Delhi Metro: DMRC ने चलती मेट्रो लाइन के नीच बनाई टनल, ट्रेनें भी नहीं रुकीं, कैसे हुआ ये कमाल?

Delhi Metro Tunneling: डीएमआरसी ने रेल लाइन मेट्रो के नीचे पुलबंगश इलाके में टनल निर्माण का काम पूरा कर लिया है। इस दौरान रेड लाइन पर मेट्रो सेवाओं को रोका नहीं गया। जानें कैसे हुआ ये कमाल...

Updated On 2025-12-01 07:50:00 IST

DMRC ने चलती मेट्रो लाइन के नीच बनाई टनल।

Delhi Metro Tunneling: दिल्ली मेट्रो के चौथे फेज के तहत विस्तार का काम चल रहा है। इस फेज में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। डीएमआरसी ने पहली बार परिचालित रेड लाइन के ठीक नीचे पुलबंगश इलाके में अंडरग्राउंड टनल का निर्माण कर लिया है। सबसे खास बात यह है कि टनल निर्माण के दौरान रेड लाइन पर ट्रेनें एक भी दिन नहीं रुकीं।

इसे डीएमआरसी की सबसे चुनौतीपूर्ण इंजीनियरिंग सफलता मानी जा रही है। डीएमआरसी ने पुलबंगश इलाके में जिस टनल का निर्माण किया है, वो जनकपुरी वेस्ट-आरके आश्रम मार्ग मैजेंटा लाइन एक्सटेंशन का ही हिस्सा है। इसकी डेडलाइन साल 2026 के अंत कर तय की गई है।

चलती मेट्रो लाइन के नीचे खुदाई

डीएमआरसी ने मैजेंटा लाइन के एक्सटेंशन प्रोजेक्ट के तहत सुरंग का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है, पुलबंगश और सदर बाजार खंड को जोड़ती है। इस जगह पर टनल बनाना काफी मुश्किल था, क्योंकि ऊपर रेड लाइन पर ट्रेनें चल रही थीं। दिल्ली मेट्रो का यह लाइन काफी ज्यादा व्यस्त रहती है।

डीएमआरसी के अनुसार, पूरे परिचानल के दौरान व्यस्त रेड लाइन पर ट्रेनें चलती रहीं, जबकि नीचे टनल खोदने का काम चलता रहा। सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम) एलिवेटेड वायडक्ट के ठीक नीचे काम करती रही। यह काम बहुत ही सावधानी के साथ किया गया, क्योंकि जरा सी लापरवाही भी बड़ी परेशानी बन सकती थी।

कैसे पूरा किया गया काम?

इस टनल के निर्माण के लिए डीएमआरसी के इंजीनियरों ने काफी सावधानी बरती। इंजीनियरों ने रेड लाइन के पियर के आसपास के इलाके को मजबूत करने के लिए एक डिटेल्ड स्ट्रेटेजी अपनाई गई। बता दें कि रेड लाइन जिस ऊंचे पुल (वायडक्ट) पर चलती है, उसे नीचे से कई मजबूत खंभे संभालते हैं इन्हें पियर कहा जाता है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्यूब-ए- मैनचेट (टीएएम) नाम का एक ग्राउटिंग प्रोग्राम लागू किया गया। इस टेक्नोलॉजी के हिसाब से पियर के आसपास 180 टीएएम बोरहोल लगाए गए। उसके बाद, मिट्टी को स्थिर करने, खाली जगहों को भरने और इस प्रोसेस में लोड उठाने की क्षमता बढ़ाने के लिए हाई स्ट्रेंथ सीमेंट ग्राउटिंग भी की गई। इंजीनियरों ने सुनिश्चित किया कि टनलिंग के दौरान मिट्टी के बैठने की कोई संभावना न हो।

रियल टाइम मॉनिटरिंग से काम आसान

टनल निर्माण के दौरान जमीन में होने वाली हलचलों और पियर के व्यवहार से लेकर बिल्डिंग की सुरक्षा को रियल टाइम के आधार पर मॉनिटर किया गया। इसके लिए कई अलग-अलग मीटर और मशीनों का इस्तेमाल किया गया। इनमें सरफेस सेटलमेंट मार्कर, बिल्डिंग सेटलमेंट प्वाइंट, डीप इनक्लिनोमीटर, पियर टिल्ट मीटर और लोड सेल, ऑटोमैटिक टोटल स्टेशन (एटीसी) जैसे कुछ उपकरण शामिल हैं। इन मशीनों को रीडिंग पर नजर रखने के लिए 24 घंटे एक्सपर्ट्स को तैनात किया गया था।

फेज-4 प्रोजेक्ट का काम आसान

डीएमआरसी ने इस सेक्शन पर डाउनलाइन टनल का निर्माण कार्य अब पूरा हो गया है। अभी एक तरफ से टनल बनाई गई है, जबकि दूसरी ओर से जोर-शोर से काम चल रहा है। अपलाइन टनल पर भी उसी लेवल की सावधानी और मॉनिटरिंग के साथ काम चल रहा है। यह निर्माण कार्य फेज-4 प्रोजेक्ट के तहत बहुत महत्वपूर्ण था। बता दें कि दिल्ली मेट्रो की रेड लाइन पर हर दिन करीब सात लाख यात्री सफर करते हैं। अगर इस लाइन पर ट्रेनों की आवाजाही रोकी जाती है, तो यात्रियों को काफी ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ेगा।

अगर आपको यह खबर उपयोगी लगी हो, तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें। हर अपडेट के लिए जुड़े रहिए haribhoomi.com के साथ।

Tags:    

Similar News