Guru Nanak Jayanti: ये हैं दिल्ली के 5 प्रसिद्ध गुरुद्वारे, जिनकी खूबसूरती मन मोह लेती है

Guru Nanak Jayanti Special: 5 नवंबर को सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव की जयंती है। इस पावन अवसर पर हम आज आपको दिल्ली के 5 सबसे प्रसिद्ध और खास गुरुद्वारों के बारे में  बताएंगे।

Updated On 2025-11-04 07:00:00 IST

दिल्ली के 5 प्रसिद्ध गुरुद्वारे 

Guru Nanak Jayanti: भारत अनेकता में एकता वाला देश है। यहां हर धर्म को बराबर सम्मान दिया जाता है। 5 नवंबर को सिख समुदाय के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती है। वो सिख समुदाय के गुरु ही नहीं, बल्कि सिख धर्म के संस्थापक भी हैं। उन्होंने 15वीं से 16वीं सदी के आसपास सिख धर्म की स्थापना की थी और ओंकार का संदेश दिया था। गुरु नानक जयंती सिख समुदाय का सबसे पवित्र पर्व है। इसे भक्तिभाव और बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

ऐसे में अगर आप गुरु नानक जयंती वाले दिन गुरुद्वारे जाने का मन बना रहे हैं, तो इसके लिए आपको ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। केवल दिल्ली में ही सैकड़ों की संख्या में गुरुद्वारे हैं। इनमें से कुछ ऐसे गुरुद्वारे हैं, जो काफी प्रसिद्ध हैं। श्रद्धालुओं को यहां जाना काफी पसंद भी है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इन गुरुद्वारों में जाकर उन्हें सकारात्मकता का अनुभव होता है और दिल को काफी सुकून और दिमाग को शांति मिलती है। आइए जानते हैं यहां के प्रसिद्ध गुरुद्वारों के बारे में...

1. गुरुद्वारा बंगला साहिब


बंगला साहिब दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। यह दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित है। वहीं ऐसी मान्यता है कि यह गुरुद्वारा हर किशन जी को समर्पित है। यह सिख धर्म के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। इसे जनरल सरदार भगेल सिंह द्वारा साल 1783 में बनवाया गया था। यहां पर पूरे साल लंगर चलता है। ऐसी मान्यता है कि यह गुरुद्वारा पवित्र और रोगनाशक है। इस गुरुद्वारे की शांत झील और इसकी सजावट भक्तों को एक अलग ही सुकून देती है।

2. गुरुद्वारा शीश गंज साहिब


यह गुरुद्वारा दिल्ली के चांदनी चौक में है। इसे सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की शहादत के रूप में याद किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के कहे अनुसार गुरु तेग बहादुर ने धर्म नहीं बदला था। इस वजह से उन्हें 11 नवंबर 1675 को मार दिया था। जिसके चलते 1783 में गुरु तेग बहादुर की शहादत के उपलक्ष्य में इसे बनवाया गया था। इस गुरुद्वारे में कीर्तन सुनने और संगत में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। यह गुरुद्वारा दिल्ली के सबसे पुराने गुरुद्वारों में से एक है।

3. गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब


सिख मान्यताओं के अनुसार, ये वो गुरुद्वारा है जहां गुरु तेग बहादुर सिंह जी का अंतिम संस्कार किया गया था। बताया जाता है कि हत्या करने बाद औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर का शव देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद गुरु तेग बहादुर के शिष्य लाखा शाह बंजारा अंधेरे में उनका शव ले गए और इस स्थान पर ला कर अंतिम संस्कार कर दिया। इसीलिए यह गुरुद्वारा सिख धर्म के लिए बहुत खास है। वहीं सिख धर्म के अनुयायी आज भी यहां आकर गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि देते हैं। यह गुरुद्वारा दिल्ली में संसद भवन और राष्ट्रपति भवन के पास है।

4  गुरुद्वारा बाला साहिब


यह गुरुद्वारा सिख धर्म के आठवें गुरु हरकिशन और अंतिम गुरु गोविंद की पत्नियों- सुंदरी और माता साहिब कौर को समर्पित है। यह बाला साहिब को 5 साल की उम्र में गुरु बनने के सम्मान में दिया गया था। इन्होंने उस समय दिल्ली में हैजा और चेचक जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मदद की थी। हालांकि वो बाद में खुद इस बीमार से संक्रमित हो गए थे। इसके चलते अल्पआयु में उनका निधन हो गया। यह गुरुद्वारा दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित है।

5. गुरुद्वारा माता सुंदरी


यह गुरुद्वारा गुरु गोविंद सिंह की पत्नी माता सुंदरी के नाम पर है। बताया जाता है कि इस स्थान पर साल 1747 में माता सुंदरी ने अंतिम सांस ली थी। गुरु गोविंद सिंह के निधन के बाद माता सुंदरी ने 40 सालों तक सिखों का नेतृत्व किया था। सिख धर्म के लोग माता सुंदरी का बहुत सम्मान करते हैं। वे मार्गदर्शन के लिए हमेशा माता सुंदरी को अपना गुरु मानते हैं। इस स्थान पर माता सुंदरी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था। इसलिए इस गुरुद्वारे को उनका नाम दिया गया है। वहीं यह गुरुद्वारा दिल्ली में माता सुंदरी कॉलेज के पास स्थित है।

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