Delhi temple: दिल्ली के झंडेवालान मंदिर का कैसे पड़ा ये नाम?, क्या है इसका इतिहास; यहां जानें

दिल्ली के झंडेवालान मंदिर का कैसे पड़ा ये नाम?, क्या है इसका इतिहास; यहां जानें
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Jhandewalan Devi Mandir

Delhi temple: दिल्ली के करोल बाग में स्थित झंडेवालान मंदिर के बारे में हर कोई जानता है। लेकिन इस मंदिर से इतिहास के बारे में काफी कम लोग जानते हैं।

Jhandewalan Devi Temple: देश की राजधानी दिल्ली में कई ऐसे मंदिर है जो अपने आप में विशेष महत्व रखता है। दिल्ली के करोल बाग में स्थित झंडेवालान मंदिर के बारे में हर कोई जानता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर इस मंदिर की स्थापना किसने की थी। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

दिल्ली के झंडेवालान मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर की स्थापना बद्री दास नामक एक प्रसिद्ध कपड़ा व्यापारी ने की थी। यह व्यापारी अक्सर अरावली पर्वतमाला पर जाता था, यह अरावली की पहाड़ी वनस्पतियों और जीवों से आच्छादित थी। एक दिन व्यापारी झरने के पास खुदाई कर रहा था, उस व्यापारी को खुदाई में एक झंडा दिखाई देता है। साथ ही झंडेवाली माता की खंडित मूर्ति और नाग की नक्काशी वाला एक पत्थर का शिवलिंग मिलाता है। भगवान में आस्था होने के कारण बद्री दास खंडित मूर्ति को बिना कोई क्षति पहुंचाए उसी स्थान पर एक मंदिर बनाकर मूर्ति को स्थापित कर देता है। इसी मंदिर को आज झंडेवालान मंदिर के नाम से जाना जाता है।

कब तक खुला रहता है मंदिर?

यह झंडेवालान मंदिर वर्तमान समय में करोल बाग में स्थित है। इस मंदिर में झंडे वाली माता की पूजा की जाती है। देवी के इस मंदिर में दिल्ली ही नहीं बल्कि, आसपास के शहरों के श्रद्धालुओं की भी बड़ी आस्था है। नवरात्र के दिनों में यह मंदिर केवल 4 घंटे ही बंद रहता है साथ ही भक्तों की भीड़ देखते हुए मंदिर प्रशासन मंदिर की सुरक्षा के साथ-साथ भजन कीर्तन और प्रसाद का विशेष प्रबंध किया जाता है।

झंडेवालान मंदिर के दर्शन का एक समय निर्धारित किया गया है। झंडेवाली माता के दर्शन के लिए आप सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए खाने के साथ मेडिकल का सुविधा

नवरात्रि के दिनों में मंदिर को लाइटों से सजाया जाता है। भक्तों के लिए खाने के साथ व्रत वाला भोजन भी बनाया जाता है। मंदिर में आने वाले भक्तों को उत्सव का माहौल और आनंद की अनुभूति होती है। दोपहर के समय मंदिर के परिसर में भंडारा भी कराया जाता है। इसके बाद बाहर निकलते ही भक्तों के लिए चाय और रस का भी इंतजाम किया जाता है। मंदिर परिसर के अंदर श्रद्धालुओं के लिए एक मेडिकल टीम भी मौजूद रहती है।

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