रजिस्ट्री प्रक्रिया अब होगी आसान: जमीन की गाइड लाइन दर नियमों में बड़ा बदलाव

राज्य शासन ने संपत्तियों के गाइडलाइन निर्धारण नियमों में बड़ा सुधार करते हुए नए नियम जारी किए हैं।

Updated On 2025-11-09 10:22:00 IST

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय - मंत्री ओपी चौधरी

रायपुर। राज्य शासन ने संपत्तियों के गाइडलाइन निर्धारण नियमों में बड़ा सुधार करते हुए नए नियम जारी किए हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में वाणिज्यिक कर मंत्री ओपी चौधरी ने विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि नियमों को सरल बनाया जाए ताकि जनता को आसानी से समझ आए और क्रियान्वयन आसान हो। उसके बाद पूर्व प्रचलित नियमों में लगभग 77 प्रकार के निर्धारण प्रावधान थे, जिन्हें घटाकर अब गणना संबंधी केवल 14 प्रावधान रखे गए हैं।

उल्लेखनीय है कि, गाइडलाइन दरों की गणना इन नियमों के अनुसार की जाती है। जैसे मुख्य मार्ग की दूरी क्या होगी, कौन से तल में होने पर कितना वैल्यूएशन होगा, किन-किन परिस्थितियों में कितने-कितने मूल्य बढ़ेंगे आदि। इन नियमों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री के समय बाजार मूल्य का आकलन किया जाता है। गाइडलाइन दरों के निर्धारण संबंधी ये नियम वर्ष 2000 से बने हुए थे, इनमें कोई परिवर्तन या संशोधन नहीं मार्ग को परिभाषित नहीं किया गया था।

जमीन की आकार के आधार पर मूल्य
पूर्व में सिंचित, असिंचित भूमि के मध्य कोई अनुपात नियत नहीं था, जिसके कारण प्रत्येक स्थानों पर सिंचित, असिंचित भूमि के बीच अंतर गैर-अनुपातिक एवं अतार्किक थे। नए नियम में 20 प्रतिशत कम कर निर्धारित किया जाएगा। पूर्व उपबंध में छोटी जमीन का बाजार मूल्य अधिक तथा बड़ी जमीन का बाजार मूल्य कम आता था। अब मूल्यांकन इनक्रिमेंटल आधार पर किया जाएगा, जिससे बड़ी जमीन का मूल्य हमेशा छोटी जमीन से अधिक होगा। वाणिज्यिक, औद्योगिक इकाई के लिए प्रचलित सामान्य दर समाप्तः नए नियमों में मुख्य मार्ग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है कि गाइडलाइन में उल्लेखित मार्ग यथा राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग तथा मुख्य जिला मार्ग तथा 18 मीटर या इससे अधिक चौड़ी सड़क को मुख्य मार्ग माना जाएगा। पूर्व में वाणिज्यिक या औद्योगिक इकाई द्वारा जमीन खरीदने पर पूरे राज्य के लिए अलग से दर निर्धारित थी। इसके कारण प्रत्येक स्थान में दो अलग-अलग प्रकार के क्रेता के लिए दो अलग-अलग दर होने से विरोधाभास की स्थिति बनती थी। अब वाणिज्यिक, औद्योगिक इकाई के लिए पूरे राज्य में प्रचलित सामान्य दर को समाप्त कर दिया गया है।

इन प्रावधानों को हटाया गया
कृषि, डायवर्टेड, नजूल एवं आबादी भूमि के लिए अब एक समान मूल्यांकन मानक लागू होगा, जिससे डायवर्टेड एवं नजूल भूमि होने मात्र से संपत्ति के बाजार मूल्य नहीं बढ़ेंगे तथा भ्रम और त्रुटियों की संभावना समाप्त होगी। नए नियमों में दो फसली भूमि होने पर 25 प्रतिशत वृद्धि, गैर परंपरागत फसलों पर 25 प्रतिशत वृद्धि, नलकूप-ट्यूबवेल होने पर उसकी अलग कीमत, बाउंड्रीवाल एवं फ्लिंट होने पर उसकी अलग कीमत वृद्धि करने जैसे प्रावधानों को हटा दिया गया है। इसका प्रत्यक्ष लाभ आम जनता को होगा।

