चना बीज घोटाले में लीपापोती: 94.27 की मिली थी गड़बड़ी, जांच में 8 क्विंटल बताया
चना बीज घोटाला में जिला कृषि विभाग ने विभागीय जांच कराने के बाद इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की है।
चना बीज घोटाला
रायपुर। बहुचर्चित चना बीज घोटाला में जिला कृषि विभाग ने विभागीय जांच कराने के बाद इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की है। यह कार्रवाई लीपापोती से कम नहीं है, क्योंकि इस घोटाले में पूर्व में अभनपुर तहसील स्तर पर कमेटी बनाकर जांच कराई गई थी, जिसमें 94.27 क्विंटल चना बीच की गड़बड़ी पाई गई थी।
इस जांच के करीब साढ़े 9 महीने बाद इस घोटाले में विभाग ने अपनी समिति गठित कर जांच कराई। इस जांच में सिर्फ 8 क्विंटल चना बीज की गड़बड़ी पाई गई है। समिति के इस प्रतिवेदन के आधार पर विभागीय अधिकारी ने दोषी दो कृषि विस्तार अधिकारियों की एक वेतन वृद्धि रोकने एवं गायब चना बीज के एवज में राशि जमा करने का आदेश जारी किया है। वहीं क्षेत्र के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पर दायित्व का निर्वहन नहीं करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई करते हुए कुल गायब हुए चना बीज की 10 प्रतिशत राशि वसूल किए जाने का आदेश जारी किया है।
100 हेक्टेयर की जगह 5.73 हेक्टेयर में लगी मिली थी चना फसल
गोबरानवापारा तहसील क्षेत्र के ग्राम मुरका, तोरला, टीला, चंपारण सहित आसपास के गांव में कृषि विभाग की योजना के तहत 100 हेक्टेयर रकबा में प्रदर्शन के रूप में चना बीज की फसल लगाने के लिए 100 किसानों का चयन किया गया था। इन किसानों को 100 क्विंटल चना बीज निःशुल्क बांटा जाना था, लेकिन क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी मिथिलेश कुमार साहू एवं विनय कुमार सिंह ने वितरण में गड़बड़ी करते हुए महज 5.73 हेक्टेयर रकबा के लिए ही चना बीज का वितरण किया था, वहीं शेष 94.27 हेक्टेयर रकबा का चना बीज किसानों को वितरण नहीं कर बाजार में खपा दिया था।
इसकी शिकायत आने के बाद नवंबर के अंतिम सप्ताह में एसडीएम अभनपुर ने जांच कमेटी बनाकर इसकी जांच कराई थी। इसके लिए किसानों की सूची एवं खसरा रकबा के आधार भौतिक सत्यापन कराया था, जिसमें महज 5.73 हेक्टेयर में ही चना बीज की फसल लगी पाई गई थी। शेष हेक्टेयर के लिए किसानों को चना बीज वितरण नहीं किए जाने के कारण फसल लगी नहीं मिली थी।
दोषी अफसरों को बचाने 6 माह तक दबी रही फाइल
इस घोटाला के उजागर होने के बाद से संबंधित विभाग लगातार दोषी अफसरों को बचाने में लगा हुआ था। इसी कारण जांच फाइल को भी आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा था। इसके कारण यह फाइल पहले 3 माह तक तहसील कार्यालय में और फिर करीब 3 माह तक रायपुर कृषि कार्यालय में दबी रहीं।
इस तरह से की गई गड़बड़ी
हरिभूमि ने इस घोटाले की लाइव पड़ताल की थी। इस पड़ताल में ग्राम भुरका निवासी एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को किसान बताकर उनके अलग-अलग दो नाम से चना बीज वितरण बता दिया है। इसी प्रकार ग्राम तोरला में एक किसान को 10 हजार रुपए में 9 कट्टा बीज बेच दिए। ग्राम भुरका निवासी एक किसान को 3 एकड़ भूमि के बदले मात्र एक कट्टा बीज दिया गया। इस तरह से कई तरह की गड़बड़ी की गई है।
जांच कार्रवाई के आधार पर कार्रवाई
रायपुर कृषि उप संचालक सतीश अवस्थी ने बताया कि, विभागीय समिति के जांच प्रतिवेदन के आधार पर कार्रवाई की है। दो कृषि विस्तार अधिकारियों की एक वेतन वृद्धि रोकने के साथ गायब बीज कीमत वसूल की जाएगी। वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पर दायित्व का निर्वहन नहीं करने पर 10 प्रतिशत राशि वसूल की जाएगी।
पुनः जांच कराने की मांग करेंगे
रायपुर जिला पंचायत उपाध्यक्ष संदीप यदु ने बताया कि, जांच सही तरीके से नहीं हुई है। इस मामले में जांच के लिए दोबारा कमेटी बनाने की मांग करेंगे। कमेटी में पंचायत के सदस्यों को भी शामिल करने की मांग की जाएगी।
लीपापोती की गई
जिला पंचायत सदस्य यशवंत साहू ने बताया कि, विभागीय जांच में लीपापोती की गई है। प्रारंभिक जांच में मिली गड़बड़ी के विपरीत रिपोर्ट बनाई गई है। इस मामले की उच्च स्तरीय समिति से जांच कराने की मांग करेंगे।