यहां जान पर खेलकर खेत जाते हैं किसान: हिलते-डुलते लकड़ी के ढांचे को रोज पार करते हैं सैकड़ों ग्रामीण
नगरी विकासखंड के अंतिम छोर पर स्थित ग्राम पंचायत घुरावड़ के सैकड़ों ग्रामीण जान जोखिम में डालकर हिलते-डुलते लकड़ी के ढांचे को रोज पार करते हैं।
लकड़ी के ढांचे से पुल पार करते ग्रामीण
अंगेश हिरवानी-नगरी। छत्तीसगढ़ के नगरी विकासखंड के अंतिम छोर पर स्थित ग्राम पंचायत घुरावड़ के किसानों की स्थिति बारिश के दिनों में बेहद चिंताजनक हो जाती है। गांव के पास बहने वाले केंवटीन मुड़ा नाला में आज तक पुल नहीं बन पाया है, जिससे किसानों को नाले के उस पार स्थित लगभग 350 एकड़ खेतों तक पहुंचने में भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
किसानों को खेतों में बीज, खाद, हल, ट्रैक्टर और अन्य जरूरी सामान ले जाने के लिए नाला पार करना मजबूरी बन गया है। किसान नाला पार करते हुए कीचड़ में पैर फिसलकर गिरने के कारण कई बार वे घायल भी हो चुके हैं। लगातार बारिश होने पर स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि नाले में बाढ़ आने पर किसान अपने घर नहीं लौट पाते और उन्हें मजबूरन खेतों में ही रात गुजारनी पड़ती है।
आने -जाने वाले लोगों को हो रही परेशानी
केशकाल की पहाड़ियों और जंगलों से घिर हुआ है, जब बारिश का पानी इस नाले में पहुंचता है तो उफनते नाले से किसानों का आना-जाना पूरी तरह से ठप हो जाता है। ग्रामीणों केे समीप में ही लकड़ी से वैकल्पिक पुल बनाकर आवाजाही का इंतजाम किया है, इसी वैकल्पिक पुल से किसान खाद, बीज को अपने सिर और कंधे पर ढोकर पार करने के लिए मजबूर हैं लेकिन यह भी जान जोखिम में डालने जैसा ही है, इससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। इस नाले से ट्रैक्टर जब गुजरते हैं तो लोगों को मेले का मौत का कुआं सर्कस अनायास ही याद आ जाता है। ट्रैक्टर चढ़ाई के समय पलटने का डर बना रहता है जिससे ट्रैक्टर चालकों की भी जान जोखिम में पड़ जाती है।
कभी भी टूट सकता है लकड़ी का ढांचा
वहीं ग्राम पंचायत घुरावड़ के आश्रित ग्राम अमालीपारा में स्थित नाला का भी हाल बेहाल है। घुरावड़ और अमालीपारा को जोड़ने वाला एकमात्र मार्ग पर आज पर्याप्त तक पुल का निर्माण नहीं हो पा रहा है। लगभग 400 की आबादी वाले इस गांव में प्राथमिक विद्यालय है आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को घुरावड़ जाना पड़ता है लेकिन बीच में यह अमाली नाला स्थित होने के कारण बारिश के दिनों में स्थिति अत्यधिक खराब हो जाती है। बच्चें इस नाले पर बने कच्चे रास्ते से आने-जाने के लिए मजबूर हैं। इस कच्चे रास्ते का भी कोई भरोसा नहीं है, यह डर हमेशा बना रहता है कि बारिश होने पर कब धराशाई हो जाए।
ग्रामीण कर रहे पुल निर्माण की मांग
ग्रामीणों ने कहा कि, पिछले 20 से 25 वर्षों से वे इन नालों पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक इस ओर न तो जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और न ही प्रशासन ने कोई पहल की। ग्राम पंचायत घुरावड़ के सरपंच महेश नेताम, जनपद सदस्य मौसमी मंडावी, उपसरपंच ईश्वर लाल मंडावी, बिदेराम नेताम, रतन कोर्राम, तिलक राम नेताम, राजकुमार मरकाम, रामस्वरूप मरकाम, सीताराम नेताम सहित ग्रामवासियों ने मांग की है। इन दोनों नालों पर शीघ्र स्थायी पुल का निर्माण हो, ताकि वे सुरक्षित तरीके से अपने खेतों और घरों तक,बच्चें अपने स्कूल तक पहुंच सकेे।