खप्पर वाले घर में 100 सालों से विराजित है मां महाकाली: ग्रामीण अंचल में बिना दिखावे के विधिवत हर नवरात्र में होता है हवन पूजन
जशपुर जिले के ग्राम रोकबहार में स्थित रामसाय सिदार के आँगन में 100 सालों से माँ महाकाली विराजित है। ग्रामीण मंदिर बनाने की मांग कर रहे है।
माँ महाकाली
मयंक शर्मा - कोतबा। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के अंतिम छोर में बसे ग्रामीण क्षेत्रों में नवरात्र पर आस्था की अलग झलक देखने को मिलती है। रोकबहार ग्राम में स्थित रामसाय सिदार (पंडा) के आँगन में खप्पर वाले घर में 100 सालों से विराजित है। माँ महाकाली मंदिर में परंपरागत विधि से हवन पूजन किया जाता है।
रोकबहार गाँव के पंडा रामसाय सिदार ने बताया कि, उनका परिवार पूर्वजो से ही माता महाकाली का उपासक रहा है। आज से लागभग 100 साल पहले उनके पूर्वज सुखसाय सिदार ने उनके घर के आँगन में देवी माँ महाकाली के लिए मिट्टी की दीवार में लड़की व मिट्टी के खप्पर अपने हाथों से बना कर घर निर्माण किया था। तब वे एक छोटी महाकाली की मूर्ति स्थापित कर पूजन करते थे। लगभग 25 से 30 वर्षों के बाद मूर्ति खंडित हो गई। जिसका विसर्जन कर माँ महाकाली की बड़ी मूर्ति की स्थापना उसी स्थल पर परंपरागत तरीके से रोजाना पूजन करते आ रहे है।
ग्रामीण मां महाकाली की मंदिर बनाने की कर रहे मांग
वर्ष में 2 नवरात्र को विशेष रूप से विधिविधान से हवन पूजन करते है। साथ ही नगाड़े, मांदर की धुन में जसगीत गाकर पारंपरिक रूप से जगराता करते है। वाद्ययंत्रों के साथ जसगीत गाते हुए माता की जगराता करते है। पारम्परिक अस्त्र शस्त्र खड़क ,त्रिशूल, गदा,कोड़ा लिए झुपते नजर आते हैं। जगराता में भक्तों में शावर माता के दर्शन को दूर दराज से भक्तों का आना होता है। इस नवरात्र रोजाना पूजन हवन के साथ जगराता में सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं। अब ये 100 साल पुराना घर छोटा पड़ने लगा है। माता माँ महाकाली की प्रतिमा घर मे स्थापित होने के कारण पूजा-अर्चना में असुविधा होती है। भक्तगणों ने माँ महाकाली का अलग से मंदिर निर्माण करवाने की मांग कर रहे है।
गांवों में होते है धार्मिक आयोजन
जिले की ग्रामीण संस्कृति और परंपराएं छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि पड़ोसी राज्य ओड़िसा, झारखंड सहित पूरे देश में अपनी अनूठी पहचान रखती है। यहां हर त्यौहार को विशेष आस्था और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि को जवारा पर्व भी कहा जाता है और गाँवो में नवरात्र भक्तिभाव से मनाया जाता है। लोकजीवन में इस पर्व का विशेष स्थान है। देवी भगवती की आराधना और सामूहिक अनुष्ठान गांव-गांव में संपन्न होते हैं।
नवरात्रि के दौरान मां भगवती की विशेष पूजा
ग्रामीण क्षेत्रों में नवरात्रि के दौरान मां भगवती की विशेष पूजा की जाती है। पूरे गांव के सहयोग से की जाती है। गाँव में श्रद्धालु घट स्थापना से लेकर जवारा विसर्जन तक विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। गांवों में पूजा अनुष्ठान की संपूर्ण व्यवस्था बैगा या पंडा द्वारा की जाती है। ये लोग नवरात्रि के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए घट स्थापना से लेकर ज्योत जलाने तक का कार्य पूरी निष्ठा से संपन्न कराते हैं। ग्रामीणों की मान्यता है कि एयह ज्योत पूरे गांव की सुख-समृद्धि और रक्षा का प्रतीक होती है, इसलिए इसकी विशेष रूप से देखभाल की जाती है।