कालभैरव जयंती पर विशेष: प्रदेश का इकलौता ऐसा मंदिर जहां चढ़ेगी मदिरा, पर नहीं लगेगा भोग
कालभैरव जयंती आज मनाई जाएगी। उज्जैन के प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर में भक्तों की भीड़ आज दर्शन-पूजन के लिए उमड़ेगी।
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रायपुर। कालभैरव जयंती आज मनाई जाएगी। उज्जैन के प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर में भक्तों की भीड़ आज दर्शन-पूजन के लिए उमड़ेगी। वहीं छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध रतनपुर महामाया मंदिर के समीप स्थित श्री कालभैरव मंदिर में भी जयंती के पूर्व ही अनुष्ठान सहित अन्य आयोजन प्रारंभ हो चुके हैं। यहां भी काल भैरव को भोग के रूप में भक्त मदिरा अर्पित करते हैं। 65 हजार रुपए से लेकर लाख रूपए तक कीमती मदिरा भक्त यहां चढ़ाएंगे।
मंदिर प्रबंधन के मुताबिक, भक्त अपनी श्रद्धानुसार मदिरा लेकर पहुंचते हैं। देशी और विदेशी दोनों तरह की मदिरा भक्तों के चढ़ावे में शामिल रहती है। कई भक्त लाख रूपए से भी अधिक कीमती मदिरा यहां चढ़ाते हैं। यहां नौ दिवसीय विशेष अनुष्ठान भी आयोजित किया जाता है। 11 नवंबर से प्रारंभ हुए यज्ञ की पूर्णाहुति 17 नवंबर को दी जाएगी।
40 वर्षों के बाद ब्रह्म योग में काल भैरव जयंती होगी पूजा
19 नवंबर को विशेष भोग के साथ अनुष्ठान का समापन होगा। कई भक्त ऐसे भी हैं, जो अमेरिका सहित विदेश के अन्य देशों में जा बसे हैं, लेकिन भैरव अष्टमी के दिन यहां मदिरा अर्पित करने आते हैं। ऐसे भक्त अपने साथ अमेरिका अथवा विदेशी कीमती मदिरा लेकर आते हैं। 10 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 8 मिनट से नवमी तिथि प्रारंभ हो चुकी है। आज रात्रि 10 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। उदया तिथि के आधार पर आज कालभैरव जयंती मनाई जाएगी। 40 वर्षों के बाद ब्रह्म योग में काल भैरव जयंती पूजा होगी।
इसलिए चढ़ता है मदिरा का भोग
काल भैरव तामसिक प्रकृति के देवता हैं, इसलिए उन्हें भोग के रूप में मदिरा अर्पित की जाती है। उन्हें मदिरा अर्पित करना शक्ति और संकल्प का प्रतीक माना जाता है। पंडितों के अनुसार, यदि कोई मंदिर जाकर कालभैरव को मदिरा अर्पित नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही उनका ध्यान कर पूजन करना फलदायी रहेगा। उन्हें इमरती सहित उड़द दाल से बने व्यंजन और गुड़ के पुए का भोग भी अर्पित कर सकते हैं।