संस्कृत में बात करना सिखाएगा रविवि: विद्यार्थी अंग्रेजी नहीं अब देववाणी में करेंगे अभिवादन

पं. रविशंकर शुक्ल विवि अब अपने विद्यार्थियों को संस्कृत में बात करना सिखाएगा। इसके लिए केंद्रीय संस्कृत विवि की सहायता ली जा रही है।

Updated On 2025-09-01 10:20:00 IST

पं. रविशंकर शुक्ल विवि (फाइल फोटो) 

रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विवि अब अपने विद्यार्थियों को संस्कृत में बात करना सिखाएगा। इसके लिए केंद्रीय संस्कृत विवि की सहायता ली जा रही है। छात्रों को संस्कृत में वार्तालाप सिखाने विशेष रूप से एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया है। विवि में स्थापित भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र के अंतर्गत इस पाठ्यक्रम का संचालन होगा। कला एवं भाषा विभाग के अंतर्गत जर्मन, फ्रेंच सहित इंग्लिश भाषा में डिप्लोमा पाठ्यक्रम रविवि पहले से ही संचालित कर रहा है। अब देववाणी में भी छात्रों को वार्तालाप करना सिखाया जाएगा।

शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इसकी शुरुआत की गई है। फिलहाल 2-3 सीटों पर ही प्रवेश हो सका है। खाली रह गई सीटों पर 5 सितंबर तक प्रवेश दिए जाएंगे। ना केवल संस्कृत के इस विशेष पाठ्यक्रम बल्कि विवि अध्ययनशाला और महाविद्यालयों में संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार 5 सितंबर तक दाखिले दिए जा सकेंगे। रविवि प्रबंधन का कहना है, संस्कृत भाषा वैज्ञानिकी भाषा है। संस्कृत में कृषि, कला, साहित्य, विज्ञान, दर्शन, प्रबन्धन, तकनीक, आयुर्वेद, विधि आदि का मौलिक ज्ञान निहित है। संस्कृत-अध्ययन केंद्र द्वारा सरलता से संस्कृत के विविध क्षेत्रों का ज्ञान छात्र प्राप्त कर सकते हैं

दिया जाएगा व्यवहारिक ज्ञान
अब तक हिंदी इंग्लिश जैसी भाषाओं सहित संस्कृत में भी स्नातकोत्तर की उपाधि रविवि द्वारा दी जाती रही है। इसमें संस्कृत व्याकरण सहित कई अन्य चीजे शामिल रहती हैं। लेकिन संस्कृत डिप्लोमा में छात्रों को केवल व्यवहारिक ज्ञान ही प्रदान किया जाएगा। उन्हें यह बताया जाएगा कि संस्कृत के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए किस तरह से संवाद किया जाना है। रोजमर्रा के जीवन में इसके प्रयोग पर जोर दिया जाएगा। केंद्रीय संस्कृत विवि के सहयोग से संचालित किए जा रहे इस पाठ्यक्रम की राज्य प्रनारी मिशा मिश्रा ने बताया कि देशभर के कई विश्वविद्यालयों में ये पाठ्यक्रम संचालित हैं। रविवि ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाते हुए आवेदन दिया था। इसके पश्चात पाठ्यक्रम के लिए एक केंद्र रविवि अध्ययनशाला में खोला गया है।

ऑनलाइन होगी परीक्षा
संस्कृत पाठ्यक्रम की फीस 1200 रुपए निधारित की गई है। पंद्रह वर्ष से अधिक आयु का कोई भी संस्कृत का जिज्ञासु संस्कृतभाषा-प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकता है। संस्कृतभाषा-प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके बाद ही प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। ये क्रेडिट आधारित अंशकालिक पाठ्यक्रम हैं। पाठ्यक्रम का नाम संस्कृतमाषा प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम रखा गया है। अध्येता समर्थ पोर्टल के माध्यम से आपना विवरण भर कर नामांकन कर सकते हैं। अध्येताओं की सुविधानुसार संस्था के द्वारा कक्षा की समय सारिणी निर्धारित की जाएगी। पाठ्यक्रम पूर्ण होने के बाद मई 2026 में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा आनलाइन माध्यम से परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।

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