भगवान महावीर मोक्ष कल्याणक महोत्सव: बड़ा मंदिर में जैन समाज ने निर्वाण लाडू अर्पित कर हर्षौल्लास से मनाया पर्व

रायपुर के श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में भगवान महावीर मोक्ष कल्याणक महोत्सव बड़े श्रद्धा भाव से मनाया गया।

Updated On 2025-10-21 13:08:00 IST

पूजा-अर्चना करते हुए

रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर परिसर भगवन महावीर के मोक्ष कल्याणक महोत्सव की भक्ति भावना से सराबोर रहा। कार्तिक कृष्ण अमावस्या मंगलवार 21 अक्टूबर को जैन समाज ने 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के मोक्ष कल्याणक पर्व को हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया। सुबह से ही बड़ा मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। जिनालय में भगवान पार्श्वनाथ की बेदी के समक्ष धार्मिक माहौल में निर्वाण लाडू अर्पित कर विशेष पूजन-अभिषेक संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाष्टक पाठ से हुआ, जिसके बाद श्रावक-श्राविकाओं ने शुद्ध जल और रजत कलशों से भगवान महावीर का अभिषेक किया। इसके बाद शांति धारा का आयोजन हुआ। जिसका सौभाग्य पवन कुमार जैन, अमित कुमार जैन, प्रणीतेश कुमार जैन (जोरापारा परिवार) को प्राप्त हुआ। इसके बाद नवदेवता पूजन, भगवान महावीर पूजन और निर्वाण कांड का पाठ किया गया। श्रद्धालुओं ने अष्ट द्रव्यों से निर्मित अर्घ्य अर्पित कर आरती की और भगवान महावीर के जयकारों से पूरा जिनालय गूंज उठा।


इसी दिन गौतम स्वामी को कैवलज्ञान की हुई थी प्राप्ति
मंदिर के पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया कि, कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान महावीर ने पावा नगरी के मनोहर उद्यान में स्वाति नक्षत्र के दौरान मोक्ष प्राप्त किया था। उसी क्षण से देवताओं ने पावा नगरी को दीपों से सजाकर आलोकित किया और तभी से जैन धर्म में दीपोत्सव एवं निर्वाणोत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है। इसी दिन गौतम स्वामी को कैवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जिससे इस दिवस का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और बढ़ गया।

मानवता और आत्मिक शांति का दिखाते हैं मार्ग
श्रेयश जैन ने बताया कि भगवान महावीर का जीवन सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य जैसे पंच सिद्धांतों पर आधारित है। जो आज भी मानवता और आत्मिक शांति का मार्ग दिखाते हैं। कार्यक्रम में श्रेयश जैन ‘बालू’, प्रवीण जैन, आदेश जैन, राजेश जैन, अपूर्व जैन, राशु जैन, अमित जैन, राज जैन सहित बड़ी संख्या में महिलाएं एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे। धार्मिक अनुष्ठानों के साथ जिनालय में पूरे दिन भक्ति और उत्साह का वातावरण बना रहा।

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