महानदी की बाढ़ से 6-7 सौ एकड़ की फसल बर्बाद: 8 गांव के किसानों ने नवापारा-कुरूद मार्ग पर किया चक्काजाम
गंगरेल बांध लबालब भर जाने के बाद पानी छोड़ा गया है। इससे नवापारा क्षेत्र के कई गांवों के खेतों में पानी भर गया है। किसानों ने इसपर चक्काजाम कर दिया।
किसानों ने किया हाईवे चक्का जाम
श्यामकिशोर शर्मा- नवापारा-राजिम। नवापारा शहर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। धमतरी के गंगरेल जलाशय से महानदी में 27 हजार क्युसेक पानी छोड़े जाने की वजह से नवापारा शहर से लगे करीब आधा दर्जन गांव के करीब 6-7 सौ एकड़ फसल पानी में डूब गया है। गंगरेल से छोड़े गए पानी का बहाव आधी रात को महानदी के तटवर्ती गांव दुलना, कठौली, पटेवा, धूमा, परसट्ठी, नारी, मौरीकला खार में पहुंच गया। सुबह किसान जब सोकर उठे और खेतों की ओर गए तो देखा उनका फसल बर्बाद हो गई है।
आक्रोशित किसान अपने-अपने गांव से निकलकर दुलना-कठौली के पास पहुंचे और नवापारा-कुरूद-धमतरी हाइवे पर चक्काजाम कर दिया। चक्काजाम करने से सड़क के दोनो साइड करीब चार सौ ट्रके, कार, ट्रेक्टर, हाइवा जैसे छोटे-बड़े वाहन खड़े हो गए। चक्काजाम की खबर पर धमतरी एवं रायपुर जिले के प्रशासनिक और एरीगेशन आफिसर मौके पर पहुंचे। किसानो को मनाने का प्रयास किया, परंतु वे किसान टस से मस नहीं हुए।
पूर्व विधायक धनेद्र साहू भी पहुंचे
इसी बीच पीसीसी के पूर्व चीफ धनेंद्र साहू भी धरना स्थल पर पहुंचे। किसानो एवं अफसरों से बात की परंतु किसान अडिग रहे। किसानो का कहना था कि, दुलना में महानदी के बीच जो एनीकट बनाया गया है वह गलत जगह बना है। इसकी हाइट कम की जाए या फिर इस एनीकट को डिस्पोज किया जाए, तभी किसानो की खेती बच सकती है।
भीड़ में मौजूद किसान ये भी कह रहे थे कि, इस एनीकट में कुल 73 गेट लगाया गया है जिसमें से 23 गेट बारिशकाल होने के बावजूद बंद करके रखा गया है। इस वजह से बाढ़ की धार नीचे की ओर रफ्तार से जाने की बजाए उलट चलते हुए नाले से होते हुए इन गांवों के खेतों में पहुंच जाता है।
नुकसान के बनिस्बत मुआवजे की राशि होती है ऊंट के मुंह में जीरा
यह कोई पहली बार नही है इसके पहले भी इन गांवो के किसानो को नुकसानी और परेशानियों का सामना करते रहना पड़ा है। ये स्थिति तब-तब बनती है जब-जब महानदी में बाढ़ आती है अथवा गंगरेल जलाशय से ओवरफ्लो होने पर पानी छोड़ा जाता है।
किसानो को मनाने और समझाने पहुंचे अफसरों ने सर्वे कर मुआवजा राशि तैयार करने की बात कही परंतु आक्रोशित किसान यह कहते नजर आए कि, जितना लागत लगा होता है उससे बहुत कम मुआवजा मिलता है इसे लेकर क्या करेंगे? सुबह से लेकर शाम तक किसान नारेबाजी करते हुए धरना में बैठे रहे और चक्काजाम जारी रहा। देर शाम बारिश शुरू हो जाने के बावजूद किसानो की भीड़ पानी में भीगते खड़े रहे। ईधर अधिकारी वर्ग भी बुरी तरह से भीगे हुए नजर आए।
इन गांवों और इन किसानों के खेत डूबे
महानदी के तटवर्ती गांव दुलना के 100-150 एकड़, कठौली के 300 एकड़, पटेवा के 50-60 एकड़, धूमा के 60-70 एकड़, परसट्ठी-नारी-मौरीकला के करीब 100-150 एकड़ खेतों की फसल पानी में डूबी हुई है।
जिन किसानों के खेत डूबे हुए हैं उनमें हरिमोहन साहू 4 एकड़, हेमंत साहू 4 एकड़, नारायण साहू 4 एकड़, सुरेश साहू 4 एकड़, मुकेश साहू 5 एकड़, नंदलाल साहू 2 एकड़, शत्रुहन निषाद 1 एकड़, बालाराम साहू 4 एकड़, नारायण साहू 4 एकड़, अलेन साहू 2 एकड़, भानी साहू 2 एकड़, बिसन साहू 1.5 एकड़, विसंभर 1.5 एकड़, भोज साहू, लक्ष्मण साहू, संतू साहू, दौवा रामसाहू, मनहरण साहू, चेतन साहू, असंत साहू, लाला साहू, मनोज साहू 1-1 एकड़ व कठौली, पटेवा, धूमा, परसट्ठी, नारी, मौरीकला के सैकड़ों किसान हैं जिनके सैकड़ों एकड़ फसल पानी में डूबा हुआ है।
हरिभूमि ने पहले ही ध्यान आर्षित कराया था
इस विकराल समस्या को लेकर इन गांवों के किसान पूर्व में भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया था परंतु विभाग के अधिकारी यदि ध्यान दिए होते तो ये नौबत नहीं आती। पिछले 11 वर्षो 2016 से किसान इस विपदा से जूझ रहे हैं। जब-जब किसानों के ऊपर विपदा आई है तब से हरिभूमि ने अफसरों और शासन का ध्यान आकर्षित करते चला आ रहा है।
बता दें कि, इस संबंध में हरिभूमि ने वर्ष 2016 के 12 सितंबर, 1 अक्टूबर और 8 अक्टूबर के अंक में बाढ़ से प्रभावित किसानो की पीड़ा को शासन तक पहुंचाया था। ईधर विभाग के अफसरों का कहना है कि, एनीकट के अधिकांश गेट लगभग खराब है जिस वजह से समय में खुल नहीं पाता। परिणामस्वरूप बाढ़ का पानी रिवर्स हो जाती है।
चक्काजाम की सूचना पर मौके पर पहुंचे ये अधिकारी
अभनपुर तहसीलदार लवण मंडन, कुरुद तहसीलदार दुर्गा साहू, भखारा टीआई प्रमोद अमलतास, बिरेझर एस आई, नवापारा थाना से घनश्याम प्रसाद, कमल बघेल, खेमलाल तारक, हुलास साहू, वेद प्रकाश खूंटे, सोनू निर्मलकर मौके पर पहुंचे।
दुलना के किसान दौवाराम साहू, हेमंत साहू, पटेवा के किसान श्यामलाल साहू, नारायण साहू, लीलाराम साहू, धूमा के किसान चमन साहू, भुनेश्वर साहू, कठौली के गौकरण साहू, उत्तम प्रकाश साहू, डोमन साहू जैसे सैकड़ों आक्रोशित किसानो ने अपनी पीड़ा का बखान किया है। अब देखना यही है कि, इन किसानो की पीड़ा का निराकरण किस तरह से होता है। वहीं खेतों में बाढ़ के पानी कम होने के बाद ही सर्वे में पता चलेगा कि, किसानो को किस हद तक नुकसान हुआ है।