बारिश-बीमारी ने बढ़ाई धान की लागत: प्रति एकड़ कुल खर्च 35 हजार तक पहुंचा, फिर भी किसानों को होगा दोगुना लाभ
इस बार छत्तीसगढ़ में बारिश का सीजन ल्रबा चल गया। जिसके चलते किसानों को धान की फसल में खर्च भी ज्यादा करना पड़ा है।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक एकड़ धान की खेती की कुल लागत औसतन 30 से 35 हजार रुपए के बीच आ सकती है। यह खेती के तरीके पर निर्भर करता है। खेती से पहले इसे तैयार करने से लेकर फसल की कटाई के सभी कार्य शामिल हैं। लागत का अनुमान कुछ इस प्रकार लगाया जाता है। जैसे जुताई और खेत को तैयार करने में 2 से 3 हजार रुपए, रोपाई में करीब 20 से 25 हजार तक का खर्च आता है। सूखे की तुलना में रोपा-मताई और रोपा-बियासी में प्रति एकड़ लागत अधिक आती है। इसमें बीज, खाद, कीटनाशक और जुताई जैसी लागत शामिल हैं।
खेती के तरीके के अनुसार, खर्च बढ़ता और कम होता है। सूखे की तुलना में रोपाई और रोपा-बियासी में प्रति एकड़ लागत अधिक आती है। धान की रोपाई और कटाई में लगने वाले श्रम की लागत भी इसमें शामिल है। फसल तैयार होने के बाद कटाई में प्रति एकड़ 2 से 3 हजार रुपए का खर्च आता है। इस प्रकार देखा जाए तो प्रति एकड़ धान की खेती में औसत रूप से लगभग 35 हजार रुपए तक खर्च आता है। अगर मौसम की मार फसल पर पड़ती है तो किसानों को कीटनाशक और खाद का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
कटाई और बिक्री के समय में अंतर से बढ़ता है खर्च
फसल की कटाई के बाद धान की खरीदी में करीब एक पखवाड़े से लेकर महीनेभर की देर होती है। किसान अपनी फसल की मिंजाई कर लेता है। उसके बाद धान बेचने का समय आने तक उसे धान को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। अक्टूबर माह के अंत और नवंबर माह की शुरुआत तक धान की नमी और अन्य सुरक्षा मानदंडों को जांचने के बाद खरीदी केंद्र पहुंचता है। अगर उसका धान सही समय में बिक जाता है तो उसका खर्च कम हो जाता है। अगर देर होती है तो उसे 3 से 5 हजार रुपए तक का अतिरिक्त भार आता है। अमूमन 1 से 15 नवंबर के बीच ही धान खरीदी शुरू की जाती है।
लागत की दोगुनी कीमत
प्रदेश सरकार किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल के हिसाब से खरीदी करती है। किसानों को 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाता है। पंजीकृत किसानों से सोसायटी के माध्यम से धान की खरीदी और भुगतान किया जाता है। देखा जाए तो एक एकड़ में लगे धान को बेचने पर किसान को 65,100 रुपए भुगतान किया जाता है। धान बेचने के दो-तीन दिन बाद उन्हें समर्थन मूल्य पर जो दर होती है, उनके खाते में अंतरण की जाती है। अंतर की राशि बाद में अंतरण की जाती है। ऐसे में किसानों को लागत की दोगुनी कीमत मिल जाती है।
एक एकड़ में उत्पादन
प्रदेश में अर्ली वैरायटीज से लेकर मोटा और पतला धान उगाने की प्रथा है। अर्ली वैरायटीज का धान समय से पूर्व तैयार हो जाता है। जुलाई से लेकर अक्टूबर माह के अंत तक धान की फसल तैयार हो जाती है। किसान उसके बाद कटाई और मिंजाई करते हैं। कई जिलों में धान का उत्पादन सोसायटियों में बेचने के नाम पर किया जाता है। अमूमन मोटा धान ही लगाया जाता है। किसानों को धान की फसल में एक एकड़ में औसतन 25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है।
खर्च का ब्योरा
खेत तैयार करने में खर्च 2 से 3 हजार
बीज, खाद, कीटनाशक और रोपाई में खर्च 25 हजार तक
कटाई में एक एकड़ में खर्च 2 से 3 हजार
मौसम की मार से अतिरिक्त कीटनाशक पर खर्च 3 हजार