Delhi High Court: हाई कोर्ट ने MCD-DJB को लगाई फटकार, नालों की सुरक्षा को लेकर नाराजगी

दिल्ली हाईकोर्ट ने नालों की मरम्मत, फ्लड चैंबर को ढकने, नालों के किनारे बैरिकेडिंग लगाने और जलभराव रोकने जैसे जरूरी कामों के लिए दिल्ली जल बोर्ड और एमसीडी को निर्देश दिए हैं।

Updated On 2025-12-06 12:35:00 IST
दिल्ली हाई-कोर्ट 

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने नालों की मरम्मत और सुरक्षा को लेकर की जा रही लापरवाही पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने MCD और दिल्ली जल बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि ये सिर्फ एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं ह बल्कि लोगों की जान से जुड़ी बात है। इसके बाद कोर्ट ने MCD और DJB ने मामलों में तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा गया कि एमसीडी के पास फ्लड चैंबर को ढकने, नालों के किनारे बैरिकेडिंग लगाने और जलभराव रोकने जैसे जरूरी कामों के लिए पर्याप्त फंड नहीं है। इस दौरान एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार ने कोर्ट में कहा कि निगम गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसके कारण कोर्ट के कई निर्देशों को लागू करने में परेशानी हो रही है। इस पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए कि वो दिल्ली नगर निगम की वित्तीय हालत की तत्काल जांच करें।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली की एक रिहायशी कॉलोनी में हुए जलभराव पर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सुनवाई की। इस पर कोर्ट ने नाले बनाने, फ्लड चैंबर को ढकने, नालों के किनारे बैरिकेडिंग लगाने और जलभराव रोकने के लिए अन्य मरम्मत कार्यों के निर्देश दिए थे। पहले के निर्देशों के मुताबिक जलनिकासी के लिए छिद्रयुक्त नाले तो बना दिए गए लेकिन बजट न होने के कारण बैरिकेडिंग का काम रुक गया।

एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार ने कोर्ट में कहा कि नालों को ढकने और बैरिकेडिंग के लिए 1 से 1.5 करोड़ रुपये की जरूरत है। ऐसे में निगम के ऊपर पहले से ही 15,791 करोड़ रुपए की देनदारियां हैं। अभी तक वित्त आयोग का गठन भी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि एमसीडी अपने स्तर पर संसाधन जुटाने की कोशिश कर रहा है लेकिन आर्थिक हालात बेहद खराब हैं।

हाई कोर्ट ने एमसीडी की दलीलों पर चिंता जताते हुए कहा कि नालों की इस स्थिति से बच्चों, बुजुर्गों और आम लोगों की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ता है। जस्टिस प्रभात एम. सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा कि एमसीडी को हाथ पकड़कर हर कदम चलाना पड़ रहा है, जो काफी कठिन है। इसके बाद अदालत ने तीन महीने के अंदर नालों का काम पूरा करने के टेंडर निकालने, नालों को ढकने और बैरिकेडिंग का काम पूरा करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड को भी फटकार लगाई। बेंच की तरफ से कहा गया कि दिल्ली जल बोर्ड ने समय रहते आपत्ति नहीं उठाई और अब नाले के पुनर्निर्माण वाली जगह पर बड़ी पाइपलाइन की बात कर रहे हैं। कोर्ट ने एमसीडी और दिल्ली जल बोर्ड को निर्देश दिए कि दोनों साथ मिलकर काम करें। आरोप-प्रत्यारोप करने की जगह समाधान निकालें। 19 दिसंबर को इस मामले में दोबारा सुनवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि उम्मीद है कि तब तक दोनों ठोस प्रगति दिखाएंगे।

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