पामगढ़ शराब भट्ठी कांड: 21 साल बाद हाईकोर्ट ने दी राहत, सभी 14 आरोपी बरी
जांजगीर- चाम्पा जिले के बहुचर्चित पामगढ़ भट्ठी कांड के सभी 14 आरोपियों को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। विशेष सत्र अदालत ने 2015 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच बेंच ने जांजगीर-चांपा जिले के बहुचर्चित पामगढ़ शराब भट्ठी कांड के सभी 14 आरोपियों को बरी कर दिया है। यह वही चर्चित मामला है, जिसमें 2004 में भीड़ ने शराब भट्ठी पर हमला कर मैनेजर भोला गुप्ता की हत्या कर दी थी।
जिला जांजगीर-चांपा की विशेष सत्र अदालत ने 2015 में सभी आरोपियों को हत्या और अन्य धाराओं में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में निरस्त कर दिया। बतादें कि, 9 दिसंबर 2004 को पामगढ़ के चांदीपारा में राउत मड़ई मेले के दौरान स्थानीय शिक्षक महेश खरे (गुरुजी) की संदिग्ध मौत हुई थी। अगले दिन भीड़ आक्रोशित होकर पामगढ़ की शराब भट्ठी पहुंची और वहां तोड़फोड़ व आगजनी कर दी।
भीड़ ने डिस्टिलरी मैनेजर की कर दी थी पिटाई
भीड़ ने डिस्टिलरी मैनेजर भोला गुप्ता की पिटाई कर दी थी, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। सेशन कोर्ट ने इस मामले में 14 आरोपियों — भगवन लाल एवं अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी थी। इसके साथ ही उन्हें आईपीसी के तहत दोषी माना गया था।
गवाह आरोपियों को पहचान नहीं पाए
हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि, अभियोजन पक्ष आरोपियों की उपस्थिति और उनकी पहचान को प्रमाणित नहीं कर पाया। अधिकांश गवाह शत्रुतापूर्ण हो गए और किसी ने भी घटना स्थल पर आरोपियों की स्पष्ट पहचान नहीं की।
केवल भीड़ में मौजूद होने से अपराध साबित नहीं होता
एफएसएल रिपोर्ट में भी जब्त डंडों व कपड़ों पर मिले खून का समूह मृतक से मेल नहीं खाया। अदालत ने कहा कि केवल भीड़ में मौजूद होना अपराध साबित नहीं करता जब तक यह सिद्ध न हो कि आरोपी ने हिंसा में सक्रिय भागीदारी की हो। इसी आधार पर अदालत ने सभी 14 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।