विकास की राह में रुकावट: जनपद सदस्य बन गए विकास के दुश्मन, जनता में आक्रोश

जनपद पंचायत बरमकेला में जनपद सदस्यों की आपसी खींचतान से ग्रामीण विकास कार्य पूरी तरह ठप हो गया है। विकास कार्यों की ओर ध्यान नहीं दिए जाने पर जनता अब आंदोलन करने को तैयार है।

Updated On 2025-05-16 15:35:00 IST

जनपद सदस्यों की आपसी खींचतान से ग्रामीण विकास कार्य पूरी तरह ठप हो गया है


देवराज दीपक-सारंगढ़। छ्त्तीसगढ़ के सारंगढ़ जिले के जनपद पंचायत बरमकेला में जनप्रतिनिधियों की आपसी खींचतान और स्वार्थ की राजनीति के चलते ग्रामीण विकास पूरी तरह से ठप हो चुका है। क्षेत्र की जनता विकास की उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन जनपद सदस्य केवल सत्ता संघर्ष और निजी हितों में उलझे हुए हैं।

बरमकेला जनपद पंचायत में कुल 96 ग्राम पंचायतें और 25 जनपद सदस्य क्षेत्र हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद जनता को उम्मीद थी कि, अब गांवों का तेजी से विकास होगा, लेकिन हकीकत इससे एकदम उलटी निकली। भले ही प्रदेश में भाजपा की सरकार है, मगर जनपद पंचायत बरमकेला में कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों का दबदबा है। बावजूद इसके, अभी तक कोई ठोस विकास कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

क्या है असली वजह
जनपद सदस्यों के बीच आपसी खींचतान और सत्ता के दावेदारों में टकराव इतना गहरा है कि किसी योजना या फंड के वितरण में एकराय नहीं बन पा रही है। आरोप है कि कई जनपद सदस्य सरपंचों से कमीशन लेकर फंड का आबंटन करवाने की जुगत में लगे हुए हैं। ऐसे में विकास योजनाएं सिर्फ फाइलों में ही कैद होकर रह गई हैं।

नेताओं की चुप्पी पर सवाल
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस गंभीर स्थिति पर न तो सारंगढ़ विधायक उत्तरी जांगड़े ने कोई प्रतिक्रिया दी है और न ही रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी ने कोई पहल की है। क्षेत्र के वरिष्ठ नेता और राजनीतिक विश्लेषक भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे जनता में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।

जनता में आक्रोश
क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही जनपद सदस्य अपने मतभेद भुलाकर विकास कार्यों की ओर ध्यान नहीं देते, तो उन्हें जन-आंदोलन का सामना करना पड़ सकता है। जनता अब जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करने के मूड में है।

जनपद सदस्य का कार्य क्या होता है
जनपद सदस्य का मुख्य कार्य अपने क्षेत्र में सरकार की योजनाओं को लागू करना, विकास कार्यों की निगरानी करना, और स्थानीय समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करना होता है। लेकिन जब जनपद सदस्य ही निजी स्वार्थों में उलझ जाएं, तो विकास का बाधित होना स्वाभाविक है। बरमकेला जनपद पंचायत में वर्तमान हालात चिंता जनक हैं। विकास खण्ड स्तर पर ग्रामीण जीवन के विविध क्षेत्रों, जैसे कृषि, सहकारिता, पशुपालन, स्वास्थ्य और सफाई आदि में विकास योजनाओं के प्रभावकारी संचालन के लिए कई विस्तार अधिकारी होते है। हालांकि इन अधिकारियों की सेवाएं इनके विभागों के द्वारा नियन्त्रित होती हैं, फिर भी ये अधिकारी जनपद पंचायत की देख-रेख मे कार्य करते हैं। जब तक जनपद सदस्य आपसी सामंजस्य नहीं बनाते और जनता की समस्याओं को प्राथमिकता नहीं देते, तब तक ग्रामीण क्षेत्र विकास से वंचित ही रहेंगे।

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