राजपरिवार और मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के बीच ठनी: राजकुमार बोले- हमें दरकिनार किया जा रहा, यह गोंड समाज की आस्था पर चोट
डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर में राजपरिवार और मंदिर प्रबंधन के बीच ठन गई है। राजकुमार ने ट्रस्ट पर उनके परिवार को अनदेखी करने के आरोप लगाये हैं।
डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर
अक्षय साहू- राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर में नवरात्र के पावन अवसर पर शुक्रवार देर रात परंपरागत 'दाई बमलई पंचमी भेंट' का आयोजन मंदिर परिसर में धूमधाम से हुआ। वहीं अब इसको लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है। ट्रस्ट ने गोंड समाज के लोगों पर नियमों की अनदेखी करते हुए गर्भगृह में घुसने का आरोप लगाया है। वहीं राजकुमार ने ट्रस्ट पर उनके परिवार को अनदेखी करने के आरोप लगाये हैं। जिसके बाद अब राजपरिवार और मंदिर प्रबंधन के बीच ठन गई है।
दरअसल, 'दाई बमलई पंचमी भेंट' के दौरान गोंडवाना गोंड समाज की इस ऐतिहासिक परंपरा में इस बार एक अनूठा दृश्य देखने को मिला। इस दौरान खैरागढ़ राजपरिवार के राजकुमार भवानी बहादुर सिंह पहली बार इस आयोजन में शामिल हुए। सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ माता के दरबार में पहुंचे भवानी बहादुर ने मंदिर प्रबंधन और ट्रस्ट व्यवस्था पर तीखा हमला बोला, जिसने नवरात्र मेले की रौनक के बीच एक नए विवाद को जन्म दे दिया।
ट्रस्ट ने हमें दरकिनार किया- राजकुमार भवानी बहादुर सिंह
राजकुमार भवानी बहादुर सिंह ने कहा- मां बम्लेश्वरी का यह पवित्र धाम सदियों से आस्था और परंपरा का प्रतीक रहा है। गोंड समाज की बैगा पूजा, जो राजा कमल नारायण के समय से चली आ रही है, इस मंदिर की आत्मा है। भवानी बहादुर ने भावुक लहजे में कहा, हमारे पूर्वजों ने इस धाम की नींव आस्था और सेवा भाव से रखी थी। यह परंपरा हमारे खून में बसी है, लेकिन आज हमें और हमारे वंश को दरकिनार कर दिया गया है।
ट्रस्ट के चुनाव प्रणाली में हो सुधार
राजकुमार भवानी बहादुर सिंह ने तंज कसते हुए मंदिर ट्रस्ट पर सवाल उठाए। कहा- हमारे दादा ने सभी वर्गों को जोड़कर ट्रस्ट बनाया था, लेकिन आज हम ही बाहर हैं। यह न केवल परंपरा का अपमान है, बल्कि गोंड समाज की आस्था पर चोट है। साथ ही उन्होंने राजकुमार ने मंदिर प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि, ट्रस्ट का संचालन अब अपनी मूल भावना से भटक गया है। संस्थापक परिवार की उपेक्षा ने न केवल राजपरिवार को, बल्कि पूरे आदिवासी समाज को आहत किया है। उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग की कि ट्रस्ट के चुनाव प्रणाली में सुधार हो और फाउंडर मेंबर्स की राय को अनिवार्य किया जाए।
ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
राजकुमार ने चेतावनी भरे लहजे में उन्होंने कहा- अगर समाज को उसका हक नहीं मिला, तो गोंड समाज खुद अपने अधिकार के लिए लड़ने को मजबूर होगा। उनकी यह बयानबाजी नवरात्र के उत्सव में तूफान ला गई और मंदिर प्रबंधन पर सवालों की बौछार शुरू हो गई। राजकुमार भवानी बहादुर के हालिया बयानों ने इस ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।