चिकित्सा शिक्षा की तबीयत नासाज: किसी मेडिकल कालेज के पास भवन नहीं, कोई बिना अस्पताल का, कहीं पढ़ाने वाले नहीं
छत्तीसगढ़ में लगातार चिकित्सा शिक्षा का विस्तार हो रहा है। हर साल नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। अभी 10 मेडिकल कॉलेज हैं। पांच और खोलने की तैयारी चल रही है।
विकास शर्मा - रायपुर। छत्तीसगढ़ में लगातार चिकित्सा शिक्षा का विस्तार हो रहा है। हर साल नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। प्रदेश अभी 10 मेडिकल कॉलेज हैं। पांच और खोलने की तैयारी चल रही है। हालांकि जिस रफ्तार से कॉलेज खुल रहे हैं उस गति से सुविधाएं नहीं बढ़ रहीं। हाल यह है कि तीन कॉलेजों में चिकित्सा की पढ़ाई किराए के भवन में हो रही है और उनके पास अपना अस्पताल भी नहीं है। सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की कमी है और जिलों के मेडिकल कॉलेजों में सर्जरी की सुविधाएं नहीं हैं जिसकी वजह से भविष्य के डॉक्टरों को स्तरीय शिक्षा नहीं मिल पा रही।
वहीं विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल का अभाव भी बड़ी समस्या है। राज्य में दस शासकीय मेडिकल कॉलेज संचालित है, मगर किसी भी कॉलेज में स्वीकृत सेट अप के अनुसार चिकित्सा शिक्षक नहीं हैं। कोरबा मेडिकल कॉलेज इंजीनियरिंग तो कांकेर और महासमुंद मेडिकल कॉलेज नर्सिंग कॉलेज के किराए के भवन में संचालित हो रहा है। खुद का अस्पताल नहीं होने की वजह से यहां के विद्यार्थी संबंधित जिला अस्पताल के भरोसे अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, चिकित्सा शिक्षा के सफल संचालन के लिए दूसरी बड़ी दिक्कत विद्यार्थियों के हास्टल की है। रायपुर जैसे बड़े मेडिकल कॉलेज में हास्टल बनाने का काम चल रहा और विद्यार्थियों को मोटी रकम देकर किराए के मकान में रहना पड़ रहा है।
टेली क्लासेस सिस्टम लागू नहीं हुआ
अन्य जिलों के मेडिकल कॉलेजों की पढ़ाई पूरी कराने के लिए रायपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय से टेली क्लासेस की योजना प्रारंभ की गई थी। इसमें ऑनलाइन तरीके से यहां के चिकित्सा शिक्षक विषय संबंधी व्याख्यान देते थे। इसमें बिलासपुर, अंबिकापुर, महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगांव, कांकेर, कोरबा जैसे कॉलेजों को जोड़ने की योजना थी। प्रारंभिक दौर में कुछ कक्षाएं हुई इसके बाद यह योजनाओं में रह गईं।
पर्याप्त संसाधन होना जरूरी
डॉ. पूर्व डीएमई विष्णु दत्त ने बताया कि, चिकित्सा महाविद्यालय के सफल संचालन के लिए पर्याप्त फैकल्टी यानी चिकित्सा शिक्षा होना जरूरी है। विद्यार्थियों के पास पढ़ाई के लिए पर्याप्त उपकरण होना चाहिए। कॉलेज के पास अपना सुविधायुक्त भवन के साथ अन्य संसाधन और क्लीनिकल मेटेरियल के रूप में मरीज होना आवश्यक है।
कोरबा में सुविधायुक्त ओटी नहीं, मिली पीजी सीट
कोरबा मेडिकल कॉलेज में सर्जरी, एनीस्थिसिया की पीजी सीट स्वीकृत हुई है। यहां का प्रैक्टिकल जिला अस्पताल में होता है, जहां एक ऑपरेशन थियेटर मौजूद है जिसकी स्थिति भी अच्छी नहीं है। जानकारों का कहना है कि जिला अस्पताल की ओटी से छात्र छोटी-मोटी सर्जरी सीखकर अपना काम चला सकेंगे। विषय विशेषज्ञ बनने के लिए वहां पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता है जो अब तक उपलब्ध नहीं है।