101 बच्चों ने देखी फिल्म 'माटी': पद्मश्री धर्मपाल सैनी ताऊ और समाजसेवी अनिल लुंकड़ के साथ महसूस की अपनी धरती

छत्तीसगढ़ी फिल्म 'माटी' को देखने के लिए पद्मश्री धर्मपाल सैनी ताऊ और समाजसेवी अनिल लुंकड़ सुदूर आश्रमों के 101 बच्चों को लेकर बिनाका मॉल पहुंचे।

Updated On 2025-11-16 18:27:00 IST

पद्मश्री धर्मपाल सैनी के साथ माटी फिल्म देखने पहुंचे बच्चे 

अनिल सामंत- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ी फिल्म 'माटी' का रविवार को एक अद्भुत दृश्य देखने मिला, जब पद्मश्री धर्मपाल सैनी ताऊ और समाजसेवी अनिल लुंकड़ सुदूर आश्रमों के 101 बच्चों को लेकर बिनाका मॉल पहुंचे। यह केवल फिल्म देखने का कार्यक्रम नहीं था यह बच्चों की चेतना जगाने,उनकी जड़ों से जोड़ने और समाज को बदलने की प्रेरणा देने वाला विशेष दिग्दर्शन था।

श्री ताऊ ने फिल्म के बाद अपनी सहज लेकिन प्रभावशाली शैली में कहा कि माटी सिर्फ फिल्म नहीं, बड़े परिवर्तन की पुकार है। उन्होंने बच्चों और दर्शकों से आग्रह किया कि इस फिल्म में छिपे संदेश सेवा, संघर्ष, अपनी पहचान और कर्तव्य को जीवन में उतारना ही असली उद्देश्य है। अनिल लुंकड़ ने बताया कि माटी जैसी सार्थक फिल्में बच्चों में आत्मविश्वास, नैतिकता और सामाजिक संवेदनशीलता जगाती हैं। उन्होंने कहा कि आश्रम के बच्चों के लिए यह सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि मूल्य,प्रेरणा और आत्मबोध का विशेष अवसर था। 


ताऊ जी ने बच्चों की जिज्ञासा को सराहा
फिल्म शुरू होने से पहले और बाद में ताऊ जी और लुंकड़ का मार्गदर्शन बच्चों के लिए अविस्मरणीय क्षण बन गया। कई बच्चों ने कहा कि फिल्म ने उन्हें अपनी माटी की कीमत समझने समाज के लिए कुछ करने और अपनी संस्कृति पर गर्व करने का भाव दिया। ताऊ जी ने बच्चों की जिज्ञासा और सीखने की इच्छा की सराहना कर कहा कि यही बच्चे भविष्य में नए बस्तर का निर्माण करेंगे।

ताऊ जी सेवा, सादगी और समर्पण का जीवंत प्रतीक
धर्मपाल सैनी बस्तर में दशकों से शिक्षा, आश्रम निर्माण, बाल सेवा और समाजिक उन्नति के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं। उनकी संस्था ‘माता रुक्मणि सेवा आश्रम’ हजारों बच्चों के जीवन में बदलाव ला चुकी है। ताऊ जी का फिल्म के संदेश से आत्मिक जुड़ाव इस कार्यक्रम को और भी अर्थपूर्ण बनाता है। 


'माटी’ सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि, है एक चेतना
यह संस्कृति, संघर्ष, जिम्मेदारी और समाज-सेवा का जीवंत पाठ है। ताऊ जी और लुंकड़ के साथ 101 बच्चों का यह अनुभव बस्तर की नई पीढ़ी में जागरण और आत्मविश्वास की नई रोशनी जगाता है।

फिल्म, समाज और संदेश एक सुंदर संगम
'माटी' ने एक बार फिर सिद्ध किया कि स्थानीय कलाकारों की मेहनत और बस्तर की आत्मा से उपजी कहानियाँ समाज को गहराई से छूने की क्षमता रखती हैं। ताऊ ने कहा कि मनोरंजन का असली महत्व तभी है, जब वह मन, मस्तिष्क और समाज तीनों को दिशा दे।

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