इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए खुली विकास की राह: लगभग डेढ़ गुना बढ़ी रेल लाइनों की लंबाई, सरगुजा और बस्तर भी वायुमार्ग से जुड़े

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 25 साल में सड़क, पुल-पुलिया, रेल और सड़क परिवहन के क्षेत्र में भारी प्रगति की है। इसी से राज्य के आर्थिक विकास को गति मिली है।

Updated On 2025-08-19 19:56:00 IST

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार 25 वर्षों का विकास, रेल लाइन, हवाई अड्डा, पुल और सड़क परिवहन

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवम्बर 2000 को हुआ। तब से लेकर अब तक 25 वर्षों की विकास यात्रा में राज्य ने अधोसंरचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। किसी भी राज्य की प्रगति का मूल आधार वहां की सड़कें, पुल, रेल और परिवहन व्यवस्था होती है। इन्हीं माध्यमों से व्यापार, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन का विस्तार होता है। गठन के वक्त छत्तीसगढ़ जो पिछड़े राज्यों की श्रेणी में शुमार होता था। नक्सली वारदातें यहां की पहचान थी। लेकिन रजत जयंती वर्ष में पहुंचने तक छत्तीसगढ़ देश के प्रमुख औद्योगिक एवं खनिज उत्पादक राज्यों में शुमार है। इस परिवर्तन में अधोसंरचना विकास का बड़ा योगदान है। 


25 वर्षों में दोगुनी रफ़्तार से बनीं सड़कें


राज्य गठन के समय छत्तीसगढ़ में सड़कों की स्थिति बहुत खराब थी। वर्ष 2005-06 में छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई लगभग 2,227.6 किमी. थी। लेकिन वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों की औपचारिक लंबाई लगभग 3,605–3,606 किमी. है। पहले ग्रामीण अंचल तक पक्की सड़कें नहीं पहुँच पाई थीं और शहरों के बीच संपर्क सीमित था। पिछले 25 वर्षों में इस क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार हुए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई दोगुने से अधिक हो चुकी है। रायपुर-दुर्ग, रायपुर-बिलासपुर और रायपुर-जगदलपुर जैसे मार्गों को फोर लेन और सिक्स लेन में विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत हजारों गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा गया है। रायपुर में रिंग रोड और बाईपास ने राजधानी के ट्रैफिक दबाव को कम करने में मदद की है। इस प्रकार सड़कों के विस्तार ने ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों तक आर्थिक गतिविधियों को गति दी है।


बड़े पुलों के जरिए बढ़ी कनेक्टिविटी
छत्तीसगढ़ नदियों और वन क्षेत्रों से भरा हुआ राज्य है। बरसात के दिनों में आवागमन की कठिनाइयाँ बहुत बढ़ जाती थीं। पिछले दो दशकों में बड़ी संख्या में पुल और पुलियों का निर्माण हुआ। महानदी, शिवनाथ, इंद्रावती, हसदेव और अरपा जैसी नदियों पर बड़े पुलों का निर्माण हुआ। नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में सड़क और पुल निर्माण ने वहाँ के गांवों को मुख्यधारा से जोड़ा। छोटे-छोटे पुल और पुलियों ने ग्रामीण परिवहन को आसान बनाया, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बाजार तक पहुँच सरल हुई।


रेल लाइन की लंबाई 1,100 किमी. से बढ़कर 1,500 किमी. तक पहुंची
रेल परिवहन किसी भी राज्य की आर्थिक धुरी होता है। छत्तीसगढ़ को खनिज संपन्न राज्य कहा जाता है और इस कारण मालवाहन रेल मार्गों पर निर्भर है।बिलासपुर को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय बनाया गया, जिससे यह देश के प्रमुख रेल ज़ोन में शामिल हुआ। दल्लीराजहरा- रावघाट- जगदलपुर परियोजना, कोरबा- धरमजयगढ़- रायगढ़ लाइन और अंबिकापुर लाइन जैसे नए प्रोजेक्ट्स पूरे या प्रगति पर हैं। राज्य की रेल लाइन लंबाई 1,100 किमी से बढ़कर लगभग 1,500 किमी हो गई है। मालगाड़ियों के साथ-साथ यात्री सुविधाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। रायपुर और बिलासपुर अब देश के प्रमुख रेलवे जंक्शनों में गिने जाते हैं। 


सरगुजा से बस्तर तक बढ़ी एयर कनेक्टिविटी
सड़क और रेल के साथ-साथ परिवहन क्षेत्र में भी राज्य ने नई ऊँचाइयाँ छुई हैं। रायपुर का स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट अब अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त कर चुका है और देश के विभिन्न महानगरों से जुड़ा हुआ है। बिलासपुर और जगदलपुर एयरपोर्ट का संचालन शुरू हो चुका है, जिससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिला है। रायपुर और दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में आधुनिक सिटी बस सेवा, इलेक्ट्रिक बस और ई-रिक्शा ने शहरी यातायात को नया स्वरूप दिया है। इंटरसिटी बस सेवाओं ने हर जिले को राजधानी और प्रमुख नगरों से जोड़ दिया है। मालवाहन और लॉजिस्टिक्स की नई व्यवस्थाओं ने औद्योगिक उत्पादन को बाजार तक पहुँचाने में सुविधा प्रदान की है। 


वायु मार्ग से देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा छत्तीसगढ़
पिछले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने अधोसंरचना के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। जहां पहले सड़क और रेल संपर्क की कमी राज्य की बड़ी समस्या थी, वहीं आज राज्य राष्ट्रीय राजमार्ग, आधुनिक पुल, रेल मार्ग और एयर कनेक्टिविटी से देश के प्रमु…

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