जग्गी हत्यांकांड: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अमित जोगी को बरी करने के फैसले पर नए सिरे से विचार करे हाईकोर्ट

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति देने का अनुरोध करने संबंधी CBI की याचिका पर नए सिरे से विचार करे।

Updated On 2025-11-07 13:19:00 IST

File Photo 

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से कहा कि वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति देने का अनुरोध करने संबंधी सीबीआई की याचिका पर नए सिरे से विचार करे। अमित जोगी पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता रामावतार जग्गी से जुड़े 2003 के एक मामले में आरोप तय किए गए हैं। जग्गी की चार जून 2003 को हत्या कर दी गई थी, जब अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हाईकोर्ट के 2011 के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अपील स्वीकार कर ली। कोर्ट के 2011 के आदेश में अमित जोगी को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने में देरी के लिए माफी मांगने वाली उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी।

ऐसे गंभीर आरोपों से जुड़े मामले को केवल तकनीकी आधार पर खारिज न किया जाए
पीठ ने कहा कि, हालांकि सीबीआई ने 1,373 दिनों की देरी के बाद अर्जी दायर की, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि प्रतिवादी अमित जोगी के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर थे। इसमें कहा गया कि हाईकोर्ट को सीबीआई के आवेदन पर विचार करते समय अधिक उदार और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था तथा याचिका के तथ्यों के आधार पर पड़ताल करनी चाहिए थी। कोर्ट की ऐसी टिप्पणी भीः सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, हमारा यह भी कहना है कि हम सीबीआई द्वारा विलंब को लेकर क्षमा के लिए दायर अर्जी में दिए गए स्पष्टीकरण पर कोई सहमति नहीं दे रहे हैं। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे गंभीर आरोपों से जुड़े मामले को केवल तकनीकी आधार पर खारिज न किया जाए।

याचिकाएं खारिज मिली राहत
इधर, अमित जोगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषमुक्ति को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ राज्य और सतीश जग्गी की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे बड़ी कानूनी राहत मिली है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमित जोगी ने कहा, यह न्याय की एक ऐतिहासिक जीत है। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने न केवल मेरी निर्दोषता पर एक और मुहर लगा दी है, बल्कि भारतीय न्याय प्रणाली में मेरे अटूट विश्वास को भी स्थापित किया है। यह फैसला साबित करता है कि सत्य और न्याय की अंततः जीत होती है। मैं अपने परिवार, मित्रों और विशेष रूप से मेरी कानूनी टीम का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने इस लम्बी कानूनी लड़ाई में मेरा साथ दिया।

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