सूदखोर तोमर भाइयों को हाईकोर्ट से झटका: 154 दिन से हैं फरार, अब तक पकड़ नहीं पाई पुलिस

सूदखोर तोमर भाइयों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। सूदखोर भाई वीरेंद्र और रोहित तोमर की पुलिस 154 दिन बाद भी पतासाजी नहीं कर पाई है।

Updated On 2025-11-04 12:34:00 IST

File Photo 

रायपुर। सूदखोरी, एक्सटार्सन, हत्या की कोशिश, मारपीट सहित कई गंभीर अपराध में फरार सूदखोर भाई वीरेंद्र तथा रोहित तोमर की पुलिस 154 दिन बाद भी पतासाजी नहीं कर पाई है। दोनों भाइयों की सोमवार को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इसके पूर्व स्थानीय कोर्ट दोनों भाइयों की संपत्ति अटैच करने आदेश दे चुकी है। साथ ही दोनों भाइयों की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी ने इनाम घोषित किया है।

रोहित तोमर के खिलाफ तेलीबांधा में मारपीट का अपराध दर्ज होने तथा पुरानी बस्ती में सूदखोरी का मामला दर्ज होने के बाद दो जून से वीरेंद्र तोमर तथा उसका भाई फरार हो गए। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कई जगह छापेमारी करने के साथ उनके गुर्गों के साथ पूछताछ की, लेकिन पुलिस को दोनों आरोपियों के बारे में किसी तरह से कोई सुराग नहीं मिल पाया है। फरारी के दौरान आरोपी अपने बचाव के लिए सभी तरह के हथकंडे तथा कानूनी दांव पेंच अजमा चुके हैं।

एक माह में सात एफआईआर
रोहित तोमर के खिलाफ जून को तेलीबांधा थाना में पहली एफआईआर मारपीट की दर्ज हुई है। प्रापर्टी डीलर दसमीत चावला ने रोहित के खिलाफ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसके बाद पुरानी बस्ती थाने में दोनों भाइयों के खिलाफ छह एफआईआर दर्ज की गई हैं। इस तरह पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत पर दोनों सूदखोर भाइयों के खिलाफ एक माह के भीतर सात एफआईआर दर्ज की। तोमर भाइयों के घर छापे के दौरान पुलिस ने 35 लाख कैश, 70 तोला सोना, 125 ग्राम चांदी जब्त की है। साथ ही चार महंगी गाड़ियां पुलिस ने जब्त की है।

रोहित की पत्नी सहित तोमर परिवार के अन्य सदस्यों को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर में ब्लैकमेलिंग और सूदखोरी के केस में हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर की पत्नी सहित परिवार के अन्य सदस्यों को अग्रिम जमानत दे दी है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि साधारण मारपीट के केस पर पुलिस आर्गेनाइज क्राइम में परिवार को फंसा रही है। दर असल, रायपुर के तेलीबांधा और पुरानी बस्ती थाने में वीरेंद्र तोमर और उसके भाई रोहित तोमर पर एक्सटॉर्शन और सूदखोरी का केस दर्ज किया गया है। मामले में जब पुलिस ने उनके घर में दबिश दी थी, तब कैश, चेक और जमीनों के दस्तावेज मिले थे। पुलिस ने जांच के बाद दावा कि मामला आर्गेनाइज क्राइम से जुड़ा हुआ है। लिहाजा, पुलिस ने तोमर बंधुओं के खिलाफ अलग-अलग 7 एफआईआर दर्ज कर सख्ती से कार्रवाई शुरू कर दी।

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की बेंच में हुई
फरार रोहित तोमर को जब पुलिस ने पकड़ नहीं पाई, तब उसकी पत्नी भावना तोमर को हिरासत में लिया गया। इसके खिलाफ व परिवार के सदस्यों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया कि साधारण मारपीट के केस को पुलिस ने आर्गेनाइज क्राइम बना दिया है। इस मामले में रोहित के खिलाफ केस दर्ज किया गया लेकिन, इसके बाद पुलिस ने परिवार के सदस्यों को टारगेट किया। जिन लोगों ने 8-10 साल पहले कर्ज लिया था। उन्हें बुला-बुलाकर परिवार के सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की गई। याचिका में याचिकाकर्ताओं पर फर्जी केस दर्ज करने का आरोप लगाते हुए अग्रिम जमानत देने का आग्रह किया गया। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की बेंच में हुई। कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी है।

पुलिस का यह कैसा सर्विलांस सिस्टम
हाईटेक ठगी सहित गंभीर अपराध को रिस्पांस टाइम में सुलझा लेने वाली पुलिस को रोहित तथा वीरेंद्र तोमर लगातार चुनौती दे रहे हैं। दोनों सूदखोर भाइयों के आगे पुलिस का सर्विलांस सिस्टम नाकारा साबित हो रहा है। नार्थ-ईस्ट जैसे जटिल राज्यों से अपराधी को गिरफ्तार कर लाने वाली राजधानी की हाईटेक, स्मार्ट पुलिस आखिर क्यों तोमर भाइयों को गिरफ्तार करने में असफल साबित हो रही है, इसे लेकर लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

फरारी के दौरान कोर्ट में चालान
तोमर भाइयों के फरारी के दौरान पुरानी बस्ती थाने की पुलिस ने दो माह पूर्व कोर्ट में 22 सौ पन्नों का चालान पेश किया है। कोर्ट में पेश चालान में पुलिस ने शुभ्रा सिंह तोमर, भावना तोमर, दिव्यांश सिंह, बंटी सहारे और जीतेंद्र देवांगन को आरोपी बनाया है। वीरेंद्र तथा रोहित तोमर को फरार बताया गया है। इसीलिए पहली चार्जशीट में वीरेंद्र तथा रोहित का किसी तरह से उल्लेख नहीं है।

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