धान खरीदी पर मंडराया संकट: सहकारी कर्मियों की हड़ताल से व्यवस्था ठप, टोकन नहीं मिल पाने से किसान चिंतित

छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी पर संकट गहराने लगा है। सहकारी समिति कर्मचारियों की 3 नवंबर से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते टोकन जारी नहीं हो पा रहे।

Updated On 2025-11-12 13:08:00 IST

सहकारी समिति कार्यालय 

विश्वनाथ द्विवेदी- सुहेला। छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन सहकारी समिति कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से खरीदी व्यवस्था पर संकट गहराने लगा है। 3 नवंबर से शुरू हुई हड़ताल के चलते न तो टोकन जारी हो पा रहे हैं, न ही खरीदी केंद्रों में बारदाना खोला जा सका है।

किसान अपने खेतों से धान काटकर खलिहान और घरों में सुखा रहे हैं, लेकिन खरीदी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 3 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।

इन मांगों को लेकर हड़ताल
कर्मचारियों की मांग है कि, मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के दो हजार अट्ठावन समिति कर्मचारियों को वेतनमान और अन्य सुविधाएं दी जाएं। हर समिति को तीन लाख रुपये का वार्षिक प्रबंधकीय अनुदान मिले। सेवा नियम 2018 में आर्थिक संशोधन करते हुए पुनरीक्षित वेतनमान लागू किया जाए। और खरीदी से जुड़ी मदों- जैसे धान परिवहन, सुखत, खाद-बीज, बीमा आदि में चार गुना बढोत्तरी की जाए।

किसी भी पोर्टल पर धान खरीदी का टोकन नहीं हो रहा जारी
किसान मुकेश साहू ने कहा कि, धान तो हमने काटकर रख दिया है, लेकिन टोकन नहीं मिल रहा। सरकार कह रही है 15 नवंबर से खरीदी होगी, मगर अभी तक कोई ऐप चालू नहीं हुआ। फिलहाल, किसी भी पोर्टल पर धान खरीदी का टोकन जारी नहीं हो रहा। ‘टोकन तुहर हाथ’ ऐप भी अभी तक काम नहीं कर रहा है।


कर्मचारियों से चर्चा कर रही है सरकार
सुहेला धान खरीदी केंद्र प्रभारी तहसीलदार किशोर कुमार वर्मा ने कहा कि, 15 नवंबर से खरीदी शुरू होगी। बारदाने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। सरकार कर्मचारियों से चर्चा कर रही है, जल्द समाधान की उम्मीद है। वहीं, सहकारिता विभाग के सीईओ सिमगा मनोज कंवर ने बताया कि, धान खरीदी की तैयारी पूरी है। शनिवार होने की वजह से खरीदी 17 नवंबर से भी शुरू हो सकती है।

किसानों के लिए बैठने या पानी जैसी सुविधाएं भी अधूरी
सरकार का दावा है कि, तैयारियां पूरी हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। कई खरीदी केंद्रों में ताले लटके हैं, बारदाना खुले में पड़ा है और किसानों के लिए बैठने या पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी अधूरी हैं। ऐसे में देखना होगा कि, क्या सरकार समय रहते इस संकट को टाल पाती है या फिर इस बार भी धान खरीदी की शुरुआत हड़ताल की भेंट चढ़ जाएगी।

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