भूमि के अलग अलग प्रावधान अब एक
पूर्व में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत तथा इनमें कृषि, नजूल, डायवर्टेड प्रत्येक अलग-अलग प्रकार की भूमि के लिए अलग-अलग प्रकार के गणना के प्रावधान थे। अब इन्हें युक्तिसंगत बनाते हुए एक ही प्रकार का प्रावधान किया गया है। सभी वर्ग के नगरों एवं भूमि के लिए अब हेक्टेयर दर की सीमा 0.14 हेक्टेयर कर दिया गया है। पूर्व में निर्मित संरचनाओं के लगभग 21 प्रकार की दरें थीं, जिसके कारण अनावश्यक भ्रम पैदा होता था। संशोधित नियमों में निर्मित संरचनाओं के लिए केवल 8 दरें रखी गई हैं।

नया कॉलोनी विकसित करने पर बनेगा अलग गाइडलाइन
नए कॉलोनी-मोहल्ला मार्ग के लिए प्रावधान नगरीकरण के कारण शहरों में निरंतर नए कॉलोनी-मोहल्लों का निर्माण होता रहता है। विभाग द्वारा जारी नए नियम में यह प्रावधान किया गया है कि जब कोई नया मोहल्ला, कॉलोनी या परियोजना विकसित हो तो उसके लिए विशेष रूप से गाइडलाइन दर का निर्धारण किया जाएगा। गाइडलाइन पुनरीक्षण में इसके लिए प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। राज्य शासन की मंशा संपत्ति के गाइडलाइन मूल्य निर्धारण को सरल, व्यायसंगत, पारदर्शी एवं जनहितैषी बनाना है। नए उपबंधों के माध्यम से मूल्य निर्धारण में मानवीय विवेकाधिकार समाप्त होगा और पूरी प्रक्रिया प्रौद्योगिकी-आधारित एवं निष्पक्ष बनेगी।

एकीकृत तरीके से भूमि का मूल्यांकन
पूर्व प्रचलित नियमों में लगभग 77 प्रकार के निर्धारण प्रावधान थे, जिन्हें घटाकर अब गणना संबंधी केवल 14 प्रावधान रखे गए हैं। जिन्हें समझना आम जनता के लिए बेहद आसान होगा। पूर्व में कई अनावश्यक प्रावधान थे, जैसे नलकूप होने पर नलकूप का अलग मूल्य, सिंचित होने का अलग एवं दो फसली होने का अलग मूल्य जुड़ता था। यदि कोई गैर परंपरागत फसल लगी हो, तो उसका भी अलग मूल्य जुड़ता था। अब भूमि का मूल्यांकन एकीकृत तरीके से किया जाएगा। किसी एक कारक के परिणामी प्रत्येक प्रभाव के लिए अलग-अलग मूल्य गणना नहीं की जाएगी। नगर निगम, पालिका और नगर पंचायत एक ही गणना सिस्टम होगा।

साफ्टवेयर से स्वमेय लागू होंगे प्रावधान
गाइडलाइन संबंधी नियमों के पुनरीक्षण के लिए उद्देश्य निर्धारित किया गया था कि इन नियमों को सरल एवं संक्षिप्त और जनहितैषी बनाया जाए। साथ ही इसमें मानवीय हस्तक्षेप को कम करते हुए प्रक्रिया को सॉफ्टवेयर द्वारा स्वमेव लागू होने लायक प्रावधान तैयार किए जाएं। इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए नए जारी बाजार मूल्य गणना संबंधी उपबंध 2025 में निम्नानुसार मुख्य प्रावधान किए गए हैं।

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