Supreme Court Order: '3 नवंबर को पेश हों...', सभी राज्यों के सचिवों को 'सुप्रीम' आदेश, क्या है मामला?

Stray Dogs Issue: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा हलफनामा न दाखिल करने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को कोर्ट में पेश होकर जवाब देने का आदेश दिया है।

Updated On 2025-10-27 14:05:00 IST

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के मामले में पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल न करने पर तलब किया। कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ कुछ राज्यों ने ही अनुपालन हलफनामा दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिससे विदेशों में भारत की छवि खराब हो रही है।

इसके बावजूद राज्यों ने अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के मुख्य सचिव 3 नवंबर को पेश हों। दरअसल, कोर्ट ने 22 अगस्त को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

सिर्फ 3 हलफनामे दाखिल

इस मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने पाया कि 22 अगस्त के आदेश के अनुसार, सिर्फ 3 अनुपालन हलफनामे दाखिल किए गए हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और एमसीडी शामिल हैं। ऐसे में कोर्ट ने आदेश का पालन न करने वाले सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अगले सोमवार यानी 3 नवंबर तक पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने यह भी कहा कि चूक करने वाले राज्यों की ओर से सुनवाई के दौरान कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।

'ऑडिटोरियम में लगाएंगे अदालत...'

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने पूछा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ने हलफनामा दाखिल क्यों नहीं किया? मुख्य सचिव स्पष्टीकरण दें। जस्टिस विक्रम ने आगे कहा कि अगर राज्यों के मुख्य सचिव उपस्थित नहीं हुए, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा या कठोर कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या अधिकारियों ने अखबार या सोशल मीडिया नहीं पढ़ा? अगर उन्हें नोटिस भी नहीं मिला, तब भी उन्हें यहां पर होना चाहिए था। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि सभी मुख्य सचिव 3 नवंबर को यहां उपस्थित रहें, वरना हम ऑडिटोरियम में अदालत लगाएंगे।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 11 अगस्त को कोर्ट की दो जजों की बेंच ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को कुत्तों को शेल्टर में शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे। हालांकि उनकी रिहाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का यह निर्देश नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद के अधिकारियों पर भी लागू किया गया था। बाद में यह मामला तीन जजों की बेंच के पास ट्रांसफर कर दिया गया, जिसके बाद इस आदेश पर रोक लगा दी गई। बेंच का कहना है कि उपचारित और टीकाकृत कुत्तों को छोड़ने पर रोक लगाना बहुत कठोर है।

इसके बाद इस मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर की जगह पूरे देश में बढ़ा दिया गया था। बेंच ने साफ किया कि अधिकारियों द्वारा उठाए गए आवारा कुत्तों को एबीसी के नियमों के अनुसार, उसी क्षेत्र में उपचार/टीकाकरण के बाद वापस छोड़ दिया जाएगा। हालांकि इसमें रेबीज से संक्रमित, रेबीज से संक्रमित होने का संदेह वाले और आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों के लिए अपवाद बनाया गया।

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