मंदिर मां दुर्गा के आदि शक्ति रूप को समर्पित प्राचीन मंदिर है। नाम झंडे चढ़ाने की परंपरा से पड़ा। यहां मां झंडेवाली की मूल मूर्ति नीचे और ऊपर सरस्वती-काली की मूर्तियां हैं। नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है।
दिल्ली का बिरला मंदिर
बिरला परिवार द्वारा 1933-1939 में बनवाया गया यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। महात्मा गांधी ने इस मंदिर का उद्घाटन अपने हाथों से किया था उन्होंने इस मंदिर को सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए खुलवाया था। यहां सुंदर बगीचे,झरने और कई छोटे मंदिर हैं। जन्माष्टमी और दिवाली पर यहां विशेष पूजा होती है।
दिल्ली का कालका जी मंदिर
दक्षिण दिल्ली में स्थित कालका जी मंदिर मां काली को समर्पित प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने यहां पूजा की थी। स्वयंभू पिंडी रूप में यहां मां विराजमान हैं। नवरात्रि में लाखों भक्त इस मंदिर में आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।