हाईकोर्ट का निर्णय: आरोपियों की उम्र को देखते हुए मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला
बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया है। आरोपियों की उम्र को देखते हुए मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला ।
बिलासपुर हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरू की डीबी ने जनवरी 2021 में 16 वर्ष की नाबालिग से दुष्कर्म व हत्या, पीड़िता के पिता एवं चार वर्ष के मासूम भतीजी की क्रूरतापूर्वक हत्या करने वाले आरोपियों को सत्र न्यायालय से सुनाई गई मृत्युदंड की सजा को प्राकृतिक जीवन तक कैद की सजा में बदला है। वहीं एक आरोपी को पहले ही सत्र न्यायालय से प्राकृतिक जीवन तक कैद की सजा सुनाई गई है, इस कारण से उसकी अपील को खारिज किया गया है।
कोरबा जिला क्षेत्र निवासी कोरवा विशेष जनजाति समुदाय का सतरेंगा निवासी संतराम मझवार जिस परिवार को मौते के घाटा उतारा था वहां मवेशी चराने का काम करता था। शर्त के अनुसार संतराम को प्रति वर्ष 8000 रुपए एवं 10 किलो चावल प्रतिमाह देने का करार था।
यह पूरे समाज को झकझोरने वाला
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरू की डीबी ने मामले में फैसला देते हुए कहा कि यह घटना पूरे समाज को झकझोरने वाला है। अपीलकर्ताओं की आयु को देखते हुए और विचार करने पर कोर्ट का मानना है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में मृत्युदंड की कठोर सजा उचित नहीं है। कोर्ट ने संतराम मंझवार, अनिल कुमार सारथी, परदेशी दास, आनंद दास और अब्दुल जब्बार को मृत्युदंड की जगह आजीवन कारावास में परिवर्तित किया।
दुर्लभतम अपराध
आरोपियों ने साजिश के तहत परिवार की युवती से बलात्कार किया। युवक को मौत के घाट उतारा। चार वर्ष की मासूम को भी पत्थर पर पटक-पटक कर मार डाला गया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोरबा ने तीन निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या जिसमें एक 16 वर्ष की किशोरी के साथ दुष्कर्म एवं एक चार वर्ष की मासूम बच्ची की हत्या को दुर्लभतम से दुर्लभतम अपराध माना। पांच आरोपियों को मृत्युदंड एवं एक आरोपी उमाशंकर यादव को आजीवन कारावास प्राकृतिक जीवन तक कैद की सजा सुनाई।