राज्योत्सव पर विशेष: सिर्फ 1309 मेगावाट की थी खपत 25 सालों में आंकडा 7000 पार
छत्तीसगढ़ को राज्य बने 25 साल हो रहे हैं। इन 25 सालों में प्रदेश में बिजली के उपभोक्ताओं की संख्या में 46 लाख से ज्यादा बढ़ गई है।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ को राज्य बने 25 साल हो रहे हैं। इन 25 सालों में प्रदेश में बिजली के उपभोक्ताओं की संख्या में 46 लाख से ज्यादा बढ़ गई है। राज्य बनने के समय प्रदेश में व्रर्ष 2000 में बिजली के उपभोक्ताओं की संख्या 19 लाख से भी कम थी। यह संख्या अब 65 लाख के पार हो गई है। इसी के साथ बिजली की खपत में भी पांच गुना इजाफा हो चुका है। पहले खपत 1309 मेगावाट थी, जो अब सात हजार मेगावाट के पार हो चुकी है। कृषि पंपों की संख्या भी छह लाख तक पहुंच गई है। इसी के साथ अस्थाई कृषि पंप भी ढाई लाख के आसपास हो गए हैं।
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद प्रदेश में बिजली की रफ्तार से ही बिजली के उपभोक्ता बढ़े हैं। इसी के साथ सुविधाओं भी विस्तार हुआ है। जब अपना राज्य अलग हुआ था, तो उस समय प्रदेश में निम्न दाब के महज 1890998 उपभोक्ता थे, जो आज बढ़कर 6521951 हो गए हैं। उच्च दाब के उपभोक्ता महज 530 थे, जो अब बढ़कर 4177 हो गए हैं। यानी राज्य बनने के बाद यहां पर उद्योगों में भी भारी संख्या में इजाफा हुआ है।
छत्तीसगढ़ बनने के पहले प्रदेश में महज 73369 कृषि पंप थे
छत्तीसगढ़ बनने के पहले प्रदेश में महज 73369 कृषि पंप थे। इसकी संख्या में प्रदेश में भाजपा शासनकाल में तब भारी संख्या में इजाफा होना प्रारंभ हुआ, जब कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली योजना का प्रारंभ किया। इसके बाद से लगातार कृषि पंपों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस समय स्थाई कृषि पंपों की संख्या 594277 है। इसी के साथ अब अस्थाई पंप कनेक्शन भी दिए जा रहे हैं। पहले राज्य में एक भी अस्थाई कृषि पंप नहीं था, लेकिन अब 242390 अस्थाई कृषि पंपों के कनेक्शन हैं। इसी के साथ सोलर कृषि पंपों के कनेक्शन अलग से हैं।
अपना उत्पादन तीन हजार मेगावाट
छत्तीसगढ़ राज्य उत्पादन पॉवर कंपनी की उत्पादन क्षमता 2960 मेगावाट है। मड़वा में 500 मेगावाट के दो संयंत्र हैं। इसी के साथ कोरबा में 210 मेगावाट के चार और एक पांच सौ मेगावाट का संयंत्र है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी संयंत्र में 250 मेगावाट के दो संयंत्र हैं। इसी के साथ बांगो में 40 मेगावाट के 3 पानी के संयंत्र हैं। इन संयंत्रों से रोज 25 से 26 सौ मेगावाट का ही उत्पादन होता है। कभी कोई संयंत्र खराब हो गया तो उत्पादन दो हजार से 22 सौ मेगावाट हो जाता है।
सेंट्रल सेक्टर से साढ़े तीन हजार मेगावाट का शेयर
प्रदेश में बिजली की जितनी डिमांड रहती है उसको पूरा करने के लिए सेंट्रल सेक्टर से बिजली ली जाती है। सेंट्रल सेक्टर से करीब साढ़े तीन हजार मेगावाट का शेयर है। इस बार गर्मी में खपत 7006 सौ मेगावाट तक गई तो सेंट्रल सेक्टर से चार हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली लेकर पूर्ति की गई थी। इसी के साथ पॉवर कंपनी को स्थानीय निजी उत्पादकों से भी बिजली मिलती है। दूसरे राज्यों से भी एक्सचेंज में बिजली लेते हैं। कुल मिलाकर जितनी डिमांड रहती है उसको पूरा करने का काम किया जाता है।
14 हजार मेगावाट बिजली की नई योजनाएं
प्रदेश सरकार राज्य में बिजली का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। 14 हजार मेगावाट की योजनाओं पर काम चल रहा है। पहले चरण में इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरबा में 660 मेगावाट के दो संयंत्रों के निर्माण का उद्घाटन किया है। इसी के साथ इस साल की पहली नई योजना का प्रारंभ हो गया है। अब पॉवर कंपनी का बड़ा फोकस प्रदेश में पानी से 7300 मेगावाट बिजली बनाने पर है। इसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर में पानी से 35 सौ मेगावाट बिजली बनाने के लिए दो संयंत्र लगेंगे। यहां पर 21 और 14 सौ मेगावाट के दो संयंत्रों लगेंगे। इसको लेकर प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है और एमओयू भी हो गया है।
बिजली की खपत पांच गुना बढ़ी
छत्तीसगढ़ राज्य अलग हुआ था, तब प्रदेश में बिजली की खपत महज 1309 मेगावाट थी, तब प्रदेश में बिजली का उत्पादन भी महज 1360 मेगावाट होता था। राज्य के अलग बनने के बाद से ही प्रदेश में जहां एक तरफ तेजी से उपभोक्ताओं की संख्या में इजाफा हुआ, वहीं बिजली की खपत में इजाफा होना प्रारंभहुआ। पहली बार बिजली की खपत 2003 में दो हजार मेगावाट के पार होकर 2335 मेगावाट तक पहुंची। इसके बाद 2013 में खपत तीन हजार मेगावाट के पार और 2018 में चार हजार मेगावाट के पार गई। 2023 में खपत ने पांच हजार मेगावाट का आंकड़ा पार किया और अब खपत इस साल सात हजार मेगावाट के पार हो गई है।