तिरियारपानी के जंगल में भीषण मुठभेड़: 3 घंटे तक गूंजती रही गोलियों की तड़-तड़ आवाज, कई पेड़ों के आर-पार हुई गोलियां

कांकेर जिले के तिरयारपानी के जंगल में 28 सितंबर को नक्सलियों से हुई मुठभेड़ के निशान मौके पर मौजूद हैं। हमारे संवाददाता ने मौके पर जाकर देखा हाल।

Updated On 2025-09-30 14:04:00 IST

तिरयारपानी के जंगल में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ के निशान मिले 

विजय पांडेय - कांकेर। तिरियारपानी के जंगल में 28 सितंबर को हुई मुठभेड़ में पुलिस को जरूर सफलता मिली, परंतु गांव के लोगों को सुबह 7 बजे से सक चल रही गोलियों के बारे में नहीं पता चल पा रहा था कि जंगल में क्या हो रहा है। खेतों में काम करने वाले किसान डर के चलते भागकर गांव में अपने घरों में दुबक गए। ग्रामीणों की मानें तो तीन घंटे तक कम से कम तीन किमी. तक गोलियों की आवाज सुनाई दिया। दिवाली में जैसे पटाखे फोड़ते है, वैसी ही आवाज तिरियारपानी के जंगलों से आ रही थी। मुठभेड़ के बाद हरिभूमि की टीम 29 सितंबर की सुबह ग्राउंड जीरों पर पहुँची। सितंबर की सुबह ग्राउंड जीरों पर पहुँची

सरोना निवासी हरिभूमि के सदस्य सूरज मंडावी 29 सितंबर को जब बांसपत्तर, छिंदखड़क और तिरियारपानी हकीकत को जानने के लिए पहुँचे तो गांव वालों का कहना था कि ऐसा दृश्य हम लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था। तीन घंटे तक लगातार गोलियों की आवाज सुनाई दी। घने जंगलों में चलने वाली गोलियों की आवाज से ऐसा लग रहा था कि गांव के पास ही मुठभेड् हो रही है। हरिभूमि के सदस्य ने जब गांव वालों से मुठभेड़ स्थल बताने के लिए कहा, तो दहशत के चलते एक भी ग्रामीण साथ में जाने को तैयार नहीं हुआ। उसके बाद हरिभूमि के सदस्य अकेले ही उस स्थल पर पहुँचे, जहाँ पर पुलिस टीम ने अपना डेरा बनाया था। उसके बाद आगे जब बढ़े तो कई पेड़ो में गोली के निशान नजर आ रहे थे । एक नहीं सैकड़ो पेड़ थे, जहाँ पर गोली के निशान ही नजर आ रहे थे। इन निशानों को देखकर लगा कि मुठभेड़ बहुत तगड़ी रही होगी। घनघोर जंगल में एक भी ग्रामीण नजर नहीं आया, दिन में भी डर का माहौल नजर आ रहा था।


कई जगह खून के दिखे निशान
ग्राउंड जीरों पर कई जगह खून के निशान यह बता रहे थे कि इस स्थल पर ही मुठभेड़ हुई है। गिली मिट्टी में पैरों के निशान यह बता रहे थे कि जवानों ने मोर्चा लेते समय नक्सलियों का पीछा भी तेजी से किया और उसी का परिणाम रहा कि तीन नक्सलियों को मार गिराने में पुलिस को सफलता मिली। यह पुलिस के लिए बड़ी सफलता रही, क्योकि इस इलाके में पुलिस कई बार आई, परंतु पुलिस के हाथ सदैव खाली ही रहे।

कई गोलियां पेड़ से आर-पार हुईं
इनकाउंटर के दौरान चली गोली के सबूत 29 सितंबर की सुबह भी देखने को मिले। गोलियाँ कई पेड़ को आरपार करके निकल गई। ग्रामीणों की मानें तो जवान पहाड़ में तीन दिशा से चढ़े और तीन दिशा से पहाड़ चढ़ने वाले जवानों को एक - एक कमांडर लीड कर रहा था। कई जवानों कंधो पर बीएसएफ लिखी हुई पट्टी भी थी। यानी फोर्स में डीआरजी के अलावा बीएसएफ के जवान भी शामिल थे।


गोलियों की आवाज सुन किसान भागे गांव, घरों में दुबके
इनकाउंटर जिस पहाड़ पर हुआ था, उससे लगभग एक किमी. की दूरी पर छिंदखड़क गांव के किसान खेत में थे। अचानक सुबह 7 बजे गोलियों की आवाज सुनी, पहले उनको समझ में नहीं आया, जब सीरियल पटाखे जिस तरह से फूटते है, उस तरह से जब लगातार गोलियों की आवाज आई, तब डरकर किसान गांव भाग आएं और अपने घरों में दुबक गए। उन्होने बताया कि हम लोगों को पहले कुछ समझ में ही नहीं आया कि क्या हो रहा है, बाद में लगा कि यह तो इनकाउंटर हो रहा है। फोर्स जब - कंधे पर लादकर शव को ले जा रहे थे, तब स्पष्ट हुआ कि यह तो मुठभेड़ थी।

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