छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग का अनोखा कारनामा: ना भवन बना- ना डाक्टर आया, 20 साल से कागजों पर चल रहा उप स्वास्थ्य केंद्र
कोरिया जिले में उप स्वास्थ्य केंद्र बीते 20 वर्षों से सिर्फ कागज़ों में संचालित है। जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों की तस्वीर
कमालुद्दीन अंसारी- कोरिया। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के सोनहत ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र पलारीडाँड़ से स्वास्थ्य विभाग की एक ऐसी सच्चाई सामने आई है, जो सरकारी दावों की पोल खोल देती है। यहाँ का उप स्वास्थ्य केंद्र बीते 20 वर्षों से सिर्फ कागज़ों में संचालित बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि, न भवन है, न ही इलाज की कोई सुविधा।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि, जब उप स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत है तो वह ज़मीन पर क्यों नहीं है? 20 साल तक जिम्मेदार अधिकारी आखिर करते क्या रहे? और क्या वनांचल के लोगों का इलाज सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रह जाएगा?
15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है
पहाड़ी और दुर्गम इलाके में बसे पलारीडाँड़ के ग्रामीण आज भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। साधारण बुखार या चोट के इलाज के लिए भी ग्रामीणों को पक्की सड़क और साधनों के अभाव में 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। महिलाओं की डिलीवरी के समय अगर एम्बुलेंस मिल जाए, तो उसे किस्मत माना जाता है, वरना हालात भगवान भरोसे ही छोड़ दिए जाते हैं।
इलाज नाम की कोई चीज नहीं है मौजूद
इस लापरवाही का खामियाजा सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और मासूम बच्चे भुगत रहे हैं। विडंबना यह है कि, स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में यह उप स्वास्थ्य केंद्र वर्षों से संचालित दिखाया जा रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि, यहाँ इलाज नाम की कोई चीज़ मौजूद ही नहीं है।
ग्रामीणों का दर्द साफ झलकता आया नजर
ग्रामीणों ने बताया कि, न ही उप स्वास्थ्य केंद्र की कोई स्थायी व्यवस्था की गई। सरकारी फाइलों में चल रहे इस उप स्वास्थ्य केंद्र का नाम तक ग्रामीणों ने सिर्फ कागज़ों में ही सुना है। अब सवाल उठता है कि, क्या पलारीडाँड़ के ग्रामीण सिर्फ कागज़ी योजनाओं के सहारे जीने को मजबूर रहेंगे? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कभी कार्रवाई होगी? या फिर यह उप स्वास्थ्य केंद्र यूँ ही वर्षों तक फाइलों में जिंदा रहेगा?