इमरजेंसी वाहनों को मदद की दरकार: डॉयल-112 की गाड़ियां हो गई हैं कंडम, कहीं भी हो जाती हैं बंद

इमरजेंसी सेवा देने वाली डॉयल-112 को इमरजेंसी मदद की जरूरत है। डॉयल-112 की ज्यादातर गाड़ियां ढाई लाख किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं।

Updated On 2025-07-15 12:20:00 IST

File Photo 

रायपुर। विकट स्थिति में लोगों की मदद करने और इमरजेंसी सेवा देने वाली डॉयल-112 को इमरजेंसी मदद की जरूरत है। डॉयल-112 की ज्यादातर गाड़ियां ढाई लाख किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं, लेकिन इन गाड़ियों को अब तक नहीं बदला गया है। इसके पीछे का कारण डॉयल-112 के लिए अब तक नई एजेंसी तय नहीं होना है। दो वर्ष पूर्व डॉयल-112 संचालित कर रहे टाटा ग्रुप का कार्यकाल समाप्त हो गया है।

नई एजेंसी तय न होने की वजह से टाटा ग्रुप ही डॉयल-112 सेवा को संचालित कर रहा है। इस वजह से पुरानी गाड़ियां बदली नहीं गई हैं और पुरानी आउटडेटेड गाड़ियां डॉयल 112 सेवा में संचालित की जा रही है। प्रदेश के 11 जिलों में वर्ष 2018 में डॉयल-112 सेवा शुरू की गई थी। इसके लिए टाटा ग्रुप से पांच साल के लिए एमओयू किया था। एमओयू होने के पूर्व वर्ष 2017 में 252 गाड़ियां खरीदी गई थीं। डॉयल 112 में आपातकालीन स्थिति में पुलिस, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। सेवा शुरू होने के पूर्व जो गाड़ियां खरीदी गई थीं, उन गाड़ियों को अब तक नहीं बदला गया है। इस वजह से गाड़ियों की स्थिति कंडम हो चुकी है। मजबूरी में पुरानी गाड़ियों को रिपेयर कर चलाया जा रहा है। इस वजह से कई बार इमरजेंसी सेवा देने के लिए निकली डॉयल-112 की गाड़ी रास्ते में खराब हो जाती है।

दो लाख किमी.के बाद मेंटेनेंस दोगुना
सरकारी गाड़ियों के रखरखाव के लिए गाड़ियों की अधिकतम लाइफ 15 वर्ष मानी जाती है या फिर पौने दो लाख किलोमीटर से दो लाख किलोमीटर रनिंग मानी जाती है। किसी भी वाहन के दो लाख किलोमीटर से ज्यादा चलने के बाद मेंटेनेंस खर्च दोगुना हो जाता है। सरकारी वाहनों पर निजी वाहनों की तरह सही तरीके से मेंटेनेंस करने ध्यान नहीं दिया जाता, इसलिए सरकारी गाड़ियों को दो लाख किलोमीटर के बाद कंडम मान लिया जाता है।

शासन स्तर पर अब तक एजेंसी तय नहीं
डॉयल-112 के लिए एजेंसी तय करने पिछले वर्ष जिकित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड को ठेका देने की तैयारी पुलिस मुख्यालय स्तर पर हो गई थी। इस दौरान जेडएचएल के खिलाफ राजस्थान मे सीबीआई जांच तथा मध्यप्रदेश में 70 से अधिक केस दर्ज होने की जानकारी मिली। इसके बाद संबधित कंपनी को ठेका देने का निर्णय स्थगित किया गया। तब से डॉयल-112 सेवा के लिए शासन स्तर पर किसी भी तरह से कोई प्रयास नहीं किया गया है।

स्थिति का जायजा लेने डीजीपी स्वयं जा चुके
डॉयल-112 सेवा के सुचारू संचालन के लिए इस वर्ष मार्च महीने में राज्य के पुलिस महानिदेशक अरुणदेव गौतम स्वयं डॉयल-112 के सिविल लाइंस स्थित ऑफिस गए थे। वहां पुलिस महानिदेशक ने डॉयल-112 सेवा की जानकारी लेने के साथ ही व्यवस्था में सुधार करने जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे। बावजूद इसके डॉयल-112 का अब तक कायाकल्प नहीं हुआ है।

डॉयल-112 की गाड़ी ने ग्रामीण को मारी टक्कर

केस - 01
पेंड्रा थाना क्षेत्र में पिछले महीने जून में पेट्रोलिंग पर निकली डॉयल-112 की गाड़ी ने एक ग्रामीण को टक्कर मार दी। बताया जा रहा है कि ब्रेक फेल होने की वजह से डॉयल-112 का ड्राइवर गाड़ी को कंट्रोल नहीं कर पाया और ग्रामीण को टक्कर मार दी। घटना पेंड्रा से लरकेनी के बीच की है। ग्रामीण राजेश लखरेजा लरकेनी से साप्ताहिक बाजार में मनिहारी की दुकान लगाने का काम करता था। राजेश वापस लौट रहा था। इस दौरान हादसा हुआ।

पेट्रोलिंग पर निकली गाड़ी बिगड़ी

केस - 02
पिछले महीने रायपुर सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में देर रात पेट्रोलिंग पर निकली गाड़ी बीच रास्ते में बंद हो गई। काफी मशक्कत के बाद भी गाड़ी स्टार्ट नहीं होने पर दूसरे दिन टो कर गाड़ी को गैरेज लाया गया

चलती गाड़ी से पहिया निकला

केस - 03
इसी तरह से फरवरी में भिलाई में डॉयल-112 की गाड़ी का सामने का पहिया चलते-चलते निकल गया। गनीमत रही कि गाड़ी की रफ्तार कम थी, इस वजह से किसी को चोट नहीं आई और कोई दुर्घटना नहीं हुई।

Tags:    

Similar News