सावन सोमवार: सतिघाट शिवधाम में आयोजित होंगे भक्ति कार्यक्रम, भक्त करेंगे भगवान शिव के दर्शन
भैरवी नदी तट पर स्थित सतिघाट शिवधाम में सावन सोमवार के अवसर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। मंदिर तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है।
सतिघाट शिवधाम मंदिर
कोतबा। छत्तीसगढ़ के कोतबा में सावन सोमवार के अवसर पर शिवभक्ति का अनुपम दृश्य देखने को मिलेगा। जहां सावन मास के अंतिम सोमवार को सतीघाट शिव मंदिर धाम में 04 अगस्त 2025 को विभिन्न कार्यक्रम पूर्ण श्रद्धा एवं आस्था से आयोजित किया जा रहा है। जिसमें प्रातः 04:00 बजे से भगवान शिव की भस्म आरती की जाएगी जिसके बाद प्रातः 4:30 बजे से भक्तगणों को जलाभिषेक करने पट खोल दिए जाएंगे। जिसके बाद प्रातः 10:00 बजे से सतिघाट में विशाल भण्डारा का आयोजन जा रहा है।
वहीं दोपहर 12:30 से महा रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा। वही शाम 04:00 बजे से सुन्दरकाण्ड पाठ का भव्य आयोजन होना है। वही संध्या 06:00 बजे से भोलेबाबा का आकर्षक श्रृंगार पंडित धीरज शर्मा शास्त्री द्वारा किया जाएगा 07:00 बजे से बाबा महाकाल का श्रृंगार दर्शन एवं ढोल-बाजे के साथ महाआरती साथ ही भगवान शिव की फूलो से होली आकर्षक आतिशबाजी भोलेबाबा की संगीतमय भजन-कीर्तन व महाप्रसाद वितरण जैसे विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित होने है जिसे लेकर शिवभक्तों ने पहले से तैयारियां पूर्ण कर ली है भक्तो के आवागमन को लेकर बहुत परेशानी हो रही है। हालांकि नगरवासियों द्वारा श्रमदान कर भक्तो के आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाए जा रहे है। गौरतलब है कि वर्षों से यह धार्मिक परंपरा कोतबा क्षेत्र में चलती आ रही है, जिसमें श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। गुप्तेश्वर महादेव धाम को लेकर लोगों की आस्था अत्यंत प्रगाढ़ है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं युवा स्वयंसेवकों का सहयोग भी आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है।
बहती नदी पार कर दर्शन करने पहुंचते है हजारों शिवभक्त
सतिघाट शिवधाम में बस्ती व मंदिर के मार्ग के मध्य भैरवी नदी इन दिनों काफी उफान पर बह रही है। जिसे हजारो श्रद्धालुओं को नदी पार कर के भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचते है। जिसके सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन द्वारा कोई कार्य नही किया गया है। नदी में पहले बच्चों के बहने से मौत भी हो चुकी है बावजूद शाशन प्रशासन द्वारा कोई सुरक्षा व्यवस्था प्रदान नही की जाती है। मजबूरन नगरवासी ही श्रमदान कर वैकल्पिक मार्ग बनाते है और कार्यक्रम को धूमधाम से सम्पन्न कराते है।