संस्कृति बनाम व्यवसाय: सिरहसार भवन में चलाया जा रहा कपड़ों का सेल, लोगों ने जताई नाराजगी

जगदलपुर के धार्मिक परंपराओं का प्रतीक सिरहसार भवन में व्यवसायिक गतिविधियाँ चलाए जाने पर नरेंद्र पाणिग्राही ने प्रशासन पर गहरी नाराजगी व्यक्ति की है।

Updated On 2025-11-06 21:18:00 IST

सिरहसार भवन में कपड़ों का सेल

अनिल सामंत- जगदलपुर। बस्तर की सांस्कृतिक अस्मिता और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक सिरहसार भवन सवालों के घेरे में है। जहाँ एक ओर भगवान श्री जगन्नाथ की पूजा-अर्चना और बस्तर दशहरा, गोंचा महापर्व जैसे दिव्य अनुष्ठान पूरे आस्था और श्रद्धा से संपन्न होते हैं, वहीं दूसरी ओर अब इस पवित्र भवन में कपड़ों की सेल जैसी व्यवसायिक गतिविधियाँ चलाए जाने से आमजन आक्रोशित हैं।

नरेंद्र पाणिग्राही ने प्रशासन पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि, सिरहसार भवन बस्तर की संस्कृति की आत्मा है,यह महज एक इमारत नहीं बल्कि हमारी परंपरा का जीवंत प्रतीक है। यहाँ भगवान जगन्नाथ विराजते हैं, यहाँ से बस्तर की आस्था प्रवाहित होती है। ऐसे स्थल पर व्यापारिक गतिविधियाँ करना न सिर्फ अनुचित है बल्कि यह धार्मिक भावना का अपमान है। उन्होंने कहा कि हाल ही में लाखों रुपये खर्च कर भवन की मरम्मत कराई गई,लेकिन अब कपड़ों की बिक्री के चलते भवन की संरचना,दीवारें,फर्श और लाइट फिटिंग्स को क्षति पहुँच रही है। यह प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़ा करता है। 


आंदोलन की दी चेतावनी
श्री पाणिग्राही ने दो-टूक कहा कि सिरहसार भवन का उपयोग केवल धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों के लिए होना चाहिए। उन्होंने चेताया कि यदि प्रशासन ने तत्काल इस पर रोक नहीं लगाई, तो समाज के बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों और नागरिकों को साथ लेकर संघर्ष और आंदोलन किया जाएगा।

संस्कृति की आत्मा को व्यवसाय से न रौंदे प्रशासन
सिरहसार भवन बस्तर की परंपरा, श्रद्धा और इतिहास की आत्मा है। जहाँ भगवान जगन्नाथ की उपासना होती है, वहाँ कपड़ों की सेल जैसे व्यावसायिक प्रयोग करना संस्कृति के गौरव का अपमान है। यह भवन रियासत काल की वह धरोहर है जिसने बस्तर की पहचान को सहेजा है। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत इस भवन के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाकर इसे केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए सुरक्षित रखे।

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