कुरूद के दिव्यांग पेंटर को मिलेगा राष्ट्रीय पुरुस्कार: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय बसंत साहू को दिल्ली में करेगा सम्मानित
कुरुद के प्रसिद्ध दिव्यांग चित्रकार बसंत साहू को भारत सरकार ने 'राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार–2025' के लिए चुना गया है। व्हील चेयर पर रहकर भी अटूट मेहनत और लगन से पहचान बनाई है।
व्हीलचेयर पर बैठ चित्रकारी करते बसंत साहू
यशवंत गंजीर - कुरुद। हौसले अगर बुलंद हों, तो कोई दिव्यांगता राह में रुकावट नहीं बनती, इसका जीवंत उदाहरण हैं धमतरी जिले के कुरुद निवासी प्रसिद्ध चित्रकार बसंत साहू जिन्हे भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा 'दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2025' के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन (Best Individual with Disability) श्रेणी में चुना गया है।
यह सम्मान 3 दिसंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले समारोह में राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह आयोजन “अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस” के अवसर पर होगा।
जीवन की जंग से उभरे कलाकार
52 वर्षीय बसंत साहू की जीवन यात्रा संघर्ष और प्रेरणा दोनों का प्रतीक है, 15 सितंबर 1995 को एक सड़क दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे उनका 95% शरीर निष्क्रिय हो गया। डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि वे कभी सामान्य रूप से नहीं चल पाएंगे, लेकिन इसी कठिनाई के बीच उन्होंने अपनी चित्रकला की यात्रा शुरू की, बिस्तर पर लेटे-लेटे दीवारों पर लगी तस्वीरों को देखते हुए उनमें चित्र बनाने की इच्छा जगी और उन्होंने कागज़ पर अपनी कल्पनाओं के रंग बिखेरने शुरू किए।
व्हीलचेयर से कैनवास तक का सफर
बसंत साहू व्हीलचेयर पर बैठकर चित्र बनाते हैं, अपने दाएं हाथ में एक पट्टा बांधकर ब्रश को फंसा लेते हैं और उसी से रंगों को कैनवास पर उतारते हैं। उनके लिए एक चित्र तैयार करने में चार से पांच दिन का समय लगता है, लेकिन हर चित्र में संवेदनशीलता, गहराई और भावनात्मक अभिव्यक्ति का अद्भुत संगम झलकता है। उनकी हजारों कलाकृतियां आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थानों, सरकारी भवनों और निजी कार्यालयों की शोभा बढ़ा रही हैं।
कला के माध्यम से समाज में पहचान
बसंत साहू की कला में लोक संस्कृति, प्रकृति और समकालीन समाज के चित्र जीवंत रूप में दिखाई देते हैं। उनकी हालिया चित्र श्रृंखला स्थानीय कला जगत में चर्चा का केंद्र बनी हुई है, कला विशेषज्ञों का कहना है कि बसंत की पेंटिंग्स में सौंदर्य, संवेदनशीलता और संघर्ष की कहानी एक साथ झलकती है।
राष्ट्रपति से मिलेगा सम्मान
भारत सरकार ने 31 अक्टूबर को आधिकारिक पत्र जारी कर बसंत साहू को इस सम्मान के लिए चयनित किया है, अब वे 3 दिसंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करेंगे।
प्रेरणा बने बसंत साहू
बसंत साहू आज उन सभी के लिए प्रेरणा का प्रतीक हैं, जो जीवन की कठिन परिस्थितियों में हार मान लेते हैं। उन्होंने साबित किया है कि दिव्यांगता शरीर में हो सकती है, मन में नहीं, उनकी कहानी सिर्फ एक कलाकार की नहीं, बल्कि अदम्य साहस और आत्मविश्वास की मिसाल है।