बाइक की कीमत से महंगे चालान: पेंड्रा में बिना सूचना लगे स्मार्ट कैमरे से कटे चालानों ने बढ़ाई ग्रामीणों की मुश्किलें

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के कोटमी कला गांव में बिना पूर्व सूचना लगाए गए स्मार्ट कैमरे से ग्रामीणों पर हजारों रुपये के डिजिटल चालान कटने लगे हैं।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-12-19 17:21:00 IST

कोटमी कला गांव में लगा स्मार्ट कैमरा

आकाश पवार - पेंड्रा। क्या किसी बाइक का चालान उसकी असली कीमत से भी ज्यादा हो सकता है? सुनने में अजीब जरूर लगता है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के कोटमी कला गांव में यही हकीकत सामने आ रही है। पेंड्रा से कोरबा जाने वाले मुख्य मार्ग पर लगाए गए स्मार्ट कैमरे ने ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी है।

बिना सूचना शुरू हुआ डिजिटल चालान सिस्टम
ग्रामीणों के अनुसार, इस स्मार्ट कैमरे को लगाए जाने की कोई पूर्व सूचना या जनजागरूकता अभियान नहीं चलाया गया। न तो मुनादी कराई गई और न ही चेतावनी बोर्ड लगाए गए। लोगों को कैमरे की जानकारी तब मिली, जब उनके मोबाइल पर एक के बाद एक चालान के मैसेज आने लगे।

15 दिनों में हजारों का जुर्माना
ग्रामीणों का कहना है कि महज 15 दिनों के भीतर किसी का 5 हजार रुपये तो किसी का 15 से 16 हजार रुपये तक का चालान कट चुका है। कई ग्रामीणों ने बताया कि इतनी रकम तो उनकी पुरानी बाइक की कीमत से भी ज्यादा है।

रोजमर्रा के कामों में निकले, जुर्माने में फंसे
ग्रामीण रोजमर्रा के कामों जैसे खेत जाना, बाजार या किराने का सामान लेने के लिए इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। अचानक डिजिटल चालान प्रणाली लागू होने से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

जागरूकता नहीं, यही असली समस्या
ग्रामीणों का कहना है कि समस्या नियमों की नहीं, बल्कि सूचना के अभाव की है। यदि पहले से जानकारी दी जाती, तो लोग हेलमेट पहनते, कागजात दुरुस्त करते और नियमों का पालन सुनिश्चित करते।


नियमों के विपरीत कार्रवाई का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि नियमानुसार किसी भी नए डिजिटल निगरानी तंत्र को लागू करने से पहले स्थानीय स्तर पर जनजागरूकता अभियान जरूरी होता है, लेकिन यहां बिना तैयारी सीधे चालान काटने की कार्रवाई शुरू कर दी गई।

गरीब तबके पर आर्थिक बोझ
हजारों रुपये का चालान गरीब और ग्रामीण परिवारों के लिए चुकाना बेहद मुश्किल हो गया है। स्थिति यह है कि घर से निकलते ही स्मार्ट कैमरा सक्रिय हो जाता है और बिना हेलमेट या अधूरे कागजात पर तुरंत चालान जारी हो जाता है।

प्रशासन से राहत की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से यह मांगे की है कि:

  • पहले जागरूकता अभियान चलाया जाए
  • पुराने चालानों में राहत या समीक्षा की जाए
  • चेतावनी बोर्ड और सूचना व्यवस्था मजबूत की जाए

ताकि ग्रामीण अनावश्यक आर्थिक बोझ से बच सकें।

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