फादर्स डे स्पेशल: पिता थे नक्सली कमांडर, बेटी को अफसर बनाने के लिए दिन- रात कर रहे हैं मेहनत

पिता रमेश जो पहले नक्सली कमांडर थे, लेकिन सरेंडर होने के बाद वो अपनी बेटी को पढ़ा रहे हैं। वे दोनों मिलकर अपनी बेटी को एक सफल अधिकारी बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

Updated On 2025-06-14 20:12:00 IST

 अपने परिवार के साथ पूर्व नक्सली कमांडर रमेश 

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। फादर्स डे के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं, एक पिता का अपनी बेटी को एक अधिकारी बनाने का सपना साकार करने का संघर्ष और समर्पण की कहानी। रमेश एक साधारण रहने वाला व्यक्ति, अपनी बेटी मनीषा को उच्च शिक्षा दिलाने और उसे एक सफल अधिकारी बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। वह अपनी छोटी सी आय में से भी मनीषा की पढ़ाई के लिए पैसे बचाता है और उसे हर संभव मदद कर रहा है।

वहीं मनीषा भी अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए जी-जान से मेहनत कर रही है। रमेश जो एक साधारण व्यक्ति है, अपनी बेटी मनीषा को एक अधिकारी बनाने के सपने को पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। यह बातें शहर के वृंदावन कालोनी में निवासरत रमेश पोड़यामी ने कही। उसने बताया कि वह वर्ष 2000 से पूर्व नक्सली कमांडर रहा, उसी दौरान महिला नक्सली लता के साथ विवाह किया। उसके बाद उसने पत्नी के साथ मुख्य धारा जीने के लिए आत्मसमर्पण किया। उसे शहीद पार्क में निगम की ओर से नौकरी दी वर्तमान में निगम के पीएचई में काम कर रहे हैं और उनकी पत्नी बोधघाट में सहायक आरक्षक पद पर पदस्थ हैं। वर्ष 2005 में पुत्री मनीषा का जन्म हुआ, उसके बाद से इच्छा है कि वह पुत्री को अधिकारी बनाना है, इसके लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। 


पुलिस अधिकारी बनना चाहती है बेटी
रमेश ने बताया कि वर्तमान में पुत्री ने बायो विषय में कक्षा 12 वीं उत्तीर्ण किया है और आगे पढ़ा रहे हैं, जिससे वह अधिकारी बन सकें। मनीषा ने बताया कि उसकी मां चाहती है कि मैं पुलिस विभाग में पदस्थ होकर लोगों की सेवा कर सकूं।

Tags:    

Similar News