Stubble Burning: पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने पर सख्ती... 50 फीसदी मामले कम, देखें रिपोर्ट

Stubble Burning Cases: पंजाब और हरियाणा में पिछले एक साल में पराली जलाने की घटनाओं में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। इसके अलावा पिछले 2 सालों में दोनों राज्यों में पराली जलाने को लेकर 68 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

Updated On 2025-12-09 11:06:00 IST
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में गिरावट।

Stubble Burning Cases: दिल्ली से सटे पंजाब और हरियाणा राज्यों में पराली जलाने के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से मिले आरटीआई आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 की तुलना में इस साल खेतों में पराली जलाने की घटनाएं लगभग 50 फीसदी से ज्यादा कम हुई हैं। पिछले एक साल के अंदर किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर संख्या 6,469 से घटकर 2,193 पर आ गई है।

इससे पता चलता है कि दोनों राज्यों में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए सख्ती अपनाई जा रही है। आरटीआई के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में पंजाब में पराली जलाने के 5,802 मामले और हरियाणा में 667 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, इस साल यह संख्या पंजाब में घटकर 1,963 और हरियाणा में 230 पर पहुंच गई।

दिल्ली के आसपास के राज्यों में कितने मामले?

साल 2024 में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की कुल 12,750 घटनाएं दर्ज की गईं थीं। वहीं, इस साल यह संख्या घटकर 6,080 रह गई। इससे साफ होता है कि दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में 53 फीसदी तक की गिरावट हुई है।

जुर्माना भी लगाया गया

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने वाली किसानों के खिलाफ कार्रवाई भी कई गई। नियमों का उल्लंघन करने पर किसानों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया। आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में पराली जलाने के लिए पंजाब में 21.80 करोड़ रुपये और हरियाणा में 21.87 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

इसके अलावा साल 2025 में पराली जलाने के मामलों में कमी आई। इसके बावजूद पंजाब में 12.58 करोड़ रुपये और हरियाणा में 12.65 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। पिछले 2 सालों में दोनों राज्यों में लगभग 68 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

दिल्ली में पराली जलाना प्रदूषण का कारण!

पिछले कुछ सालों में दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलाने के मामलों गिरावट दर्ज की गई है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना नहीं है। नोएडा के एनवायरनमेंट एक्सपर्ट अमित गुप्ता ने कहा कि पराली जलाने के मामलों में 50 फीसदी की कमी के बावजूद साल 2025 में प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ। इससे साफ होता है कि दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य स्रोत सिर्फ पराली जलाना नहीं, बल्कि अन्य चीजें हैं।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अक्टूबर और नवंबर के महीनों में ज्यादातर दिनों में दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का योगदान 5 फीसदी से भी कम रहा है।

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